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स्कूलों में इंतजार करते रहे शिक्षक, नहीं पहुंचे विद्यार्थी

संवाद सहयोगी कटड़ा कोरोना महामारी के चलते बीते मार्च महीने में शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों क

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Sep 2020 07:11 AM (IST)Updated: Tue, 22 Sep 2020 07:11 AM (IST)
स्कूलों में इंतजार करते रहे शिक्षक, नहीं पहुंचे विद्यार्थी
स्कूलों में इंतजार करते रहे शिक्षक, नहीं पहुंचे विद्यार्थी

संवाद सहयोगी, कटड़ा : कोरोना महामारी के चलते बीते मार्च महीने में शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों को बंद कर दिया था। करीब छह महीने के बाद एक बार फिर शिक्षा विभाग ने स्कूलों को खोलने की इजाजत दे दी है। सोमवार को स्कूलों में शिक्षक तो पहुंचे, परंतु विद्यार्थी नदारद रहे।

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शिक्षा विभाग ने नौवीं कक्षा से ऊपर के विद्यार्थियों के लिए स्कूल खोलने की अनुमति दी है। दिशा निर्देश के तहत परिजनों को अपने बच्चों को स्कूल जाने की अनुमति देनी थी। जिसके तहत शिक्षा विभाग द्वारा दिए गए फार्म को भरना अनिवार्य है, परंतु पहले दिन किसी भी परिजन ने अपने बच्चे को स्कूल नहीं भेजा। कोरोना के लगातार बढ़ रहे मामलों के चलते शायद अभिभावक अपने बच्चों की जान जोखिम में नहीं डालना चाहते।

हायर सेकेंडरी स्कूल कटड़ा के प्रिंसिपल एनके शर्मा, त्रिकुटा पब्लिक हायर सेकेंडरी स्कूल के प्रिंसिपल वीएल चिरागी आदि ने बताया कि विभाग के दिशा निर्देशों के तहत सभी तरह की तैयारिया स्कूलों में पूरी कर ली गई हैं और विद्यार्थियों के परिजनों को फार्म भरने संबंधी सूचना दे दी गई थी, लेकिन पहले दिन किसी ने भी फार्म नहीं भरा और कोई भी विद्यार्थी स्कूल में नहीं पहुंचा है। हो सकता है कि आने वाले दिनों में विद्यार्थी स्कूलों की ओर रुख करें, जिसका वे इंतजार कर रहे हैं। नगर के हायर सेकेंडरी स्कूल के साथ ही सरकारी ग‌र्ल्स हाई स्कूल, हाई स्कूल कुन्न द्रोड़िया, निजी त्रिकूटा पब्लिक हायर सेकेंडरी स्कूल पहले ही दिन पूरी तरह से खाली रहे।

हालाकि अपने बच्चों के भविष्य को लेकर अभिभावकों को चिंता तो है, परंतु शिक्षा विभाग व राज्य प्रशासन शायद बच्चों के प्रति कोई भी दायित्व लेने में आनाकानी कर रहे हैं। परिजनों को पहले शिक्षा विभाग द्वारा जारी फार्म को भरना होगा, जिसमें यह स्पष्ट है कि बच्चे की पूरी जिम्मेदारी परिजनों की रहेगी। इसलिए फिलहाल वे बच्चों को स्कूल भेजने में कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहते हैं। हा, अगर राज्य प्रशासन व शिक्षा विभाग बच्चों की जिम्मेदारी अपने ऊपर लें तो शायद परिजन अपने बच्चों को स्कूल भेजने के बारे में सोच सकते हैं।


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