एकता व समानता का संदेश देता क्वीन्स बैटन स्मारक
बोकारो भारत सहित विश्व के 52 राष्ट्र मिलजुल कर राष्ट्रमंडल दिवस मनाते हैं। इसके माध्यम से
बोकारो : भारत सहित विश्व के 52 राष्ट्र मिलजुल कर राष्ट्रमंडल दिवस मनाते हैं। इसके माध्यम से विश्व में एकता, समानता व मानवता को बढ़ावा दिया जाता है। विश्व के कई देशों पर ब्रिटिश साम्राज्य का राज था। लेकिन धीरे-धीरे लगभग सभी देशों को आजादी मिली। इन देशों के बीच आपसी सामंजस्य व बंधुत्व का भाव कायम करने के लिए राष्ट्रमंडल दिवस का आयोजन किया जाता है। इस दौरान विविध कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। राष्ट्रमंडल खेल का आयोजन भी इसी उद्देश्य को लेकर किया जाता है। खेलकूद के माध्यम से मानवता, समानता व नियति तीन मान्यताओं को अपनाया गया। ये मान्यताएं लोगों को प्रेरणा देती है। इन्हें आपस में जोड़ती हैं। भारत के नई दिल्ली में 3 से 14 अक्टूबर तक राष्ट्रमंडल खेल का आयोजन किया गया था। इसके तहत बोकारो इस्पात नगर में 5 अगस्त 2010 को क्वीन्स बैटन को प्रदर्शित किया गया था। बोकारो में पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेलकूद से संबंधित बैटन का प्रदर्शन किया गया था।
----क्वीन्स बैटन स्मारक का किया गया लोकार्पण
ब्रिटेन की महारानी ने बकिघम पैलेस, लंदन में धावकों के दल को क्वीन्स बैटन दिया। इसके साथ की बैटन रिले की शुरुआत हुई। विभिन्न सदस्य राष्ट्र होते हुए क्वीन्स बैटन 5 अगस्त 2010 को बोकारो इस्पात नगर पहुंचा। इससे पूर्व धनबाद से धावकों ने इसे तेलमच्चो पुल तक पहुंचाया। यहां से जिला प्रशासन व बीएसएल के अधिकारियों एवं बोकारो के राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खेल विशेषज्ञ, प्रशिक्षकों व खिलाड़ियों ने क्वीन्स बैटन लेकर चास होते हुए मोहन कुमार मंगलम स्टेडियम सेक्टर चार तक दौड़ लगाई। स्टेडियम में क्वीन्स बैटन को प्रदर्शित किया गया।
इसके बाद बीएसएल के तत्कालीन प्रबंध निदेशक शशि शेखर मोहंती ने यहां बनाए गए क्वीन्स बैटन स्मारक का लोकार्पण किया। इसी दिन रात में बोकारो क्लब के सिनेमा एरिना में देशभक्ति सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यहां भी क्वीन्स बैटन को प्रदर्शित किया गया। क्वीन्स बैटन स्मारक आज भी लोगों को राष्ट्रमंडल के गठन के उद्देश्य की याद को ताजा करते हैं। साथ ही खेलकूद के माध्यम से एकता, समानता व समन्वय के भाव को प्रदर्शित करने का संदेश देते हैं।
----क्वीन्स बैटन के साथ सेना के अधिकारी
क्वीन्स बैटन रिले में सेना के अधिकारियों की अहम भूमिका रही थी। इनके जिम्मे इसकी सुरक्षा थी। वे बैटन को अपने साथ लेकर चल रहे थे और इसे रिले में शामिल धावकों के सुपुर्द कर रहे थे। क्वीन्स बैटन सैटेलाइट से भी जुड़ा था। इसके माध्यम से इसके लोकेशन पर निगरानी रखी जा रही थी। साथ ही इसमें राष्ट्रीय ध्वज भी अंकित किया गया था। क्वीन्स बैटन का प्रदर्शन लोगों के लिए गौरव का पल था।
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मोहन कुमार मंगलम स्टेडियम सेक्टर चार में क्वीन्स बैटन स्मारक का निर्माण किया गया है। यह बोकारो में क्वीन्स बैटन रिले के आयोजन की याद ताजा करता है। साथ ही राष्ट्रमंडल दिवस व खेलकूद की महत्ता से अवगत कराता है। क्वीन्स बैटन लेकर दौड़ने की याद आज भी मन में नई ऊर्जा भर देती है।
जयदीप सरकार, अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षक बीएसएल
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राष्ट्रमंडल खेल के तहत 5 अगस्त 2010 को क्वीन्स बैटन बोकारो लाया गया था। बोकारो के राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेल विशेषज्ञ, प्रशिक्षक व खिलाड़ियों ने क्वीन्स बैटन लेकर दौड़ लगाई थी। मुझे भी यह अवसर मिला था। बैटन के साथ दौड़ लगाना सुखद पल था। राष्ट्रमंडल दिवस पर उस पल की याद जेहन में दौड़ जाती है।
सुभाष रजक, प्रशिक्षक सह प्रबंधक बीएसएल