पौनी में बेटियों के लिए आठवीं से आगे की पढ़ाई है कठिन
संवाद सहयोगी पौनी तहसील के कई गांवों में बेटियों की आठवीं से आगे कि पढ़ाई करना का
संवाद सहयोगी, पौनी: तहसील के कई गांवों में बेटियों की आठवीं से आगे कि पढ़ाई करना काफी कठिन है, क्योंकि गांव में हाई स्कूल तक नहीं है। आठवीं से आगे की पढ़ाई के लिए या तो उन्हें मीलों दूर अन्य गांव पैदल जाना पड़ता है या फिर गांव से दूर शहर में जाना पड़ता है। इस वजह से बेटियों की पढ़ाई मंजिल तक पहुंचने से पहले ही छूट जाती है।
पौनी के दूरदराज के संगड़, रोलकियां, मता, चंडी, अजमेर, सुदीनी जैसे कई गांवों ऐसे हैं, जहां के बच्चों की पढ़ाई की राह बड़ी दुश्वार है। गांव में सरकार की तरफ से एक भी हाई स्कूल नहीं खोला गया है।
गांव के लड़के मीलों दूर रनसू, भारख, पौनी, त्रियाठ, सुंदरबनी, रियासी या फिर जम्मू जाकर पढ़ाई कर लेते हैं, मगर लड़कियों को गांव से दूर भेजने से परिवार के लोग कतराते हैं। इसके चलते ज्यादातर लड़कियों की आठवीं से आगे की पढ़ाई छूट जाती है। बाक्स---
बेटियों के रिश्ते करने में आती है परेशानी
गांव में अब तक करीब पचास से साठ लड़कियां आठवीं से आगे की पढ़ाई नहीं कर पाई हैं। गजोड़ गांव के पूर्व सरपंच मुहम्मद अनवर का कहना है पंचायत के गांव विद्रा और रोलकियां में करीब पांच लड़कियां ऐसी हैं जो आठवीं के बाद गांव के नजदीक स्कूल नहीं होने से आगे की पढ़ाई नहीं कर पाई हैं। सुदीनी के पूर्व सरपंच ओमप्रकाश शर्मा का कहना उनके गांव में तीस के करीब ऐसी लड़कियां हैं जो आठवीं के बाद आगे की पढ़ाई जारी नहीं रख पाई हैं। इसमें ज्यादातर लड़कियां गुज्जर बक्करबाल समुदाय की शामिल हैं। संगड गांव के सरपंच भगवान दास का कहना है उनके क्षेत्र में करीब पंद्रह से बीस लड़कियां ऐसी हैं जो आठवीं के बाद आगे की पढ़ाई नहीं कर पाई हैं। लड़कियों की आठवीं के बाद पढ़ाई नहीं होने के कारण उनके रिश्ते करने पर भी असर पड़ता है। मजबूरन उनके माता पिता को उनके विवाह से संबंधित रिश्ते गांव के नजदीक आस-पास के गांव में रहने वाले कम पढ़े लिखे लड़कों से ही करने पड़ते हैं। अगर आठवीं के बाद पढ़ाई करने को मिले तो उनके क्षेत्र की लड़कियों को भी शहरों से नौकरी करने वालों के रिश्ते आ सकते हैं।
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क्या कहते हैं अभिभावक और उनकी बेटियां
विद्रा गांव के राम लाल का कहना है उनकी बेटी सपना देवी गांव के नजदीक स्कूल नहीं होने के कारण आठवीं की आगे की पढ़ाई नहीं कर पाई है। अगर गांव में स्कूल होता तो उनकी बेटी भी आगे की पढ़ाई कर पाती। सुदीनी गांव के सोम राज का कहना है उनकी बेटी निशा रानी आठवीं के बाद आगे की पढ़ाई जारी नहीं रख पाई है। गांव में स्कूल होता तो कोई दिक्कत नहीं थी पर गांव से दूर दूसरे स्कूलों में बेटी को भेजना ठीक नहीं समझा।
सुदीनी गांव के रहने वाले हंस राज की बेटी सोनिया और कासिम दीन की बेटी तेजादिया का कहना है वह आठवीं के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती थीं, लेकिन गांव में हाई स्कूल नहीं होने के कारण वह आगे पढ़ नहीं सकीं। लड़कियों को कहना था अगर वह पढ़ी लिखी होतीं तो उनके सपने भी शहरों में शादी करने के पूरे होते।
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तहसील में स्कूलों की संख्या
पौनी तहसील में स्कूलों की संख्या 135 है, जिसमें 4 हायर सेकेंडरी, 50 मिडिल, 56 प्राइमरी व 16 प्राइवेट स्कूल शामिल हैं। मिडिल स्कूल गोदर, संगड, सुदीनी और मता को अगर अपग्रेड किया जाता है तो आठवीं के बाद पढ़ाई छोड़ने वाली लड़कियों को आगे की पढ़ाई गांव में ही करने को मिलेगी। इसके अलावा दरूनी, कोट जगीर, संगड गांव के मोड़ा मडोती और खड़ा बट्ट में नए स्कूल खोलने की ग्रामीणों की मांग भी पिछले काफी समय से चल रही है। कोट्स---
जोन पौनी में स्थित हाई स्कूल लेतर को अपग्रेड किए तीन वर्ष हो गए हैं। हाल ही में हाई स्कूल रनसू और मिडिल स्कूल त्योट को भी अपग्रेड कर दिया गया है। रही बाद अन्य और कुछ स्कूलों को अपग्रेड करने की तो उसके लिए भी बहुत जल्द शिक्षा निदेशक को लिखा जाएगा।
निर्मल चौधरी, चीफ एजुकेशन ऑफिसर रियासी।