Move to Jagran APP

रियासी में धूल फांक रहा 29 लाख की लागत से तैयार कैटल पांड

राजेश डोगरा रियासी रियासी शहर में लावारिस मवेशियों की समस्या से निजात दिलाने के लिए लग

By JagranEdited By: Published: Wed, 08 Dec 2021 06:45 AM (IST)Updated: Wed, 08 Dec 2021 06:45 AM (IST)
रियासी में धूल फांक रहा 29 लाख की लागत से तैयार कैटल पांड
रियासी में धूल फांक रहा 29 लाख की लागत से तैयार कैटल पांड

राजेश डोगरा, रियासी :

loksabha election banner

रियासी शहर में लावारिस मवेशियों की समस्या से निजात दिलाने के लिए लगभग 29 लाख रुपये की लागत से बनाया गया कैटल पांड धूल फांक रहा है। चार साल पहले इसका निर्माण हुआ था। कुछ दिन लावारिस मवेशियों को पकड़कर इसमें रखा गया। उसके बाद बंद हो गया। अब इसका इस्तेमाल न होने से लावारिस मवेशियों की समस्या जस की तस बनी हुई है, जिससे लोग परेशान हैं।

रियासी के अंजी इलाके में बनाए गए कैटल पांड का उद्घाटन वर्ष 2017 के सितंबर माह में तत्कालीन राज्यमंत्री अजय नंदा ने किया था। इस कैटल पांड में लगभग 30 मवेशियों को रखने की व्यवस्था है। लोकार्पण के बाद शुरुआत में शहर में घूमने वाले लावारिस मवेशियों को पकड़कर कैटल पांड में रखा गया था, लेकिन उस तरह की मुहिम गिनी-चुनी बार ही चलाई गई और फिर बंद कर दी गई। ऐसे में कैटल पांड पर लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद समस्या का समाधान नहीं हुआ।

रियासी शहर में लावारिस मवेशियों की भरमार है। कई लोग मवेशियों का दूध निकालकर सुबह बिना कोई चारा डाले घर से बाहर खदेड़ देते हैं। उसके बाद भूख शांत करने के लिए शहर के गली-बाजारों में मंडराते मवेशी खाने के लिए फल, सब्जी आदि की दुकानों और रेहड़ियों पर मुंह मारते हैं तो उन पर लाठियां बरसती हैं। ऐसे में कूड़े के ढेर में मवेशी खाने की तलाश में पालीथिन, कागज आदि जो भी मिले, वही खाने पर मजबूर हैं। लावारिस मवेशियों की वजह से कई समस्याएं भी हैं। उनके यहां-वहां मंडराने से गंदगी फैलती है तो वहीं सड़कों पर जाम की स्थिति पैदा हो जाती है। कई बार वाहनों की चपेट में आकर मवेशी घायल हो जाते हैं तो कइयों की मौत भी हुई है। बनने के बावजूद कैटल पांड का इस्तेमाल न होने से लोगों के समक्ष कई तरह की समस्याएं बनी हुई हैं, जबकि मवेशी भी एक तरह से बेरहमी का शिकार हो रहे हैं। लावारिस मवेशियों को कई बार कैटल पांड में ले जाया गया था, लेकिन अधिकतर मवेशियों के मालिक ही उन्हें छुड़ाने नहीं आए। ऐसे में लगभग आधा दर्जन मवेशियों को आक्शन किया गया था, यानी बोली लगाकर दूसरे को दे दिया गया। मवेशियों को आक्शन में लेने वाले अधिकतर लोग उन्हें माहौर ले गए थे। इसके अलावा कुछ मवेशियों की कैटल पांड में मौत भी हुई थी। इन सबका आम लोगों ने विरोध जताया था, जिस पर जिला प्रशासन के कहने पर लावारिस मवेशियों को कैटल पांड में ले जाना बंद कर दिया। क्षेत्र में किसी द्वारा गोशाला बनाई जा रही है, जिसके बन जाने पर लावारिस मवेशियों को वहीं रखा जाएगा। जबकि बने हुए कैटल पांड का कोई और इस्तेमाल किया जाएगा।

- ठाकरदास, एग्जीक्यूटिव आफिसर, नगर परिषद रियासी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.