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मचैल श्रद्धालुओं की सहायता करने में सेना सबसे आगे

बलवीर सिंह जम्वाल किश्तवाड़ सुरक्षा के साथ-साथ यात्रियों की सुविधा का भी पूरा ध्यान रखा जा

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Aug 2022 01:36 AM (IST)Updated: Thu, 25 Aug 2022 01:36 AM (IST)
मचैल श्रद्धालुओं की सहायता करने में सेना सबसे आगे
मचैल श्रद्धालुओं की सहायता करने में सेना सबसे आगे

बलवीर सिंह जम्वाल, किश्तवाड़ :

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सुरक्षा के साथ-साथ यात्रियों की सुविधा का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है। चाहे आतंकवाद का खात्मा हो या आपरेशन सद्भावना के तहत लोगों की मदद करना, सेना हमेशा बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती रही है।

इसके साथ ही पिछले एक महीने से किश्तवाड़ के पाडर इलाके में चल रही मचैल यात्रा में सेना ने लोगों की सहायता करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। सेना की 17 राष्ट्रीय राइफल ने डुल इलाके में अपनी पोस्ट पर यात्रियों के खाने-पीने व बैठने का इंतजाम किया है। उसके बाद सेना वहां यात्रियों की गिनती के साथ-सथ उनकी पूरी जानकारी लेती है, ताकि किसी को कोई परेशानी न आए। वहां से निकलने के बाद सेना ने कजाई गांव में भी अपना एक शिविर स्थापित किया है। वहां भी वाहनों को रोककर लोगों से पूछा जाता है कि किसी को कोई परेशानी या कोई व्यक्ति बीमार तो नहीं है। इसके साथ ही गुलाबगढ़ में सेना ने पिछले एक महीने से चिकित्सा शिविर लगाया हुआ है, जिसमें हर मरीज यात्री की जांच करके उसमें दवाई दी जाती है। इसके साथ कुंडेल में 17 राष्ट्रीय राइफल ने 54 इंजीनियर रेजीमेंट की मदद से एक बैली फुल तैयार किया है, जिस पर यात्री आसानी से आर-पार हो रहे हैं। अगर यह बैली पुल जल्दी तैयार नहीं होता तो यात्रियों को काफी कठिनाई आती और कठिन रास्ते से अपना सफर तय करना पढ़ सकता था। राष्ट्रीय राइफल ने कुंडेल से लेकर मचैल तक यात्रियों की सुरक्षा के लिए अपनी पेट्रोलिंग रखी है। अगर किसी भी यात्री को कोई परेशानी आती है तो राष्ट्रीय राइफल के जवान तुरंत उसकी सहायता में जुट जाते हैं।

मचैल में भी राष्ट्रीय राइफल ने चिकित्सा शिविर लगाया है। वहां भी रोजाना सैकड़ों यात्री सेना के चिकित्सा शिविर में अपना इलाज करवा कर दवाइयां प्राप्त कर रहे हैं। राष्ट्रीय राइफल की इस मुहिम से यात्रियों ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि सेना हमेशा हम लोगों की मदद के लिए आगे रहती है, इसलिए हम सेना को सैल्यूट करते हैं। वहीं, किश्तवाड़ में स्थित 118 आरसीसी ग्रेफ भी किसी भी तरह से पीछे नहीं है। किश्तवाड़ से लेकर गुलाबगढ़ तक की 63 किलोमीटर सड़क 118 आरसीसी के अधीन है, जिसके चलते आरसीसी ने अपनी कई मशीनें सड़कों पर रखी है, ताकि कहीं भी किसी पहाड़ से मलबा गिर जाए या किसी और वजह से सड़क बंद हो जाए तो उसे तुरंत खोल दिया जाता है, ताकि यात्रियों को कोई परेशानी न आए। हालांकि किश्तवाड़ से लेकर गुलाबगढ़ तक 63 किलोमीटर सड़क तकरीबन 95 प्रतिशत ब्लैकटाप हो चुकी है और जो पांच प्रतिशत बचता है उस पर भी काम चल रहा है। हालांकि ग्रेफ भी सेना का ही एक अंग है, लेकिन हर अंग का अपना अपना काम है, जिसे बखूबी से निभाया जा रहा है और यात्रियों को सहूलियत दी जा रही है।


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