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ऊधमपुर के आसमान में उड़ान भर सकेंगे पैराग्लाइडर्स

जागरण संवाददाता ऊधमपुर सब कुछ ठीक रहा तो जम्मू संभाग में ऊधमपुर जिले के आसमान में

By JagranEdited By: Published: Sat, 12 Sep 2020 07:40 AM (IST)Updated: Sat, 12 Sep 2020 07:40 AM (IST)
ऊधमपुर के आसमान में उड़ान भर सकेंगे पैराग्लाइडर्स
ऊधमपुर के आसमान में उड़ान भर सकेंगे पैराग्लाइडर्स

जागरण संवाददाता, ऊधमपुर :

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सब कुछ ठीक रहा तो जम्मू संभाग में ऊधमपुर जिले के आसमान में पैराग्लाइडर उड़ते नजर आएंगे। तवी एडवेंचर्स ने जिला प्रशासन ऊधमपुर के सहयोग से ऊधमपुर के रामनगर और पंचैरी क्षेत्र में पैराग्लाइडिग के ट्रॉयल किए, जिसमें से रामनगर लगभग चयनित हो गया है।

मुख्य रूप से साहसिक खेलों के क्षेत्र में तवी एडवेंचर्स की मदद से जिला प्रशासन की ओर से बीते वीरवार को रामनगर के पिगला माता और पंचैरी में लद्दा धार के पास ट्रॉयल किए गए। तवी एडवेंचर्स के पदाधिकारी सेवानिवृत्त ग्रुप कैप्टन कमल सिंह ओबेरा की देखरेख में आयोजित इस ट्रॉयल के लिए पंजाब से विशेषज्ञ पायलट सुखचरण सिंह बराड़ ऊधमपुर पहुंचे। वीरवार को ट्रॉयल कर लिए गए। ट्रॉयल करने वाली टीम एडीसी ऊधमपुर के संपर्क थी और डीसी ऊधमपुर डॉ. पियूष सिंगला इसके ट्रायल कर रहे थे। इस बारे में ट्रॉयल करने वाले तवी एडवेंचर्स के ग्रुप कैप्टन ओबेरा ने जिला प्रशासन को भी इसकी जानकारी दी।

इस जानकारी के मुताबिक ट्रॉयल करने वाली टीम ने जिला प्रशासन को बताया कि रामनगर तहसील में पिगर गांव की एक पहाड़ी चोटी पर स्थित मां पिगला के मंदिर के पास पैराग्लाइडिग के लिए 3940 फीट पर टेकऑफ प्वाइंट है, जबकि नीचे उतरने पर पैराग्लाइडिग का लैंडिग एरिया पहाड़ी के नीचे 1850 फीट पर स्थित है। ऊपर से नीचे तक करीब दस मिनट की पैराग्लाइडिंग की जा सकती है। यह पहली बार पैराग्लाइडिग करने वालों के लिए अच्छी जगह है। यह ऊधमपुर और जम्मू के लोगों के साथ मां वैष्णो देवी आने वाले तीर्थयात्रियों के अलावा धार रोड से श्रीनगर जाने वाले पर्यटकों की पहुंच में है। इतना ही नहीं यह क्षेत्र जम्मू संभाग में पैराग्लाइडिग गतिविधियों को शुरू कर पैर जमाने में सहायक होगा।

इसी तरह टीम ने प्रशासन को पंचैरी के धार लद्दा में भी ट्रॉयल की जानकारी देते हुए बताया कि आसपास के पर्वतीय स्थल को भी नापती यह जगह पैराग्लाइडिग के लिए सोने की खान है। इसका टेकऑफ प्वाइंट 7250 फीट की ऊंचाई पर और लैंडिग एरिया पश्चिमी तलहटी पर करीब 4000 फीट की उंचाई पर स्थित है। धार लद्दा में ग्लाइडर को नीचे लैंडिग एरिया में पहुंचने में 20 मिनट से ज्यादा का समय लगता है। मगर इस जगह टेकऑफ व लैंडिग एरिया तक पहुंचने के दो अलग रूट होना बाधा है। टेकऑफ प्वाइंट तक चिनैनी की तरफ से और लैंडिग क्षेत्र तक कैंथगली की तरफ से अलग-अलग मार्ग हैं। इस जगह पर साहसिक खेलों के शौकीन पर्यटकों को लाने और इस इलाके में पैराग्लाइडिग को व्यावसायिक तौर पर शुरू करने के लिए दोनों रास्तों को जोड़ने की जरूरत है। इसके अलावा बिजली की लाइनें भी समस्या है।

तवी एडवेंचर्स ट्रॉयल के बाद पैराग्लाइडिग को व्यावसायिक तौर पर शुरू करने के लिए अपनी व्यवहार्यता रिपोर्ट तैयार कर पर्यटन निदेशालय को सौंपेगी। इसके अलावा इन इलाकों में नियमित पैराग्लाइडिग शुरू करने के लिए विभिन्न एनओसी और मंजूरी की भी जरूरत होगी।

वहीं, तवी एडवेंचर्स के जीसी ओबेरॉय ने बताया कि तवी एडवेंचर्स पूरे जम्मू क्षेत्र में पैराग्लाइडिंग की शुरुआत करना चाहती है। क्योंकि यह जगह साहसिक हवाई खेल गतिविधि के संचालन के लिए उपयुक्त स्थानों से भरा है। इनमें से कुछ स्थानों के तो दुनिया के शीर्ष पैराग्लाइडिग केंद्र में शुमार होने तक की संभावना है, मगर इन सभी को बेहतर सड़क संपर्क से जोड़ना बेहद जरूरी है। तवी एडवेंचर्स सड़क संपर्क से जुड़े टेकऑफ प्वाइंट और आरामदायक लैंडिग वाले एरिया को खोज रही थी। इसके तहत ऊधमपुर में रामनगर के पिगला माता और धार लद्दा का चयन किया। उन्होंने कहा कि तवी एडवेंचर्स पर्यटन विभाग के साथ पंजीकृत टूर ऑपरेटर है। तवी एडवेंचर्स इस क्षेत्र की विशाल साहसिक पर्यटन क्षमता की खोज कर बढावा देने के उद्देश्य से काम कर रही है।

इससे पहले कठुआ जिले के बसोहली और बनी के बीच स्थित सियरा में पैराग्लाइडिग ट्रॉयल आयोजित कर चुके हैं, जहां से रणजीत सागर झील का लुभावना दृश्य नजर आता है। यहां पर टेकऑफ और लैंडिंग प्वाइंट के बीच ऊंचाई का इतना अंतर है कि यह हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध पैराग्लाइडिग स्थल बीर-बिलिग की तुलना में अधिक बड़ी उड़ान भरने की जगह देता है। जिले में पैराग्लाइडिग के लिए तवी एडवेंचर्स ने दो जगह रामनगर के पिगला माता क्षेत्र और पंचैरी में लद्दा धार इलाके में ट्रॉयल किया है। इसमें से रामनगर के पिगला माता क्षेत्र को चयनित किया गया है। मगर यह प्रक्रिया अभी बेहद आरंभिक चरण में है। पैराग्लाइडिग शुरू करने के लिए अभी कई औपचारिकताएं पूरी कर अनेक मंजूरियां और एनओसी लेनी होगी। यह सब होने के बाद ही पैराग्लाइडिग शुरू हो पाएगी और इसमें समय लगेगा। सबकुछ ठीक रहा तो ऊधमपुर के आसमान पर पैरालाइडर्स उड़ान भरते हुए जल्द देखे जा सकेंगे।

डॉ. पियूष सिंगला, डीसी ऊधमपुर


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