बोकारो के स्टील की बढ़ रही मांग... मित्तल के बाद अब जिंदल के अधिकारियों ने किया इलेक्ट्रोस्टील का दौरा
इस वर्ष जून माह में आर्सेलर मित्तल समूह के सीईओ आदित्य मित्तल ने वेदांता द्वारा अधिग्रहित इलेक्ट्रोस्टील के बोकारो स्थित प्लांट का दौरा किया था। वहीं इसके बाद पिछले सप्ताह जेएसपीएल तथा जेएसडब्ल्यू के भी शीर्ष स्तर के अधिकारियों ने चंदनकियारी स्थित वेदांता इलेक्ट्रोस्टील का दौरा किया है।
जागरण संवाददाता, बोकारो: बोकारो में बन रहे स्टील की धमक भारत के साथ-साथ विदेशों में भी गूंज रही है। इस वर्ष जून माह में आर्सेलर मित्तल समूह के सीईओ आदित्य मित्तल ने वेदांता द्वारा अधिग्रहित इलेक्ट्रोस्टील के बोकारो स्थित प्लांट का दौरा किया था। वहीं इसके बाद पिछले सप्ताह जेएसपीएल तथा जेएसडब्ल्यू के भी शीर्ष स्तर के अधिकारियों ने चंदनकियारी स्थित वेदांता इलेक्ट्रोस्टील का दौरा किया है।
सूत्रों के अनुसार, वेदांता कंपनी इलेक्ट्रोस्टील के विस्तारीकरण को लेकर काम कर रही है। कंपनी में डक्टाइल आयरन पाइप व सरिया बनाया जाता है। डक्टाइल आयरन पाइप की पूरे देश में काफी मांग है। जब से हर घर नल जल योजना प्रारंभ हुई है, इसी पाइप का उपयोग जलापूर्ति के लिए किया जा रहा है। बता दें कि कंपनी ने मार्च माह में घोषित किया था कि वर्तमान उत्पादन 1.5 मिलियन टन को बढ़ाकर कंपनी तीन मिलियन टन करने जा रही है। इस बीच मित्तल समूह के सीईओ आदित्य मित्तल के बोकारो दौरे के बाद कयास लगाया जा रहा था कि मित्तल की ओर से इलेक्ट्रोस्टील में पूंजी निवेश की जाएगी। उनके दौरे के तीन माह बाद ही चर्चा है कि जेएसडब्ल्यू के बीएनएस प्रकाश राव तथा जेएसपीएल के एम हलधर ने प्लांट का दौरा किया है। दोनों ने कंपनी के तकनीकी पहलू को देखा है। हालांकि इस संबंध में कंपनी की ओर से आधिकारिक रूप से कुछ भी नहीं कहा गया है।
संयुक्त उद्यम लगा सकती हैं कंपनियां
दूसरे इस्पात उत्पादक कंपनियों के अधिकारियों के दौरे से इस चर्चा को बल मिला है कि इलेक्ट्रोस्टील कंपनी के विस्तारीकरण परियोजना को पूरा करने एवं विशेष ग्रेड के इस्पात उत्पादन को लेकर वेदांता की ओर से इनमें से किसी एक साथ संयुक्त उद्यम लगाया जा सकता है। हालांकि मीडिया के सामने फिलहाल कंपनी के अधिकारी कुछ भी कहने से कतरा रहे हैं।
देश के लक्ष्य को पूरा करने का है उद्देश्य
भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय ने 2030 तक 300 मिलियन टन इस्पात उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है, जबकि 2047 तक पांच सौ मिलियन टन करना है। वर्तमान सरकारी व निजी कंपनियों को मिलाकर कुल उत्पादन लगभग 125 मिलियन टन हो रहा है। इसके अतिरिक्त भारत सरकार ने पीएलआइ स्कीम की घोषणा की है। वैसे इस्पात जिसका कि आयात हो रहा है, उसका उत्पादन करने वाली सरकारी व निजी कंपनियों को मंत्रालय की ओर से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इस स्कीम का लाभ सभी कंपनियां उठाना चाहती हैं।