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उद्योग शुरू करने की अनुमति तो मिली, मगर नहीं मिल पा रहा जिप्सम

अमित माही ऊधमपुर लॉकडाउन में उद्योगों को काम करने की छूट मिले एक माह हो चुका

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 08:53 AM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 08:53 AM (IST)
उद्योग शुरू करने की अनुमति तो मिली, मगर नहीं मिल पा रहा जिप्सम
उद्योग शुरू करने की अनुमति तो मिली, मगर नहीं मिल पा रहा जिप्सम

अमित माही, ऊधमपुर :

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लॉकडाउन में उद्योगों को काम करने की छूट मिले एक माह हो चुका है, मगर इसके बावजूद आज तक पीओपी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) की यूनिटे शुरू नहीं हो पाई हैं। इसकी मुख्य वजह पीओपी यूनिटों को पीओपी बनाने का (रॉ मटेरियल) जिप्सम उपलब्ध नहीं हो रहा है। जिप्सम की खदानें रामबन जिला में स्थित हैं। रेड जोन की वजह से वहां से माल नहीं आ पा रहा। पिछले एक माह से पीओपी उद्योग में जहां उत्पादन न होने से नुकसान हो रहा है, वहीं फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों का खर्च भी वहन करना पड़ रहा है। इससे पीओपी उद्योग लगाने वालों को नुकसान हो रहा है।

कोरोना महामारी के कारण 25 मार्च से हुए देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से सब कुछ बंद हो गया था। करीब एक माह के लॉकडाउन के बाद अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के साथ रुकी हुई जिंदगी की रफ्तार देने के लिए सरकार ने कुछ छूट देनी शुरू की। इस छूट में उद्योगों को निर्धारित क्षमता के साथ काम करने की अनुमति दी गई। यह अनुमति 27 अप्रैल को दी गई थी। जिसके बाद से ऊधमपुर में ज्यादातर उद्योगों ने काम करना व उत्पादन करना शुरू कर दिया। मगर छूट मिलने के बावजूद ऊधमपुर के बट्टलबालियां स्थित औद्योगिक क्षेत्र में लगे पीओपी के प्लाटों में पीओपी उत्पादन आज तक शुरू नहीं हो सका।

ऊधमपुर के बट्टलबालियां स्थित औद्योगिक क्षेत्र में पीओपी बनाने वाले छह प्लांट उदय प्लास्टर, पवन प्लास्टर, जॉन मिनरल्स, जेके प्लास्टर, बालाजी मिनरल्स और जेके सीमेंट्स हैं। ये सभी कुल मिलाकर तीन से साढ़े तीन हजार टन तक पीओपी का उत्पादन हर माह करते हैं। मगर अनुमति मिलने के बावजूद एक माह से सभी यूनिटों में उत्पादन बंद पड़ा है।

पीओपी बनाने वाले उद्योगों को पीओपी बनाने के लिए जिप्सम की आवश्यकता होती है। जिप्सम वह पत्थर होते हैं, जिसे पीस कर पीओपी बनाया जाता है। जिप्सम की खदानें रामबन जिला के परलंका में स्थित हैं। जहां पर जिप्सम निकाल कर पीओपी उद्योगों को आपूर्ति करने का काम जेके मिनिरल्स करती है। कोरोना संक्रमण के कारण रामबन जिला रेड जोन घोषित हो चुका है। रेड जोन में होने की वजह से अनुमति न मिलने से जिप्सम की खदानों से जिप्सम निकालने का काम नहीं हो रहा। जिप्सम न निकलने की वजह से इसकी आपूर्ति भी नहीं हो रही। इस वजह से पीओपी उद्योग नहीं चल रहे।

