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किसी ने कहा खत्म होगा लिगभेद, किसी ने कहा राज्यवासियों का छीनेगा हक

जम्मू कश्मीर से बाहर ब्याही गई बेटियों के पति को डोमीसाइल जारी करने के लिए डोमिसाइल कानून में संशोधन पर मिली जुली प्रतिक्रिया रही। सत्ता पक्ष सहित कुछ लोगों ने इसे लिगभेद खत्म करने वाला कदम बताया है जबकि विपक्ष ने इस कानून से प्रदेश के लोगों के लिए अहितकारी करार दिया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Jul 2021 01:15 AM (IST)Updated: Fri, 23 Jul 2021 01:15 AM (IST)
किसी ने कहा खत्म होगा लिगभेद, किसी ने कहा राज्यवासियों का छीनेगा हक
किसी ने कहा खत्म होगा लिगभेद, किसी ने कहा राज्यवासियों का छीनेगा हक

जागरण संवाददाता, ऊधमपुर : जम्मू कश्मीर से बाहर ब्याही गई बेटियों के पति को डोमीसाइल जारी करने के लिए डोमिसाइल कानून में संशोधन पर मिली जुली प्रतिक्रिया रही। सत्ता पक्ष सहित कुछ लोगों ने इसे लिगभेद खत्म करने वाला कदम बताया है, जबकि विपक्ष ने इस कानून से प्रदेश के लोगों के लिए अहितकारी करार दिया है। उनके मुताबिक सरकार के इस फैसले से प्रदेश के लोगों को नुकसान होगा। पूर्व विधायक एवं पूर्व मंत्री पवन गुप्ता ने कहा कि दूसरे राज्य में ब्याही बेटियों के पति को डोमिसाइल देकर राज्य का स्थायी निवासी बनाने का प्रावधान स्वागत योग्य है। ऐसे करके सरकार ने दशकों से प्रदेश की बेटियों के साथ हो रहे लिगभेद को समाप्त किया है। भाजपा शुरू से ही लिग समानता की बात करती है। यदि किसी दूसरे राज्य की बेटी यहां के लड़के से शादी कर स्थायी निवासी बन सकती है, तो फिर यहां की बेटी से शादी करने वाला दूसरे राज्य का लड़का यहां का नागरिक क्यों नहीं बन सकता। कुछ लोग इससे नौकरियों और जमीन को खतरा बता कर विरोध कर रहे हैं, उन लोगों की लगता है मती मारी गई है। विरोध करने वालों को सोचना चाहिए कि क्या कोई भी मां बाप अपने बेटियों का विवाह बेरोजगारों के साथ करता या किसी ऐसे के साथ कर देता है जिनका घर न हो।

