किश्तवाड़ का 'लादेन' हत्थे चढ़ा
जागरण संवाददाता, किश्तवाड़ : युवाओं को आतंकवाद के दलदल में धकेल चिनाब वैली (डोडा-
जागरण संवाददाता, किश्तवाड़ : युवाओं को आतंकवाद के दलदल में धकेल चिनाब वैली (डोडा-किश्तवाड़-रामबन) को सुलगाने की साजिश एक बार फिर पुलिस ने नाकाम बना दी है। शनिवार देर रात पुलिस ने हिजबुल मुजाहिदीन के एक वांटेड आतंकी रियाज अहमद को गिरफ्तार कर लिया। उसे किश्तवाड़ का ओसामा बिन लादेन भी कहा जाता है। रियाज हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर मोहम्मद अमीन उर्फ जहांगीर सरूड़ी का दायां हाथ माना जाता है।
रियाज आतंकवाद के कई मामलों में वांछित है। वह काफी अरसे से सरूड़ी के साथ उसका अंगरक्षक बना हुआ था। खूंखार आतंकी ओसामा बिन लादेन की तरह ही वह तस्वीरें खींचाकर सोशल मीडिया में वायरल करता था। उसे चिनाब वैली में लादेन भी कहा जाता था। सरूड़ी और रियाज किश्तवाड़ में फिर आतंकवाद को खड़े करने में जुटे थे। वह युवाओं को आतंकी बनने के लिए उकसाते और संदिग्ध गतिविधियों में शामिल कराते थे। कई युवाओं को वह हिज्ब में शामिल कर चुका था। कुछ महीने पहले पुलिस ने युवाओं को बरगलाने के मामले में रियाज और उसके साथी तौसीफ गुदंना पर केस दर्ज किया था। सुरक्षा एजेंसियों को रियाज के बारे में क्षेत्र में सक्रिय होने की काफी समय से जानकारी थी, लेकिन सुराग नहीं मिल रहा था। पुख्ता सूचना मिलने पर शनिवार रात एसएचओ किश्तवाड़ इंस्पेक्टर समीर जिलानी ने एसएसपी राजेंद्र कुमार गुप्ता के निर्देशों पर रियाज को एक गुप्त ठिकाने से पकड़ा। सूत्रों के अनुसार रियाज का पता हाल ही में पकड़े गए आइएसआइ एजेंट शेहरीन शेख उर्फ अबु जुबैर की निशानदेही पर चला, लेकिन पुलिस इसकी पुष्टि नहीं कर रही। उससे पूछताछ की जा रही है। संभावना है कि रियाज से सरूड़ी के बारे में कोई जानकारी मिल जाए क्योंकि जहांगीर के बारे में सभी ठिकानों को रियाज को पता है। पुलिस ने उसके पास से किसी हथियार की बरामदगी भी नहीं दिखाई है जिससे बताया जा सके कि रियाज आतंकी बनने के बाद किस हथियार का प्रयोग आतंकी गतिविधियों में करता रहा है। एसएसपी राजेंद्र कुमार गुप्ता ने कहा कि रियाज अहमद पकड़ा गया है। उससे हथियार बरामदगी को लेकर कुछ न कहने पर उन्होंने कहा यह किसी कारण बताया नहीं जा रहा है। यदि वह यह जानकारियां अभी सार्वजनिक करते हैं तो पुलिस की जांच प्रभावित होगी। चिनाब वैली में दो दशक रहा आतंकवाद
चिनाब वैली में दो दशक तक आतंकवाद कश्मीर की तरह रहा। यहां कई बड़े नरसंहार भी हुए थे। आतंकियों के डर से लोगों को पलायन भी करना पड़ा था। इसके बाद सेना ने बड़े अभियान चलाकर डोडा-किश्तवाड़-रामबन को आठ वर्ष पहले आतंकवाद से मुक्त करवाया था, लेकिन जहांगीर सरूरी जैसे आतंकी भूमिगत हो गए थे। अब वे फिर से पैर पसार रहे हैं
---------