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एआरटीओ रियासी निलंबित, आरटीओ जम्मू कार्यालय में अटैच

संवाद सहयोगी रियासी रियासी में एआरटीओ रमेश कुमार समोत्रा का विभाग द्वारा तीन माह से भी अधिक

By JagranEdited By: Published: Sat, 21 Nov 2020 01:14 AM (IST)Updated: Sat, 21 Nov 2020 01:14 AM (IST)
एआरटीओ रियासी निलंबित, आरटीओ जम्मू कार्यालय में अटैच
एआरटीओ रियासी निलंबित, आरटीओ जम्मू कार्यालय में अटैच

संवाद सहयोगी, रियासी : रियासी में एआरटीओ रमेश कुमार समोत्रा का विभाग द्वारा तीन माह से भी अधिक समय से अकाउंट बंद करने के बाद शुक्रवार को सरकार ने निलंबित कर उन्हें आरटीओ जम्मू कार्यालय में अटैच कर दिया। इससे रियासी एआरटीओ कार्यालय का काम न केवल पहले से ज्यादा प्रभावित होता दिख रहा है, बल्कि इसी बीच लोगों ने यह सवाल उठाना शुरू कर दिया है कि जब मामला सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल जम्मू बेंच में विचाराधीन है तो फिर उसका फैसला आने से पहले सरकार अपना फैसला कैसे दे सकती है।

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इस सारे मामले की शुरुआत बीते 27 जुलाई को हुई थी, जब रियासी के एआरटीओ रमेश कुमार समोत्रा का किश्तवाड़ में तबादले का आदेश जारी हुआ था। लेकिन रिलीव होने से पहले ही रमेश कुमार समोत्रा ने सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल बेंच से स्टे ले लिया था। उसके बाद रमेश कुमार समोत्रा का अकाउंट बंद कर दिया गया, जिससे एआरटीओ कार्यालय के काम प्रभावित होने लगे। शुक्रवार को एआरटीओ रमेश कुमार समोत्रा को निलंबित करने का सरकारी आदेश जारी हो गया, लेकिन लोगों के काम तब भी नहीं होते दिख रहे। क्योंकि कैट के स्टे ऑर्डर के मुताबिक अगली सुनवाई तक रमेश समोत्रा ही एआरटीओ रियासी हैं। विभाग का सारा रिकॉर्ड भी उन्हीं के पास है। अब सवाल यह खड़ा होता है कि जब समोत्रा को निलंबित कर आरटीओ कार्यालय जम्मू में अटैच कर दिया गया तो रियासी में एआरटीओ कार्यालय का काम कैसे चलेगा।

इस बारे में एआरटीओ रमेश कुमार समोत्रा ने बताया कि उनका किश्तवाड़ तबादले का आदेश हुआ था, लेकिन रिलीव होने से पहले ही उन्हें इस बात पर कैट से स्टे मिल गया था कि अभी यहा उनका कार्यकाल पूरा नहीं हुआ हैं। उन्होंने बताया कि आदेश में इस बात का उल्लेख है कि अगली सुनवाई तक वह एआरटीओ रियासी के तौर पर अपनी सेवाएं जारी रखेंगे। लेकिन उससे पहले शुक्रवार को उन्हें निलंबित कर जम्मू एआरटीओ कार्यालय में अटैच करने का आदेश जारी हुआ है। जिसके पीछे उन्हें किश्तवाड़ में ज्वाइन न करने के अलावा कैट को गुमराह करने का तर्क देकर कैट की कार्यप्रणाली पर ही सवाल खड़ा कर सीधे-सीधे कानून को ही चुनौती दे डाली है।


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