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पूर्व विधायक बलवंत सिंह मनकोटिया ने कहा कि राज्य की बेटियों से विवाह करने वाले लड़कों को डोमीसाइल देने का फैसला सराहनीय व स्वागत योग्य है। विधायक रहते हुए असंख्य बार उन्होंने विधानसभा में इस भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई। इस फैसले से लड़कों और लड़कियों में हो रहा भेदभाव खत्म होगा। उन्होंने कहा कि दूसरे राज्य की बेटी जम्मू कश्मीर के लड़के से विवाह कर यहां की बहु बन सकती है तो फिर यहां की बेटी के साथ विवाह करने वाला लड़का यहां का दामाद क्यों नहीं बन सकता। वैसे भी सरकार देश भर के आम लोगों को तो डोमिसाइल जारी नहीं करने जा रही। यह केवल उनके लिए जो लड़के राज्य की बेटियों से शादी करेंगे। दूसरे राज्य का लड़का जब राज्य में किसी परिवार से शादी करता है तो वह उस परिवार का हिस्सा बन जाता है। ऐसे में उसे डोमिसाइल देने में कोई आपत्ति नहीं होना चाहिए। महिला कांग्रेस जिला अध्यक्ष प्रीति खजूरिया ने कहा कि अगर वह एक महिला के नाते निजी तौर पर सोचें तो सरकार की नीति बहुत अच्छी है। क्योंकि शादी के बाद महिला के पति को वह सब अधिकार मिलेंगे जो राज्य के नागरिक को मिलते है। मगर अगर वह राज्यवासी होने के नाते सोचे तो इससे नुकसान होगा। क्योंकि दूसरे राज्य में बसे लोग यहां पर उद्योग लगाने, जमीन खरीदने सहित अन्य वह काम कर सकेंगे, जो अभी तक राज्य के निवासी ही करते हैं। दूसरे राज्यों के लोग जम्मू कश्मीर की तुलना में अधिक संपन्न है। वह अपने राज्य के साथ जम्मू कश्मीर में भी उद्योग लगाएंगे, जमीन खरीदेंगे, नौकरियां तक कर सकेंगे। इसके पिछड़े हुए जम्मू कश्मीर राज्य के लोगों के हितों को नुकसान होगा। अगर सरकार को डोमिसाइल देना ही है तो फिर विवाह की अनिवार्यता क्यों, इसे हर किसी के लिए खोल दिया जाना चाहिए। अगर सरकार कहती है कि देश एक है तो जम्मू कश्मीर भी देश का हिस्सा है। इसलिए यह लाभ कुछ एक लोगों को क्यों दिया जाए, सबको क्यों नहीं। -व्यापार मंडल के उपाध्यक्ष राहुल मगोत्रा ने कहा कि बेटियों से शादी करने वाले दूसरे राज्य के लड़कों को डोमिसाइल दिया जाने का फैसला अच्छा है। पहले जिस लड़की की शादी राज्य से बाहर होती थी, उसका संबंध ही राज्य से खत्म हो जाता था। मगर सरकार का यह फैसला राज्य के बेटियों का संबंध राज्य से बनाए रखेगा। जब जम्मू कश्मीर के लोग जम्मू कश्मीर से बाहर जाकर अन्य राज्यों में काम और नौकरी करने, रहने जमीन खरीदने सहित सभी अधिकार रखते हैं तो दूसरे राज्य का कोई लड़का शादी के बाद यहां के नागरिकों जैसे अधिकार प्राप्त करता है, इसमें हर्ज ही क्या है। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सुमित मगोत्रा ने कहा कि एक तरफ तो सरकार जम्मू-कश्मीर के लोगों से उनकी नौकरियां व जमीन के अधिकार न छीनने की बात करती है, वहीं दूसरी तरफ डोमिसाइल कानून में संशोधन कर दूसरे प्रदेशों में ब्याही महिलाओं के पतियों को डोमिसाइल देने का फैसला लेकर सरकार ने एक बार फिर से जम्मू कश्मीर के पढ़े-लिखे नौजवानों की नौकरियों पर डाका डालने जैसा काम किया है। जम्मू कश्मीर के पढ़े लिखे नौजवान आए दिन सड़कों पर उतर कर नौकरियों की मांग करते हैं। अब दूसरे राज्यों के लोगों के लिए राज्य में जमीन खरीदने और नौकरियां करने के लिए दरवाजे खोल दिए गए हैं। इससे सरकार की मंशा साफ हो गई है कि सरकार जम्मू-कश्मीर की पहचान को खत्म करने का काम कर रही है।

प्रसिद्ध लेखक व शिक्षाविद् पदमश्री प्रो. शिव निर्मोही ने कहा कि बेटी और बेटों में कोई अंतर नहीं होना चाहिए। पैतृक संपत्ति पर जितना अधिकार बेटे का हैं उतना ही बेटी का भी है। पहले जो नियम था उससे बेटियां का राज्य से बाहर विवाह होने पर पैतृक संपत्ति पर अधिकार नहीं रहता था। अगर दूसरे राज्य से आने वाली बेटी को नागरिक होने का अधिकार हो सकता है तो राज्य की बेटी से विवाह करने वाले दूसरे राज्य के लड़के को यह अधिकार क्यों नहीं दिया जा सकता। जम्मू कश्मीर का कोई निवासी देश में कही पर भी जमीन खरीद सकता है, नौकरी कर सकता है, उद्योग लगा सकता है तो फिर देश के अन्य राज्यों के लोगों को भी जम्मू कश्मीर में ऐसा करने का पूरा अधिकार होना चाहिए। बेटी का अपनी पैतृक संपत्ति पर अधिकार बनता है। वैसे भी शास्त्र दोहते(बेटी के पुत्र) को अपने नाना नानी के अंतिम संस्कार और श्राद्ध करने का अधिकार देता है। सरकार ने यह फैसला लेकर लिग के आधार पर होने वाले भेदभाव को खत्म कर बेहद अच्छा कदम उठाया है।


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