पहले और जल्द शराब लेने के लिए उतावले रहे लोग,
दो महीने के बाद सरकार के निर्देश पर शहर के बाहर स्थित शराब की दुकानों को वीरवार को खोला गया। इसकी सूचना मिलते ही शराब दुकानों के बाहर लोगों की लंबी-लंबी कतारें सुबह से शाम तक लगी रही।
संवाद सहयोगी, ऊधमपुर : दो महीने के बाद सरकार के निर्देश पर शहर के बाहर स्थित शराब की दुकानों को वीरवार को खोला गया। इसकी सूचना मिलते ही शराब दुकानों के बाहर लोगों की लंबी-लंबी कतारें सुबह से शाम तक लगी रही। हर व्यक्ति पहले और जल्दी शराब लेने के लिए उतावले और बावले हो रहे थे। हालात ऐसे थे कि जैसे हलक से नीचे उतरने से पहले शराब का सुरूर लोगों पर छा गया। कोरोना से बेखौफ लोग शारीरिक दूरी बनाए रखना भी भूल चुके थे। शहर के साथ लगते बट्टलबालियां में स्थित शराब दुकान के बाहर मेले जैसा दृश्य बना रहा।
शराब की दुकानें खोलने से पहले आदेश था कि शराब लेने के लिए आने वालों को मास्क लगाकर और शारीरिक दूरी बनाकर अपनी बारी का इंतजार करना होगा। लेकिन बोतलों में बंद शराब ने लोगों पर जैसे जादू कर दिया। दुकान पर पहुंचे वाले लोगों को न मास्क का ख्याल था और न जमीन पर बनाए गए गोले का। सभी काउंटर पर एक साथ पहुंच रहे थे। लोगों को यह एहसास तक नहीं था कि उनकी शराब के लिए यह बदहवासी कितना खतरनाक स्थिति उत्पन्न कर सकती है। चंद मिनट में लोग कोरोना जैसे घातक वायरस को भूल गए थे। हैरानी की बात है कि मौके पर मौजूद पुलिस के जवान भी लोगों को शारीरिक दूरी बनाए रखने के लिए टोक तक नहीं रहे थे। वे मान चुके थे कि कोई उनकी मानेगा नहीं। चिलचिलाती धूप में भी लोग बड़े धैर्य से शराब के लिए घंटों इंतजार करते रहे।
हालांकि सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक शराब की दुकानों को खोलने का आदेश था। हर कोई आराम से शराब ले सकता था, लेकिन शराब चीज ही ऐसी है कि सब्र किसे? दूसरी यह डर भी कि उनकी बारी आते-आते स्टॉक खत्म न हो जाए। इसके चलते कोई चार-पांच तो कोई दस-दस बोतलें खरीद रहा था। बहरहाल, शराब लेने के लिए नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई गई। अब लोगों की यह बेपरवाही कितना भारी पड़ता है, यह तो वक्त ही बताएगा। शराब दुकान के बाहर पार्किंग जैसे हालात शहर के बीच में किसी भी शराब दुकान को खोलने की अनुमति नहीं मिली है। शहर के साथ लगते राजमार्ग पर स्थित बट्टबालियां व जगानू मोड़ पर स्थित दुकानों को खोला गया। दुकान खुलते ही वहां मेला लग गया। शहर के बाहरी क्षेत्रों से लोग दोपहिया और चार पहिया वाहनों से पहुंचने लगे। शराब दुकान के पास सड़क किनारे पार्किंग जैसे दृश्य उत्पन्न हो गए।
शराब लेने के लिए दिव्यांग भी नहीं रहे पीछे
दो महीने बाद खुली शराब की दुकान के बाहर जहां एक तरफ शराब लेने के लिए युवाओं व अन्य लोगों की भीड़ देखने को मिली, वहीं दिव्यांग भी पीछे नहीं रहे। दिव्यांग लोग लाइन से आगे जाकर खड़े हो जाते। लोग कोई चार बोतलें ले रहा था तो कोई दस।