संयम बरतें, संक्रमण बढ़ा तो उपलब्ध संसाधन पड़ेंगे नाकाफी
कोरोना से बचाव का एक मात्र रास्ता संयम व स्वनियंत्रण ही है। यदि लॉकडाउन का मजाक इसी प्रकार लोग उड़ाते रहे तो संक्रमण का खतरा और बढ़ जाएगा।
जासं, बोकारो: कोरोना से बचाव का एक मात्र रास्ता संयम व स्वनियंत्रण ही है। यदि लॉकडाउन का मजाक इसी प्रकार लोग उड़ाते रहे तो संक्रमण का खतरा और बढ़ जाएगा। यदि संक्रमण बढ़ा तो जिले में उपलब्ध स्वास्थ्य संसाधन जान बचाने को नाकाफी साबित होंगे।
बोकारो-चास में लगाया जा सकता कर्फ्यू: मौजूदा स्थिति में लॉकडाउन के बावजूद कई लोग अपने साथ अपने परिवार और अन्य लोगों की जान को खतरे में डाल रहे हैं। सड़कों पर भीड़ की यह स्थिति किसी एक इलाके की नहीं है। समाज के 80 प्रतिशत लोग घरों में कैद हैं तो बाकी के 20 प्रतिशत लोग इन 80 प्रतिशत लोगों के प्रयास को विफल करने में लगे हैं। मंगलवार को एक बार फिर दुंदीबाद, चास में भीड़ उमड़ पड़ी। खतरे से बेपरवाह लोग बाजार में घूमते नजर आए। प्रशासनिक पदाधिकारियों का कहना है कि मंगलवार की स्थिति को देखकर बोकारो व चास के कुछ इलाकों में कर्फ्यू लगाया जा सकता है।
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उधार के थर्मल स्कैनर पर स्वास्थ्य विभाग: अचानक आई इस विपदा को लेकर स्वास्थ्य विभाग भी परेशान है। शरीर का तापमान चेक करने के लिए थर्मल स्कैनर जिला स्वास्थ्य विभाग ने बोकारो जेनरल अस्पताल से उधार लिया है। एक थर्मल स्कैनर से पूरे जिले के 24 लाख की आबादी की जांच करना संभव नहीं है। बताया जाता है कि विभाग ने अपने आपूर्तिकर्ताओं को कोलकाता, दिल्ली व पटना में आर्डर भी दिया है, लेकिन फिलहाल थर्मल स्कैनर की आपूर्ति नहीं हो सकी है।
थर्मल स्कैनर भी हुआ महंगा: जिले के सिविल सर्जन डॉ अशोक पाठक ने बताया कि सामान्य रूप से थर्मल स्कैनर का मूल्य दो से तीन हजार रुपये है, जबकि कुछ लोग 20 से 40 हजार रुपये में इसका इंतजाम करने की बात कह रहे हैं। सरकारी व्यवस्था में इतनी राशि देना संभव नहीं है।
सामान्य थर्मामीटर से भी हो सकती जांच, पर तब बरतनी होगी अधिक सावधानी: सिविल सर्जन ने कहा कि कुछ लोगों में भ्रम की स्थिति है कि थर्मल स्कैनर से ही कोरोना की जांच हो सकती है, जबकि यह बिल्कुल नहीं है। शरीर का तापमान सामान्य थर्मामीटर से भी चेक किया जा सकता है, लेकिन उस स्थिति में प्रत्येक व्यक्ति की जांच के बाद थर्मामीटर को गर्म पानी से साफ किया जाना जरूरी है।
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बेकाबू हुई स्थिति तो मात्र 50 लोगों की जान बचा पाना संभव: सामान्य व विशेष परिस्थिति में जिले में मात्र 50 संक्रमित लोगों की ही जान बचाई जा सकता है। वजह यह है कि जिले में सरकारी व निजी अस्पतालों में मिलाकर 50 से अधिक लाइफ सपोर्ट सिस्टम नहीं है। जिले के सबसे बड़े अस्पताल बीजीएच में 12 बेड लाइफ सपोर्ट सिस्टम वाले हैं तो सदर अस्पताल में इनकी संख्या दो है। इसी प्रकार केएम मेमोरियल, मुस्कान, नीलम नर्सिग होम, डीवीसी के अस्पताल सहित अन्य अस्पतालों में 50 लोगों को आइसीयू या आइबीयू की सुविधा दी जा सकती है। ऐसे में कोरोना का संक्रमण रोकना व स्वयं के साथ दूसरों को सुरक्षित रखने का एकमात्र विकल्प यह है कि लॉकडाउन का सख्ती से पालन करें। अगर सवाल जीवन का ना हो तो घर से बाहर ना ही निकलें तो बेहतर है।
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कोट :
लोगों से अपील है कि अपनी जान की परवाह करें। यदि नहीं मानेंगे तो प्रशासन के पास विकल्प है, लेकिन ऐसा करने के लिए लोग विवश न करें। महज कुछ लोगों के कारण पूरी आबादी को खतरे में नहीं डाला जा सकता है। अकारण सड़क पर निकलने वाले लोगों को जेल भेजने से लेकर कर्फ्यू तक लगाया जा सकता है। प्रशासन को विश्वास है कि बोकारो की जनता स्वनियंत्रण के साथ इस महामारी को रोकने में हमारी मदद करेगी।
शशिप्रकाश सिंह, एसडीएम चास