दरहा बाबा के दर पर श्रद्धा का सैलाब
संवाद सहयोगी, चंदनकियारी : पौष पर्व के मौके पर प्राचीनकाल से आयोजित क्षेत्र का चर्चित दरहा म
संवाद सहयोगी, चंदनकियारी : पौष पर्व के मौके पर प्राचीनकाल से आयोजित क्षेत्र का चर्चित दरहा मेला में ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी। यहां बोकारो, धनबाद समेत दूरदराज के हजारों लोगों ने मेला का आनंद उठाया।
चंदनकियारी प्रखंड के साबड़ा स्थित दरहा जोरिया के किनारे दरहा बाबा स्थान में मकर संक्रांति के अवसर पर तीसरे दिन लगने वाला यह मेला झारखंड का सबसे बड़ा एकदिवसीय मेला है। क्षेत्र के जनजातीय समुदाय के माझीबाबा द्वारा दरहा बाबा की पूजा अर्चना की जाती है। यहां बलि देने की भी प्रथा है। पुजारी माझीबाबा व सुशील मार्डी ने बताया कि यहां प्राचीनकाल से जनजातीय परंपरा के अनुसार उनके पूर्वज रीति रिवाज से पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं। जहां सभी जाति और धर्म के लोग बाबा का आशीष प्राप्त कर मनोकामना पूरा करने के उद्देश्य से पहुंचते हैं।
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जनजातीय परंपरा की खास पहचान
दरहा मेला में यहां बाबा की पूजा तो जनजातीय रीतिरिवाज से होती ही है, बल्कि यहां का खास आकर्षण भी आदिवासी नृत्य ही हैं। पंडालों में कई जगह आदिवासी नृत्य का आयोजन होता है। दरहा मेला आज के आधुनिक युग मे भी अपनी पारंपरिक पहचान बनाए हुए है। मेला में पारंपरिक खानपान की वस्तुएं व अस्त्र-शस्त्र के साथ-साथ घरेलू उपयोग की बांस व मिट्टी से बनी कई तरह के पारंपरिक वस्तुओं की खरीद बिक्री हुई। मेला में तरह-तरह लगाए गए झूलों ने बच्चों का पूरा मनोरंजन किया।
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माझीबाबा करते हैं पूजा
पुरानी रीतिरिवाज के अनुसार यहां आज भी क्षेत्र के माझीबाबा के परिवार के लोग ही दरहा बाबा की पूजा अर्चना करवाते हैं। इसमें किसी दूसरों की कोई दखलअंदाजी नहीं होती।