जागरू मेले में रातभर झूमे श्रद्धालु
संवाद सहयोगी किश्तवाड़ जिले के दूरदराज इलाका मचैल पाडर में माता चंडी का जागरू मेला संप
संवाद सहयोगी, किश्तवाड़ : जिले के दूरदराज इलाका मचैल, पाडर में माता चंडी का जागरू मेला संपन्न हो गया। रातभर श्रद्धालु ढोल-नगाड़ों की थाप पर नृत्य करके माता रानी को प्रसन्न करते हुए नजर आए।
मचैल माता चंडी के दरबार में हर साल आश्विन की पूर्णमासी को मंदिर परिसर में जागरू मेले का आयोजन किया जाता है। इसमें लकड़ी का एक बड़ा सा पंडाल मंदिर परिसर में लगाया जाता है। उसके बाद माता चंडी का परम चेला रीति-रिवाज के मुताबिक पूजा-अर्चना करने के बाद उस लकड़ी के पंडाल में आग लगाता है। जब सभी लकड़ियां आग पकड़ लेती हैं तो वहां आए लोग और माता के चेले उस आग के इर्द-गिर्द कुड नृत्य शुरू करते हैं और यह नृत्य सारी रात चलता है। लोग बारी-बारी करके नृत्य करते रहते हैं। रात के समय माता का चेला वहां से एकदम से लापता हो जाता है और सुबह के समय कायल के पेड़ की एक बड़ी सी टहनी को लेकर वह पहुंचता है और सभी लोग उस टहनी की पूजा करते हैं। लोग अपनी रीति-रिवाज के मुताबिक उसको माथा टेकते हैं। ऐसे में रातभर ऐसे कई कार्यक्रम होते रहते हैं, जोकि देखने वाले को बड़े रोमांचित लगते हैं। हालांकि कोविड-19 की वजह से बाहरी लोगों को मचैल मंदिर में जाने की इजाजत नहीं थी, लेकिन फिर भी कुछ लोग मंदिर में आ गए थे, जिन्होंने लोगों के साथ मिलकर इस जागरू मेले का पूरा लुत्फ उठाया और रातभर नाच-गाकर माता का गुणगान किया। शुक्रवार सुबह मेले की समाप्ति के बाद सभी लोग अपने-अपने घरों को लौट गए और मचेल मंदिर में इस साल का यह आखिरी बड़ा उत्सव भी समाप्त हो गया।