मचैल में फंसे डेढ़ सौ लोगों की किसी को चिंता नहीं
बलवीर सिंह जम्वाल किश्तवाड़ मंगलवार रात व बुधवार तड़के किश्तवाड़ जिले में तीन जगहों पर बादल फटे
बलवीर सिंह जम्वाल, किश्तवाड़ : मंगलवार रात व बुधवार तड़के किश्तवाड़ जिले में तीन जगहों पर बादल फटे, जिससे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। तहसील पाडर में चशोती गाव के पास और बोंजुंआ में बादल फटने से लोगों को काफी नुकसान सहना पड़ा। इसके साथ ही हंजर गाव में भी बादल फटा, जहां भारी तबाही हुई है। लेकिन ताज्जुब की बात है कि जिला प्रशासन और जम्मू में बैठे आला अधिकारी हंजर गाव की ही तरफ पूरी मशीनरी लगा कर बैठे हैं, लेकिन करीब डेढ़ सौ लोग मचैल व कुछ लोग चशोती में पिछले चार दिनों से फंसे हुए हैं, उनकी किसी को कोई चिंता नहीं है।
25 जुलाई को जब मचैल माता का मंदिर खुला था तो उम्मीद थी कि अब यात्रियों को जाने की इजाजत दी जाएगी। इसी के चलते 23, 24 व 25 जुलाई को करीब 200 से अधिक यात्री मचैल पहुंच गए और कुछ गुलाबगढ़ में पहुंचे। जो लोग मचैल पहुंच गए थे, वे तो वहीं पर थे, लेकिन गुलाबगढ़ वालों को प्रशासन ने वापस कर दिया। जब मंगलवार को बादल फटने की खबर आई तो कुछ लोग चशोती में और कुछ मचैल में ही फंसे हुए थे। पिछले तीन दिनों से वे लोग गुहार लगा रहे हैं कि हमें भी किसी तरीके से यहा से निकाला जाए, लेकिन प्रशासन की पाडर की तरफ कोई तवज्जो नहीं है। पहले दिन जब बाढ़ आई तब गुलाबगढ़ के एसडीएम ने गुलाबगढ़ के साथ लगते एक गाव खाली करवा लिया, क्योंकि उस समय वहा पर पानी चढ़ने का खतरा था, लेकिन सुबह सब ठंडे हो गए। किसी को यह फिक्र नहीं रही कि जो लोग मचैल या रास्ते में फंसे हुए हैं, उन्हें निकालना भी प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है। अब वहा पर फोन शुरू होने के बाद ये लोग जम्मू व दूर-दूर तक अपने रिश्तेदारों को और इंटरनेट मीडिया के जरिए यह संदेश भेज रहे हैं कि रास्ता खराब होने से हम यहा फंसे हुए हैं। हमें किसी तरीके से गुलाबगढ़ तक पहुंचाया जाए, क्योंकि रास्ते के कुछ पुल क्षतिग्रस्त हुए हैं। हालाकि जो पुल क्षतिग्रस्त हुए हैं, उनकी मरम्मत कोई ज्यादा मुश्किल काम नहीं है, क्योंकि वे सारे लकड़ी के बने हुए पुल थे। अब देखना यह है कि किश्तवाड़ जिला प्रशासन व गुलाबगढ़ प्रशासन इन लोगों को वहा से सही सलामत निकालने के लिए क्या उपाय करता है।