मचैल माता की पवित्र छड़ी पहुंची गुलाबगढ़
संवाद सहयोगी किश्तवाड़ 18 अगस्त को जम्मू से चली मचैल माता की पवित्र छड़ी बुधवार को सुबह मचै
संवाद सहयोगी, किश्तवाड़ : 18 अगस्त को जम्मू से चली मचैल माता की पवित्र छड़ी बुधवार को सुबह मचैल गांव स्थित माता चंडी के दरबार से चलकर शाम के समय गुलाबगढ़ पहुंच गई। इसके साथ ही मचैल धाम में गए सैकड़ों यात्री छड़ी के साथ गुलाबगढ़ पहुंचे।
परंपरा के मुताबिक 22 अगस्त को माता चंडी की पवित्र छड़ी मचैल धाम में पहुंची थी। वहां पर छड़ी का भव्य स्वागत किया गया। मंगलवार को मचैल धाम में हवन यज्ञ किया गया और पूर्णाहुति के बाद कुड नृत्य करके माता चंडी को प्रसन्न किया गया। शाम की आरती के बाद रातभर जगराता होता रहा। बुधवार को सुबह मचैल गांव के सभी लोग और यात्री मंदिर परिसर में इकट्ठा हो गए और माता की पवित्र छड़ी की विदाई की तैयारियां होने लगीं। कुछ समय बाद माता की पवित्र छड़ी का त्रिशूल मंदिर से बाहर निकाला गया और चारों तरफ माता के जयकारे लगने लगे। सभी लोग नम आंखों से छड़ी की विदाई के लिए वहां खड़े दिखाई दिए। ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई अपनी बेटी को घर से विदा कर रहा हो। उस समय एक ही भजन सबकी जुबान पर था हमें भूल ना जाना मां, अपने भक्तों को हर साल बुलाना मां। जैसे ही यह भजन समाप्त हुआ तो मंदिर के मुख्य पुजारी त्रिशूल उठाकर धीरे-धीरे करके आगे बढ़ने लगे और बाकी लोग उनके पीछे-पीछे माता के जयकारे लगाते हुए आगे बढ़ते गए। भोट नाला के किनारे तक माता की पवित्र छड़ी को मचैल गांववासियों ने पहुंचाया। उसके बाद जम्मू से आए जैन परिवार के लोगों को छड़ी का त्रिशूल सौंप दिया गया और शाम के समय छड़ी मुबारक गुलाबगढ़ पहुंच गई। वीरवार को माता का त्रिशूल जम्मू के लिए रवाना कर दिया जाएगा।