वायुसेना ऑफिसर जुबीक्षा ठाकुर बनी युवाओं के लिए रोलमॉडल
ऊधमपुर जिले के बिलन बावली इलाके की जुबीक्षा ठाकुर का भारतीय वायु सेना में चयन हुआ है। इससे जहां इलाके में खुशी का माहौल है वहीं 21 वर्ष की जुबीक्षा युवाओं के लिए रोलमॉडल बन गई हैं। हालांकि कमीशन पास करने के बाद अभी जुबीक्षा का स्वास्थ्य परीक्षण हुआ है और ज्वाइनिंग लेटर नहीं मिला है लेकिन युवा उसे अपना आइडल मानने लगे हैं। वह युवाओं खासकर लड़कियों को जीवन में कुछ कर गुजरने के लिए प्रेरित कर रही हैं।
जागरण संवाददाता, ऊधमपुर : जम्मू कश्मीर के ऊधमपुर जिले के बिलन बावली इलाके की जुबीक्षा ठाकुर का भारतीय वायु सेना में चयन हुआ है। इससे जहां इलाके में खुशी का माहौल है, वहीं 21 वर्ष की जुबीक्षा युवाओं के लिए रोलमॉडल बन गई हैं। हालांकि कमीशन पास करने के बाद अभी जुबीक्षा का स्वास्थ्य परीक्षण हुआ है और ज्वाइनिंग लेटर नहीं मिला है, लेकिन युवा उसे अपना आइडल मानने लगे हैं। वह युवाओं खासकर लड़कियों को जीवन में कुछ कर गुजरने के लिए प्रेरित कर रही हैं।
भद्रवाह स्थित राष्ट्रीय राइफल्स युवाओं के लिए प्रेरणात्मक भाषण की श्रृंखला करवा रही है। इसके तहत वीरवार को केंद्रीय विद्यालय और पीजी कॉलेज भद्रवाह में हुए कार्यक्रम में जुबीक्षा ठाकुर भी पहुंची थी। जुबीक्षा ने कहा कि सेना के 'संगम : यूथ फेस्टिवल' में भाग लेने के फैसले ने उनके जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया। यहां पर आने के बाद ही उन्होंने सशस्त्र बल में शामिल होने का फैसला किया। जो ठाना वह किया। उन्होंने कहा कि वह चाहती हैं कि हर युवा लड़के और लड़कियां फाइटर पायलट बनने का बड़ा सपना देखें। उन्होंने कहा सपने को तब तक नहीं छोड़ना चाहिए, जब तक वह वास्तविकता न बन जाएं। एनसीसी ने बनाया सक्षम : ठाकुर
ठाकुर ने कहा कि औसत गुणों के संयोजन ने उसे अद्वितीय बना दिया। बकौल ठाकुर, ''मैंने सीढ़ी पर कदम दर कदम चढ़ना शुरू किया। कुछ गलतियां कीं, लेकिन परिश्रम से सीखना जारी रखा। एक एनसीसी कैडेट होने के कारण कठिन परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम रही। युवाओं को अपनी असफलताओं पर शोक मनाने के बजाय लक्ष्यों को प्राप्ति के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए।'' जुबीक्षा को सुनने के बाद बदली सोच
प्रेरणात्मक भाषण के बाद सवाल-जवाब का सत्र हुआ। केंद्रीय विद्यालय में 12वीं कक्षा की छात्रा आरुषि ने कहा कि उसका हमेशा डॉक्टर बनना ही एकमात्र विकल्प था, लेकिन जुबीक्षा को सुनने के बाद सोच बदल गई। अब मैं वायु सेना के माध्यम से सेना में शामिल होना चाहूंगी और इस सपने को सच करने के लिए कड़ी मेहनत करूंगी। जुबीक्षा से मुझे मिली नई ऊर्जा
गढ़ भद्रवाह गांव की 27 वर्षीय कोमल कहती हैं कि वह हमेशा से सेना में शामिल होना चाहती थी। मगर लेकिन उसे किस्मत आजमाने का कभी मौका नहीं मिला। उम्र ज्यादा होने की वजह से वह एयरफोर्स कॉमन एडमिशन एडमिशन टेस्ट (एएफसीएटी) नहीं दे सकी। जुबीक्षा को सुनकर अब नई उर्जा का संचार हुआ है। मैं प्रादेशिक सेना में शामिल होने के लिए मेहनत करेंगी। लक्ष्य पाने के लिए होना चाहिए जूनून
कमांडिग ऑफिसर राष्ट्रीय राइफल्स चार के कर्नल डीडी पांडे ने भी छात्रों के साथ अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि सपनों को पूरा करने और लक्ष्य तक पहुंचने का जूनून होना चाहिए। लक्ष्य की तरफ कदम बढ़ाने के लिए ज्यादा देर और संकोच नहीं करना चाहिए। बस चलना शुरु कर दें, निश्चित रूप से मंजिल तक पहुंचेगे।