समय पर नहीं मिला इलाज, जच्चा-बच्चा की मौत
झारखंड के बोकारो में समय पर इलाज नहीं मिलने से जच्चा और बच्चा की मौत हो गई।
जागरण संवाददाता, बोकारो। सदर अस्पताल में इलाज की सुविधा नहीं मिलने के कारण महिला हसीना बेगम केसाथ गर्भ में पल रहे उसके बच्चे की भी मौत हो गई। महिला को पहले सदर अस्पताल ले जाया गया। लेकिन उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे बीजीएच रेफर कर दिया गया। वहां भर्ती कराने से लेकर इलाज कराने की प्रक्रिया में हुई देरी के दौरान महिला की मौत हो गई।
इसके बाद सदर अस्पताल के चिकित्सक कह रहे कि मौत उनके यहां नहीं हुई तो बीजीएच प्रबंधन का दावा है कि पैसे के लिए इलाज समय पर नहीं होने की बात गलत है। बहरहाल जो भी हो, सच्चाई है कि सरकारी महिला चिकित्सकों के आधा दर्जन निजी नर्सिग होम है। जहां हसीना से भी खराब स्थिति के मरीजों का प्रसव कराया जाता है। सदर अस्पताल में अब तक बीजीएच के स्तर की सेवा बहाली के लिए कोई प्रयास नहीं हुआ। मातृ-शिशु मृत्यु दर पर नियंत्रण के लिए सरकार की सारी योजनाएं धरातल पर फेल है। प्रदेश के प्रमुख शहर बोकारो में सरकारी स्तर पर एक भी अस्पताल ऐसा विकसित नहीं हो सका जहां कि माताओं का सुरक्षित प्रसव करा सकें।
घटनाक्रम
सेक्टर-9सी झोपड़ी कॉलोनी निवासी ऑटो चालक मुन्ना अंसारी की पत्नी गर्भवती हसीना बेगम की तबीयत बिगड़ने पर उसे लेकर सदर अस्पताल ले जाया गया। चिकित्सकों ने मरीज की गंभीर स्थिति को देखते हुए बोकारो जनरल अस्पताल रेफर कर दिया गया। जब बीजीएच पहुंची तो उसकी हालत काफी गंभीर हो गई थी। जब तक लेबर रूम में चिकित्सक उसका इलाज शुरू कर पाते तब तक उसकी हालत और गंभीर हो गई। अस्पताल के बेड पर मरीज की स्थिति बिगड़ी और उसकी मौत हो गई। बाद में चिकित्सकों ने ऑपरेशन कर मृत बच्चे को बाहर निकाला।
जानिए, क्या कहते परिवार के लोग
गंभीर स्थिति में बीजीएच लेकर पहुंचे। प्रसव खर्च की जानकारी मांगी तो बताया गया कि लगभग तीस हजार रुपए लगेंगे, उसे जमा करा दें। रुपये की व्यवस्था में थोड़ी देर हुई। इस वजह से उसका इलाज शुरू नहीं हुआ और महिला व उसके बच्चे की मौत हो गई।
बीजीएच प्रबंधन ने किया इनकार
पूरे मामले में पैसा जमा नहीं करने पर इलाज नहीं होने की बात को गलत बताते हुए बीजीएच प्रबंधन का दावा है कि महिला अति गंभीर स्थिति में अस्पताल पहुंची थी। लेबर रूम में चिकित्सकों ने उसे अटेंड किया, लेकिन बचाया नहीं जा सका।