सेलकर्मियों के पे रिवीजन पर 20 जनवरी को होगी एनेजसीएस बैठक
जागरण संवाददाता बोकारो स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड सेल कामगारों के पे रिवीजन
जागरण संवाददाता, बोकारो : स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड सेल कामगारों के पे रिवीजन पर आगामी 20 जनवरी जनवरी को प्रबंधन व यूनियन नेताओं के बीच बैठक होगी। मीटिग नई दिल्ली के इंडिया हेवीटेट सेंट स्थित सिल्वर ओक में सुबह 11.30 बजे से रखी गई है। वहां कंपनी की नई चेयरमैन सोमा मंडल समेत एनजेसीएस के पांचों घटक दल के प्रतिनिधि शामिल रहेंगे। कोरोना काल के दौरान प्रबंधन व यूनियन के बीच यह पहली फिजिकल बैठक होगी। इसलिए दोनों पक्ष की ओर से मसले के समाधान के लिए होमवर्क अभी से ही किया जा रहा है।
बताया जाता है कि बैठक में यूनियन नेता प्रबंधन के पे रिवीजन की अवधि पांच अथवा दस साल करने, एमजीबी व पर्क्स आदि पर पहले उनका प्रस्ताव जानने के बाद ही अपनी ओर से कॉमन डिमांड का पत्ता खोलेंगे। यदि संयंत्रकर्मियों के हित में प्रबंधन का प्रस्ताव यूनियन नेताओं को रास आ जाता है तो 29 जनवरी को नई दिल्ली में आहूत सेल बोर्ड की बैठक में वेतन पुनरीक्षण के मामले को आगे की विभागीय प्रक्रिया के लिए रही झंडी दे दी जाएगी। इसके बाद तीन चार चरणों की बैठक कर वेतन मसौदे पर एमओयू पर करार कर सेल कामगारों को इसका लाभ 31 मार्च 2021 तक किया जा सकेगा। सेल में अधिकारी व कर्मचारी दोनों का पे रिवीजन एक जनवरी 2017 से लंबित है। इसलिए नई अध्यक्ष मामले की खींचातानी किये बगैर इस वित्तीय वर्ष के समाप्ति 31 मार्च 2021 से पूर्व इसके समाधान के प्रयास में जुट गई है।
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- सेलकर्मियों के डीए पर से सकरार का संकट हटा -
केंद्र सरकार के भारी उद्योग मंत्रालय द्वारा सेल अफसरों के महंगाई भत्ता पर रोक लगाए जाने के बाद कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी संवर्ग पर इसका कोई असर नही होगा।
शुक्रवार को डीपीई ने कोयला, माइंस आदि सार्वजनिक लोक उपक्रम की कंपनी को पत्र लिखकर यह साफ निर्देश दिया है कि डीए फ्रीज का मामला सिर्फ संबंधित पीएसयू के अधिकारियों के लिए है। इसके जद में अनाधिशासी कर्मचारी नही आएंगे। इधर नेशनल कंफेडेशन ऑफ ऑफिसर एसोसिएशन द्वारा सेल सहित अन्य पीएसयू में अफसरों के डीए फ्रीज पर गुवाहाटी उच्च न्यायालय में दर्ज याचिका पर डीपीई ने ओर सफाई देते हुए कहा है कि इसके लिए वह छह हफ्ते का समय लेते हुए संबंधित पीएसयू के अधीन मंत्रालय से विचार-विमर्श करने के बाद ही अपना जवाब न्यायालय को सौपेंगी। इस दौरान उन सभी तथ्यों पर विचार किया जाएगा की आखिर किस परिस्थिति में और क्यों अधिकारियों के डीए पर रोक लगाया गया।