साथ दुनिया में आए थे, साथ ही किया अलविदा
जागरण संवाददाता, ऊधमपुर : 30 साल पहले एक साथ जुड़वा भाइयों के जन्म से नसीब ¨सह के परिव
जागरण संवाददाता, ऊधमपुर : 30 साल पहले एक साथ जुड़वा भाइयों के जन्म से नसीब ¨सह के परिवार में खुशियां थीं और लोग बधाई देने पहुंच रहे थे। शुक्रवार को एक बार फिर उसी घर में एक साथ दुनिया को अलविदा कहने वाले दोनों सगे भाइयों को अंतिम विदाई देने तथा उनके परिवार को ढांढ़स बंधाने वालों की भीड़ उमड़ी थी। हर कोई इसे होनी की क्रूरता बताते हुए भगवान को कोस रहा था।
शुक्रवार को सड़क हादसे में काल का ग्रास बने मंजीत और संजीत दोनों जुड़वा थे। हालांकि दोनों का जन्म एक साथ हुआ था, मगर कुछ समय के अंतराल के कारण मंजीत बड़ा था। लोगों ने बताया कि एक साथ जन्म लेने के कारण दोनों लगभग एक से दिखते थे और दोनों में कोई खास अंतर नहीं था। दोनों में बेहद घनिष्ठता के साथ ही उनकी पसंद और आदतें भी एक जैसी ही थीं। दोनों एक साथ खेले और बड़े हुए और यहां तक कि पढ़ाई भी साथ-साथ ही की। दोनों ने एक साथ ही शिक्षा विभाग में शिक्षक की नौकरी भी की। दोनों के स्कूल भी एक दूसरे से थोड़ी ही दूर थे। दोनों एक दूसरे के साथ ही रहते थे।
हमेशा की तरह शुक्रवार को भी दोनों भाई अपने परिवार से छुट्टी के बाद घर लौटने की बात कह कर स्कूल के लिए रवाना हुए थे। मगर उस समय न तो उन दोनों को पता था और न ही उनके परिवार को इस बात का इल्म था कि इसके बाद वे दोनों जीवित घर नहीं लौटेंगे। स्कूल जाते समय कुंडी से कुछ पहले कार खाई में गिरने से हुए हादसे में दोनों भाइयों की एक साथ ही मौत हो गई। बताया जा रहा है कि जिस कार में दोनों सवार थे वह उन्होंने कुछ माह पहले ही नई खरीदी थी।
हादसे में दोनों की मौत की खबर परिवार पर कहर बन कर टूटी। जिसने भी यह खबर सुनी उसे ऐसा प्रतीत हुआ मानों किसी ने कानों में गर्म शीशा उड़ेल दिया। कोई यह मानने को तैयार नहीं है कि कुछ समय पहले सही सलामत और हंसी खुशी घर से विदा हुए दोनों भाई सदा के लिए उनसे दूर हो चुके हैं। हर किसी का रो-रोकर बुरा हाल है। कोई बेसुध नजर आया तो कोई बदहवास। पूरे घर में केवल करुण क्रंदन और कलेजा चीर देने वाली चीखें नजर आई। जिसे भी यह खबर मिली वह नसीब ¨सह व उसके परिवार के दुख में शरीक होने व उनको ढांढ़स बंधाने के लिए पहुंचा। शाम को दोनों की अर्थी एक साथ घर से निकली और एक साथ दोनों का अंतिम संस्कार किया गया।
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छोटे भाई की पत्नी है गर्भवती
हादसे में मारे गए दोनों जुड़वा भाइयों की शादी कुछ ही साल पहले हुई। बड़े भाई मंजीत का विवाह रामबन के धनमस्ता इलाके में हुआ। जबकि दूसरे भाई संजीत की शादी साल 2014 में हुई थी। उसकी पत्नी इस समय गर्भवती है। वह और संजीत दोनों ही अपने घर में बच्चे की किलकारी सुनने का इंतजार कर रहे थे और कई तरह के सपने संजोए बैठे थे। वहीं, मंजीत का भी एक बेटा है। मां के कोख में पल रही नन्हीं जान के आंखें खोलने से पहले ही पिता का साया छिन गया है।
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एक भाई पहले हुआ है हादसे का शिकार
बताया जा रहा है कि दो-तीन साल पहले संजीत और मंजीत को मिलाकर वन विभाग से सेवानिवृत्त नसीब ¨सह के पांच बेटे और एक बेटी थे। बेटी का विवाह हो चुका है। लोगों ने बताया कि शुक्रवार को सड़क हादसे में अपने जुड़वा बेटों को खोने वाले नसीब ¨सह इससे पहले भी सड़क हादसे में अपने एक बेटे को खो चुके हैं। करीब तीन साल पहले रामबन के करोल इलाके में एक ट्रक की चपेट में आने से उनके बड़े बेटे की मौके पर ही मौत हो गई थी। नसीब ¨सह और उनका सारा परिवार किसी तरह उस हादसे में बेटे को खोने के सदमे से उबर कर फिर से तिनका-तिनका खुशियां बटोर रहा था। शुक्रवार को हुए हादसे ने सारी खुशियां एक बार फिर छीन ली। मांग उजड़ जाने से दोनों की पत्नियां निर्जीव सी हो गई हैं। दोनों ने नहीं सोचा था कि उनकी मांग एक साथ उजड़ जाएगी।
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शिक्षा विभाग ने खो दिए होनहार शिक्षक
मंजीत और संजीत की मौत से जहां परिवार ने अपने बेटों को खो दिया है, वहीं शिक्षा विभाग ने भी एक साथ दो कर्मठ और काम के प्रति समर्पित शिक्षकों को खो दिया है। दोनों की सड़क हादसे में मौत की खबर से दोनों के स्कूल में भी शोक की लहर दौड़ गई। उनके सहयोगियों की आंखें जहां नम हुई, वहीं उनसे प्रेम करने वाले विद्यार्थी रोने लगे। इतना ही नहीं शिक्षा विभाग ने भी दोनों होनहार शिक्षकों की मौत पर शोक जताया। बड़ी संख्या में विद्यार्थियों व शिक्षकों ने भी दोनों को अंतिम विदाई दी।
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दुर्गम इलाके में जान जोखिम में डाल लोगों ने निकाले शव
हादसे के बाद स्थानीय लोगों ने कार में सवार भाइयों को बचाने के लिए अपनी जान की परवाह न करते हुए राहत और बचाव कार्य संचालित किया। सुबह हादसे के बाद दोनों के जीवित बचे होने की आस में खाई में उतरने का रास्ता न होने के बावजूद लोग जल्द से जल्द दोनों तक मदद पहुंचाने के लिए झाड़ियों और एक दूसरे का हाथ पकड़ कर नीचे उतरे। मगर राहत के पहुंचने से पहले ही दोनों भाइयों के प्राण पखेरू उड़ चुके थे। इसके बाद क्यूआरटी और सेना के जवान भी पहुंचे। उनकी मदद से लोगों ने कड़ी मशक्कत कर हादसे में मारे गए दोनों भाइयों के शव बाहर निकाले।