कभी मुर्दो के कफन से सजता था रामलीला का मंच
राजेश डोगरा रियासी कोरोना काल के बीच श्री दुर्गा नाटक मंडली रियासी के समक्ष इस नवरात्र
राजेश डोगरा, रियासी
कोरोना काल के बीच श्री दुर्गा नाटक मंडली रियासी के समक्ष इस नवरात्र में श्री रामचरितमानस पर आधारित कार्यक्रम के आयोजन में भले ही कई चुनौतियां हैं, लेकिन वर्तमान की मंडली इस बात को भी गांठ बांधे है कि वह उसी मंडली की कड़ी है जिसका मुर्दो के कफन से मंच सजा कर रामलीला मंचन का जुझारू इतिहास रहा है। सुनने में भले ही अजीब लगता हो, लेकिन यह सच है। इसका जिक्र मंडली के पूर्व प्रधान कुलदीप मैंगी व मौजूदा चेयरमैन सुदेश पंडोत्रा भी कई बार मंच पर दर्शकों से साझा कर चुके हैं। उनके अनुसार श्री दुर्गा नाटक मंडली का मंच कभी कफन से ही सजता था। उसी मंच पर भगवान श्री राम, लक्ष्मण तथा अन्य देवी-देवताओं के पात्र अभिनय से दर्शकों की वाहवाही लूटते थे।
इसके पीछे कोई मान्यता या पौराणिक कथा नहीं, बल्कि आर्थिक तंगी थी। वर्ष 1890 में स्थानीय निवासी स्व. भागमल ने श्री दुर्गा नाटक मंडली की स्थापना कर रियासी में रामलीला की शुरुआत की थी। उस दौर में मंडली की आर्थिक दशा काफी कमजोर थी। जिस पर समस्या यह आन खड़ी हुई कि मंच सजाने के लिए जरूरी संसाधन कैसे जुटाए जाएं। उस स्थिति में मंडली ने मुर्दो के कफन से मंच सजाने का निर्णय लिया। जिसका उदाहरण जम्मू-कश्मीर प्रदेश में तो क्या पूरे देश में भी कहीं सुनने को नहीं मिलता। मंडली के सदस्य श्मशान घाट से उन चद्दरों व शॉल को जमा कर लाने लगे, जिन्हें कफन के तौर पर शव पर डालने के बाद उनमें से अधिकतर को उतारकर घाट पर ही छोड़ दिया जाता था। उन्हीं के इस्तेमाल से रामलीला का मंच सजना शुरू हो गया। रात को जब रोशनी की जरूरत पड़ी तो मशालें जलाई गई। मंडली की इस मेहनत और जुझारूपन को देखकर लोग भी आगे आए और अपने घरों से केरोसिन, गैस लाइट उपलब्ध करवाने लगे। आहिस्ता-आहिस्ता लोग मंडली से जुड़ते गए और योगदान देने वालों की संख्या भी बढ़ती गई। इससे मंडली के पास मंचन के लिए जरूरी साजो-सामान भी इकट्ठा होने लगा। हिदू आश्रम, मुख्य बाजार, टाउन हॉल और राम गली में वर्षो तक खुले मैदान में लकड़ी के फट्ठे व बांस से अस्थाई मंच तैयार कर मंचन करने के बाद आज रियासी तालाब मोहल्ला में मंडली का अपना शानदार रामलीला मैदान (ओपन एयर थियेटर ) है। इसे तैयार करने में नगर पालिका और सलाल पावर स्टेशन प्रशासन ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसी के साथ कई आम लोगों ने सीमेंट, सरिया व ईंट जैसी निर्माण सामग्री दान में दी तो कई राज राजमिस्त्री ने बिना कोई पारिश्रमिक लिए अपना श्रमदान दिया। मंडली और स्थानीय लोगों ने अपने सिर पर बोझ उठाकर मजदूरों का काम किया। आज श्री दुर्गा नाटक मंडली के पास कई तरह का आधुनिक साजो-सामान है। इसके अलावा मेहनती सदस्य, प्रतिभाशाली पुरुष व महिला कलाकार के साथ इसकी विशेष पहचान है। श्री रामचरितमानस पर आधारित कई प्रांतीय प्रतियोगिताएं करवा चुकी श्री दुर्गा नाटक मंडली रियासी में हर वर्ष दशहरे का भी बड़ी धूमधाम से आयोजन करती है। कोरोना की वजह से इस बार शायद कई जगहों में रामलीला के मंच सूने रह जाएं, लेकिन श्री दुर्गा नाटक मंडली के जुझारू इतिहास को बरकरार रखते हुए वर्तमान मंडली इस बार भी रियासी में रामलीला का मंच पूरी शान से सजाएगी। कोरोना के कारण मुख्य प्रसंगों की झांकियां ही दिखाई जाएंगी
श्री दुर्गा नाटक मंडली रियासी में रामलीला के अपने गौरवशाली इतिहास को आगे बढ़ाते हुए इस नवरात्र में रामलीला का 130वां आयोजन करेगी। कोविड-19 के मद्देनजर इस बार आयोजन में कुछ बदलाव करने पड़े हैं। इनमें मुख्य प्रसंगों को झांकियों के माध्यम से प्रस्तुत करने की प्रमुखता रहेगी। दर्शकों तथा भक्तों में कलाकारों के अभिनय तथा संवाद की कमी न खले, इसके लिए मंडली कुछ नए आयोजन भी जोड़ रही है।
ज्वाला जी से आएगी ज्योति
नवरात्र में दर्शकों को ओपन एयर थियेटर में मां ज्वाला जी की पावन ज्योति के दर्शन का भी सौभाग्य प्राप्त होगा। मंडली द्वारा कांगड़ा स्थित मां ज्वाला जी से ज्योति प्रज्ज्वलित कर रियासी लाई जाएगी। इसे प्रथम नवरात्र को सुबह विधिपूर्वक ओपन एयर थियेटर में स्थापित किया जाएगा। दर्शक यदि चाहें तो उसी पावन ज्योति से अपने घर में भी ज्योति प्रज्ज्वलित कर सकते हैं। इसके अलावा राम चरित मानस कथा का संगीतमय वर्णन भी भक्तों को सुनने के लिए मिलेगा।
होगा कोविड-19 के दिशा-निर्देशों का पालन
मंडली के प्रधान संजीव खजूरिया ने बताया कि रामचरितमानस पर आधारित झांकियां रात 9 बजे से अगले डेढ़ से दो घंटे तक प्रस्तुत की जाएंगी। ओपन एयर थियेटर में दिन और रात के सभी धार्मिक आयोजन कोविड-19 के दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखकर किए जाएंगे। भक्तों और दर्शकों से आग्रह है कि वह आयोजन स्थल पर मास्क पहनने तथा सुरक्षित शारीरिक दूरी अपनाने सहित जरूरी दिशा-निर्देशों का पालन कर भगवान श्री राम और महामाई के इस काज में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें।