त्योहारों पर अपनों का मुंह मीठा कराएं पर सावधानी से
अमित माही, ऊधमपुर शारदीय नवरात्र के बाद शुरू हुआ त्योहारों का सीजन परवान पर है। कुछ
अमित माही, ऊधमपुर
शारदीय नवरात्र के बाद शुरू हुआ त्योहारों का सीजन परवान पर है। कुछ ही दिन में धनतेरस, दीपावली और भैय्या दूज पर्व है। इसके चलते बाजार में मिठाइयों की मांग और मिठाइयों में मिलावट का खतरा भी बढ़ गया है। हालांकि त्यौहारी सीजन में महानगरों की तुलना में ऊधमपुर में मावे और दूध की आपूर्ति स्थानीय स्तर पर होती है। फिर भी इस बात की पूरी गारंटी नहीं कि त्योहारों पर शुद्ध मिठाई ही खाने को मिलेगी इसलिए त्योहारों पर अपना और अपनों का मुंह मीठा कराएं पर जरा सावधानी से।
मिठाइयों में बढ़ रही मिलावट के खतरे से बचने के लिए कई लोग घर पर ही मिठाइयां बनाते हैं मगर इनमें प्रयोग होने वाली सारी सामग्री बाजार से खरीदी जाती है। इसमें भी मिलावट का खतरा रहता है।
त्योहारों पर बढ़ जाती है मावा की मांग
ऊधमपुर में बड़ी हलवाई की दुकानों को मिला कर 100 के करीब दुकानें हैं। सामान्य दिनों में ढाई से तीन ¨क्वटल मावा की मांग रहती है जो त्यौहारों के सीजन में बढ़ कर 18 से 20 ¨क्वटल प्रतिदिन पहुंच जाती है। इसी तरह दूध की मांग भी सामान्य दिनों की तुलना में 10 से 15 प्रतिशत बढ़ती है। पनीर की मांग 25 से 30 प्रतिशत बढ़ती है। मांग बढ़ने से मिलावट की आशंका बढ़ जाती है।
ऊधमपुर में नहीं है मिलावट का कोई डर
मिलावट का ज्यादा डर महानगरों में होता है। ऊधमपुर में मावा और दूध की जितनी मांग रहती है उतनी जिले में ही पूरी हो जाती है क्योंकि इस सीजन में गुज्जरों के डेरे ऊधमपुर के निचले इलाकों में आ जाते हैं। इससे पर्याप्त मात्रा में मावा, पनीर और दूध प्राप्त होता है अलबता मिलावट का थोड़ा बहुत खतरा इसलिए रहता है कि क्योंकि कुछ हलवाई त्योहारों के सीजन में जम्मू और पंजाब से माल मंगवाते हैं मगर वह भी बहुत ज्यादा नहीं होता। वैसे भी जो हलवाई जम्मू से माल मंगवाता है वह बढि़या ही मंगवाता है। यदि उसमें कोई मिलावट हो तो कहा नहीं जा सकता मगर ऊधमपुर में बनने वाली मिठाइयों में मिलावट का खतरा नहीं है। ऊधमपुर में सभी हलवाई शुद्धता जांचने के लिए वैज्ञानिक की बजाय पारंपरिक तरीकों से ही जांच करते हैं।
पवन कुमार जंडियाल, प्रधान हलवाई एसोसिएशन ऊधमपुर
मिलावट को ऐसे पहचानें
ध्यान रखें किसी मिठाई का रंग ज्यादा गहरा होने पर उसे कभी न खरीदें क्योंकि गहरे रंग की मिठाइयों में सक्रीन या अन्य रसायनिक तरीकों से बनी चीजें मिली होने का खतरा रहता है।
चांदी का वर्क भी हो सकता है नकली
मिठाइयों पर लगा चांदी का वर्क काफी सुंदर लगता है मगर यह भी नकली और मिलावट वाला हो सकता है। चांदी के वर्क को उंगलियों में मसल कर देखें। यदि वह इकट्ठा होगर गोला बन जाए ते यह नकली है। असली होने पर वर्क मसलने पर मिट जाता है।
ऐसे पहचानें दूध की मिलावट
दूध में मिलावट का पता लगाने के लिए आधा कप दूध लें जिसमें आधा कप पानी मिलाएं। अगर झाग बने तो समझें कि इसमें डिटर्जेट मिला हो सकता है।
-दूध ¨सथेटिक है या नहीं यह भी आसानी से पता लगाया जा सकता है। ¨सथेटिक दूध को गर्म करने पर इसका रंग हल्का पीला हो जाता है।
दूध में पानी की मिलावट जांच के लिए शीशे की सतह या प्लेट पर दूध की कुछ बूंदें डाल कर शीशे और प्लेट को हल्का सा उठाएं। अगर बूंद ढलान वाली दिशा में जाते समय निशान छोड़ती है तो मिलावट नहीं है। निशान न छोड़े तो मिलावट है। ऐसे पकड़ें खोये (मावा) में मिलावट
शुद्ध मावा बेहद स्वादिष्ट होता है। दोनों उंगलियों में लेकर मसलने पर यह घुल कर गायब हो जाता है और उंगलियों पर चिकनाहट छोड़ देता है। इसे चखने से उमदा किस्म का स्वाद आता है। मावा मिलावट वाला है या नहीं इसके लिए फिल्टर आयोडीन लें। मावा पर फिल्टर आयोडीन की 2-3 बूंदें डाल दें। जहां पर बूंदें डाली गई है, यदि उस जगह से मावा काला हो जाता है तो मावा मिलावट है। मावा की पहचान के लिए एक दूसरा तरीका मावा को दो उंगलियों के बीच लेकर लगातार मसलें। यदि यह दानेदार लगे या पूरी तरह न घुले तो इसमें मिलावट हो सकती है। मावा को चख कर देखें, बकबका, कड़वा या स्वाद रहित होने पर मिलावटी है।