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Jammu Kashmir : 100 वर्ष के इतिहास में पहली बार नहीं हुई रामलीला और दशहरा

ऊधमपुर के वायोवृद्ध कांग्रेसी नेता एवं समाज सेवक तथा जागृति वृद्धा आश्रम के संचालक डॉ. आरसी नागर के मुताबिक ऊधमपुर में रामलीला मंचन का इतिहास 100 साल से भी अधिक पुराना है। मगर उनकी होश में उन्होंने कभी नहीं सुना कि रामलीला मंचन न हुआ या दशहरा नहीं मनाया गया।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sun, 25 Oct 2020 03:11 PM (IST)Updated: Sun, 25 Oct 2020 03:11 PM (IST)
Jammu Kashmir : 100 वर्ष के इतिहास में पहली बार नहीं हुई रामलीला और दशहरा
2020 में पहली बार न तो रामलीला का मंचन हुआ और न ही दशहरा मनाया जा रहा है।

ऊधमपुर, अमित माही । इमरजेंसी के समय रहा हो या आतंकवाद का काला दौर, ऊधमपुर में न तो कभी रामलीला का मंचन बंद हुआ और न ही कोई वर्ष ऐसा रहा, जब दशहरा न मनाया गया। मगर तकरीबन 100 साल से ज्यादा पुराने ऊधमपुर के रामलीला मंचन और दशहरा के इतिहास में यह वर्ष 2020 में पहली बार न तो रामलीला का मंचन हुआ और न ही दशहरा मनाया जा रहा है। 

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ऊधमपुर के वायोवृद्ध कांग्रेसी नेता एवं समाज सेवक तथा जागृति वृद्धा आश्रम के संचालक डॉ. आरसी नागर के मुताबिक ऊधमपुर में रामलीला मंचन का इतिहास 100 साल से भी अधिक पुराना है। मगर उनकी होश में उन्होंने कभी नहीं सुना कि ऊधमपुर में रामलीला मंचन न हुआ या दशहरा नहीं मनाया गया। पहले मनोरंजन के बेहद कम साधन होते थे। ऐसे में शारदीय नवरात्रों में होने वाली रामलीला मंचन लोगों के मनोरंजन का बड़ा साधन होते थे। लोग कई किलोमीटर दूर से पैदल चल कर रामलीला देखने पहुंचते थे।

डॉ. आरसी नागर के मुताबिक इमरजेंसी से लेकर दशकों तक चले आतंकवाद के समय भी कभी भी ऐसा नहीं हुआ, जब रामलीला का ऊधमपुर में रामलीला का मंचन ऊधमपुर में न हुआ। ऐसा पहली बार है, जब ऊधमपुर में रामलीला का मंचन नहीं हो रहा। शारदीय नवरात्र में रामलीला मंचन और उसके बाद विजय दश्मी का उत्सव प्रमुख उत्सवों में से एक।

दशहरा उत्सव समिति के सदस्य एवं पार्षद विक्रम सिंह सलाथिया ने कहा उन्होंने भी कभी नहीं सुना कि किसी वर्ष रामलीला मंचन नहीं हुआ। बल्कि शारदीय नवरात्र में तो हर कोई रामलीला मंचन का विशेष तौर पर इंतजार करता था। रक्षा बंधन के दिन रामलीला का ध्वज चढ़ाया जाता और रिहर्सल का दौर शुरु हो जाता था। जो रामलीला मंचन तक जारी रहता था। मगर इस बार रामलीला मंचन और दशहरा उत्सव का न होना से मन दुखी है। सबकुछ ठीक रहा तो अगले वर्ष ज्यादा धूमधाम से उत्सव मनाया जाएगा।

रामनगर चौक स्थित राम कला मंदिर के अध्यक्ष अजय गुड्डा ने रामलीला भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा है। रामलीला मंचन मनोरंजन के लिए कोई नाटक नहीं, बल्कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के चरित्र को जन जन और विशेष रूप से बच्चों और युवा पीढ़ी तक पहुंचाने का बेहतरीन जरिया हैं। इसकी मदद से भगवान राम, माता सीता, लक्षम्ण और भरत जी व हनुमान और सुग्रीव सहित सभी पात्रों का जीवन और आचरण कुछ न कुछ संदेश देता है। पहले कलाकारों के अभाव में उनकी रामलीला सहित कई रामलीलाएं बंद हो गई। मगर इस बार कोरोना महामारी की वजह से जिला भर में कहीं पर भी रामलीला मंचन नहीं हो पाया। इसी तरह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक पर्व दशहरा का आयोजन न होना दिल को दुखाने वाला है। मगर हालात के आगे हर कोई बेबस है। पूरा विश्वास है कि अगले वर्ष से रामलीला का मंचन और दशहरा फिर धूमधाम से मनाया होगा।

संगीत और थिएटर कलाकार एवं रामलीला से से लंबे अर्से से जुड़े आनंद खजूरिया ने कहा रामलीला का इतिहास एक शताब्दी से भी ज्यादा पुराना है। पहली बार इसका मंचन न होने से कलाकारों तो बुरा लग ही रहा है। देखने के लिए आने वालों भी मायूस है। आम तौर पर हर कोई रामायण पढ़ कर भगवान राम या उनकी लीलाओं को नहीं जान सकता। मगर विभिन्न ड्रामाटिक क्लबों द्वारा की जाने वाली रामलीला मंचन के पूरी रामायण से हर कोई भगवान राम सहित रामायण के हर पात्र व उनके चरित्र के बारे में भलीभांति अवगत हो जाता है। 100 वर्षों से ज्यादा समय से रामलीला मंचन संस्कारों को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में अपनी अहम भूमिका निभा रही है। इसका इस बार मंचन न होना वास्तव में दुखद है।

श्री राम कला केंद्र चबूतरा बाजार के वरिष्ठ सदस्य कमल मल्होत्रा ने कहा कि 55 साल से चबूतार में रामलीला मंचित हो रही है, मगर आज तक कभी बंद नहीं हुई। ऊधमपुर में रामलीला मंचन का इतिहास 100 से ज्यादा पुराना है। ऐसा कभी नहीं सुना कि मंचन के बाद कभी भी रामलीला का मंचन न हुआ और या दशहरा का मंचन न हुआ। दशहरा उत्सव में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों के दहन के लिए शोभायात्रा चबूतरा राम कला केंद्र से ही निकलती रही है। इस बाह रामलीला का मंचन न होने तथा दशहरा उत्सव न होने से खालीपन महसूस हो रहा है।

कोरोना महामारी के कारण पैदा हालातों की वजह से इस बार जिला में दशहरा उत्सव नहीं मनाया जा रहा। इस वजह से दशहरा आयोजन स्थल सुभाष स्टेडियम में इस वर्ष अभी तक विरानी छाई है। और स्टेडियम के आसपास सुबह से नजर आने वाली रौनक भी आज कहीं नजर आई। 


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