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दो फाड़ रियासी बार, एक दूसरे की वैधता पर उठा रहे सवाल

संवाद सहयोगी, रियासी : आपसी गुटबाजी के चलते रियासी में दो फाड़ हुई बार एसोसिएशन के दोना

By JagranEdited By: Published: Wed, 13 Feb 2019 07:38 PM (IST)Updated: Wed, 13 Feb 2019 07:38 PM (IST)
दो फाड़ रियासी बार, एक दूसरे की वैधता पर उठा रहे सवाल
दो फाड़ रियासी बार, एक दूसरे की वैधता पर उठा रहे सवाल

संवाद सहयोगी, रियासी : आपसी गुटबाजी के चलते रियासी में दो फाड़ हुई बार एसोसिएशन के दोनों पक्षों द्वारा एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। नवगठित एसोसिएशन के प्रधान एडवोकेट पवन देव ¨सह की अध्यक्षता में नवगठित पक्ष द्वारा बुधवार को फिर से प्रेस वार्ता की गई। जिसमें उन्होंने मंगलवार को प्रेस वार्ता करने वाली एडवोकेट मोहम्मद सरवर मीर की प्रधानता वाली एसोसिएशन को हवा में करार देते हुए कई आरोप लगाए।

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पवन देव ¨सह ने कहा कि रियासी बार एसोसिएशन अभी तक पंजीकृत नहीं हुई है। अभी तक सर्वसम्मति से ही एसोसिएशन के पदाधिकारी चुने जाते रहे हैं। पहले एडवोकेट मोहम्मद सरवर मीर को सर्वसम्मति से एसोसिएशन का प्रधान मनोनीत किया गया था और अभी उनका 3 माह का कार्यकाल बाकी था। इसी बीच उपजे हालात के कारण 5 फरवरी को अविश्वास प्रस्ताव लाते हुए एसोसिएशन के लगभग 70 सदस्य एक तरफ हो गए और एसोसिएशन का नव गठन कर उन्हें प्रधान मनोनीत किया गया। पवन देव ¨सह ने आरोप लगाया कि पहली एसोसिएशन के उच्च पदाधिकारी द्वारा अपनी पर्सनल फेसबुक पर भारतीय सेना के खिलाफ टिप्पणी की गई तथा पत्थरबाजों को आम नागरिक बताया गया। दिसंबर माह में कश्मीर के पुलवामा में आंतकवादियों और सेना के बीच हुई मुठभेड़ में 7 पत्थरबाज मारे गए थे। पवन देव ¨सह ने आरोप लगाया कि एसोसिएशन के उच्च पदाधिकारी द्वारा उस घटना में सेना के खिलाफ तो पत्थरबाजों से हमदर्दी जताते हुए सोशल मीडिया पर टिप्पणी की गई थी। जिसे कोई भी राष्ट्रवादी बर्दाश्त नहीं कर सकता। इसी वजह से अविश्वास पत्र ला कर एसोसिएशन का नवगठन करना पड़ा। उन्होंने कहा कि बात अगर सेना या राष्ट्र से न जुड़ी होती तो जहां तक नौबत न आती। उन्होंने कहा कि उक्त एडवोकेट को सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए माफी मांगनी होगी।

यहां बता दें कि मंगलवार को प्रधान एडवोकेट मोहम्मद सरवर मीर की अध्यक्षता में बार एसोसिएशन के दूसरे पक्ष द्वारा प्रेस वार्ता की गई थी जिसमें उन्होंने नवगठित पक्ष पर कई आरोप प्रत्यारोप लगाने के अलावा खुद पर लगे आरोपों को बेबुनियाद करार दिया था।


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