केवल ऊधमपुर ही नहीं पूरे जम्मू संभाग में जितने भी पीओपी उद्योग हैं, उन सभी को जिप्सम की आपूर्ति रामबन जिला के परलंका की खदानों से होती है। हालांकि रामबन के परलंका के अलावा अस्सर बग्गर में भी जिप्सम की खदानें हैं, लेकिन रामबन के जिप्सम की क्वालिटी बढि़या होने की वजह से सभी रामबन के परलंका की खदानों से जिप्सम पत्थर मंगवाते हैं। ऊधमपुर के अलावा जम्मू संभाग में 20 के करीब और पीओपी यूनिट हैं, जिसमें से सांबा में करीब छह, कठुआ के चड़वाल में एक और जम्मू में तकरीबन 13 पीओपी यूनिटे हैं। सभी यूनिट मिलाकर हर माह 25 से 30 हजार टन जिप्सम रामबन जिला की खदानों से मंगाते हैं। उत्पादन बंद होने से आमदनी रुकी, मगर खर्च नहीं

पीओपी उद्योगों के न चल पाने की वजह से उद्योगों में उत्पादन से होने वाली आमदनी पर तो ब्रेक लगा हुआ है, मगर खर्च कम नहीं हुआ है। हर उद्योगों में औसतन आठ से दस आदमी काम करते हैं। ये सभी उद्योगों में ही रह रहे हैं। उद्योग मालिक इनको कुछ वेतन के साथ हर माह राशन के लिए भुगतान कर रहे हैं। हर उद्योग मालिक का तकरीबन 25 से 30 हजार रुपये खर्च हो रहा है। इसके अलावा बिजली, पानी के बिल, लोन का ब्याज सहित अन्य खर्च अभी भी हो रहे हैं। इस वजह से सभी उद्योग लगाने वाले मालिक परेशान हैं। 27 अप्रैल को उद्योगों को शुरू करने की अनुमति मिली थी, मगर इसके बाद से लेकर आज तक उद्योगों को चलाने के लिए रॉ मटेरियल जिप्सम ही उपलब्ध नहीं हो रहा। जिप्सम की खदानें रामबन जिला में और रामबन रेड जोन में होने की वजह से उद्योगों को जिप्सम नहीं मिल रहा। बिना जिप्सम के पीओपी उद्योग नहीं चल रहे। हर पीओपी फैक्ट्रियों में 8 से 10 लेबर के लोग रहे हैं। इनके वेतन का खर्च बढ़ रहा है। हर महीने इनके खाने पर ही 20 से 25 हजार रुपये खर्च हो रहे हैं। इस बारे में वह ऊधमपुर दौरे पर आए चीफ सेक्रेटरी बीवीआर सुबह्मायम से मिला। इसके अलावा कमिश्नर इंडस्ट्रीज एंड कामर्स एमके द्विवेदी से भी मिल कर समस्या रखी। जल्द समस्या हल करने का आश्वासन तो मिला, लेकिन समस्या आज तक हल नहीं हो पाई। जिप्सम न मिलने की वजह से उद्योग बंद होने की वजह से पीओपी उद्योग वालों का लगातार नुकसान हो रहा है। इसलिए उद्योगों के बिजली, पानी के लोन और लिमिट के ब्याज माफ करने चाहिए। इसके साथ ही सरकार को इन उद्योगों को बचाने के लिए बिना ब्याज के आर्थिक तौर पर पांच से दस लाख रुपये तक की मदद उपलब्ध करानी चाहिए, ताकि पीओपी उद्योग वाले इस मंदी से उबर सकें।

- उदयवीर सिंह, एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष पीओपी उद्योग मालिकों द्वारा इस समस्या को बताए जाने के बाद इस मामले को सरकार के पास भेजकर आवश्यक कदम उठाने की सिफारिश कर दी गई है। सरकार जल्द ही इस मामले पर विचार कर फैसला लेगी। सरकार से जैसे ही अनुमति प्राप्त होगी, पीओपी फैक्ट्री वालों को जिप्सम उपलब्ध कराने के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे। उम्मीद है कि जल्द ही सरकार इस मुद्दे पर फैसला लेगी, जिससे पीपीओ उद्योग वालों की समस्याएं हल होंगी।

- पीएस टू एमके द्विवेदी कमिश्नर इंडस्ट्रीज एंड कामर्स


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