शहीद कमल किशोर के नाम पर हुई ग्रां मोड़-टोट सड़क
संवाद सहयोगी रियासी रियासी में ग्रां मोड़ से टोट तक लगभग 26 किलोमीटर सड़क का नाम श
संवाद सहयोगी, रियासी : रियासी में ग्रां मोड़ से टोट तक लगभग 26 किलोमीटर सड़क का नाम शहीद सिलेक्शन ग्रेड कांस्टेबल कमल किशोर के नाम पर रखा गया। इस उपलक्ष्य में बुधवार को शहीद के माता-पिता, डिवकाम, एडीजीपी, डीडीसी चेयरमैन सहित अन्य अधिकारियों, डीडीसी, बीडीसी व पंचायत प्रतिनिधियों और गणमान्य लोगों की उपस्थिति में ग्रां मोड़ में आयोजित कार्यक्रम में सड़क का नामकरण करने के साथ ही शहीद कमल किशोर की तस्वीर पर पुष्प मालाएं चढ़ाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
कार्यक्रम में एडीजीपी जम्मू जोन मुकेश सिंह ने कहा कि जम्मू कश्मीर के सपूतों की वीर गाथाएं पूरे देश में प्रसिद्ध हैं। देश में कोई भी ऐसा और राज्य नहीं है जहां इतने सपूतों ने शहादत दी है। अपनी बहादुरी के लिए शहीद कमल किशोर को मरणोपरांत वीर शौर्य चक्र का सम्मान मिलने से पूरे जम्मू कश्मीर पुलिस परिवार का सिर भी ऊंचा हो गया है। उन्होंने कहा कि ग्रां मोड़ स्थित शहीद कमल किशोर के स्कूल में शहीद की बड़ी तस्वीर या प्रतिमा लगाकर उसके साथ ही उनकी वीर गाथा लिखी जाएगी, ताकि इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे या फिर इस सड़क से गुजरने वाले लोग शहीद के जीवन से प्रेरणा ले सकें।
कार्यक्रम में डोगरी भाषा में बोलते हुए डिवकाम जम्मू राघव लंगर ने कहा कि शहीद कमल किशोर की शहादत पर उनका नाम भारत के स्वर्णिम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है। उन्होंने कहा कि मरना तो सभी को है, लेकिन जो देश और दूसरों के लिए अपने प्राण न्योछावर करते हैं, वे इतिहास में अमर हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि हर कोई ईमानदारी और लगन से अपना कर्तव्य निभाए, यही शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि है।
कार्यक्रम में डीडीसी चेयरमैन सर्राफ सिंह नाग ने कहा कि 1947 के बाद से ऐसा पहली बार हुआ है कि शहीदों को सम्मान देने के लिए सरकार द्वारा कदम उठाया गया है। ऐसे बहुत से मामले हैं जब आतंकियों के जनाजे में भारी भीड़ देखी गई, जबकि देश और समाज की रक्षा में प्राण न्योछावर करने वालों की अंतिम यात्रा में कोई नजर नहीं आता था। उन्होंने कहा कि शहीद कमल किशोर ने अपने इलाके सहित पूरे देश का मान बढ़ाया है।
ऊधमपुर-रियासी रेंज के डीआइजी मोहम्मद सुलेमान चौधरी ने कहा कि शहादत की तुलना किसी से नहीं की जा सकती। सरकार ने शहीदों को सम्मान देने के लिए सरकारी संस्थान, इमारतों व सड़कों आदि का नाम शहीदों के नाम करने का सराहनीय कदम उठाया है।
कार्यक्रम में डीसी चरणदीप सिंह, डीडीसी रियासी बाबू जगजीवन लाल भी विशेष तौर पर उपस्थित रहे। कमल किशोर ने 2018 में श्रीनगर में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में दिया था बलिदान
एसएसपी शैलेंद्र सिंह ने कहा कि कमल किशोर ने मात्र 29 वर्ष की उम्र में अपनी शहादत वर्ष 2018 के अक्टूबर माह में श्रीनगर के फतेह कदल में तब दी थी, जब आतंकियों के साथ एक भीषण मुठभेड़ में उन्होंने घायल होने के बावजूद अपने साथी जवानों की रक्षा करने के साथ ही दुश्मन को भी ठिकाने लगा दिया था। भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत देश के तीसरे सबसे बड़े बहादुरी पुरस्कार शौर्य चक्र के सम्मान से नवाजा। कार्यक्रम में शहीद की माता गीता देवी और पिता मोहनलाल को सम्मानित किया गया। इसके बाद राष्ट्रीय गान से कार्यक्रम का समापन हुआ। पिता बोले-बेटे के बलिदान पर मुझे गर्व
शहीद कमल किशोर के पिता मोहन लाल का कहना है कि आज उन्हें शहीद के पिता के नाम से जाना जा रहा है। इसके लिए उन्हें गर्व है। उनके बेटे के शौर्य की बदौलत क्षेत्रवासियों का मिला प्यार और जिला एवं पुलिस प्रशासन के अपनेपन से उन्हें काफी सुकून मिला है। उन्होंने कहा कि सड़क का नाम मेरे बेटे के नाम पर करके उसका मान और बढ़ाया गया है। जो लोग इधर से गुजरेंगे वे याद रखेंगे कि कमल किशोर ने देश के लिए अपना बलिदान दिया था।