इंजीनियरिग की बेजोड़ मिसाल है कौड़ी पुल
राजेश डोगरा रियासी जम्मू संभाग के रियासी जिले में चिनाब नदी पर बन रहा विश्व का सबसे ऊ
राजेश डोगरा, रियासी :
जम्मू संभाग के रियासी जिले में चिनाब नदी पर बन रहा विश्व का सबसे ऊंचा रेलवे पुल विश्वभर में इंजीनियरिग की बेजोड़ मिसाल कायम करेगा। कटड़ा से बनिहाल रेल संपर्क वाले 125 किलोमीटर लंबे चिनाब रेल पुल को पेरिस के एफिल टॉवर से 35 मीटर ऊंचा बताया जा रहा है। एफिल टॉवर की ऊंचाई 324 मीटर बताई जाती है।
रियासी के कौड़ी इलाके में चिनाब नदी पर पुल बन रहा है। 1.3 किलोमीटर लंबे पुल की चिनाब नदी के जलस्तर से ऊंचाई 359 मीटर होगी। दुनिया के सबसे ऊंचे पुल चीन में बने हैं, जिन्हें कौड़ी पुल पीछे छोड़ देगा। इसे बनाने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेश के इंजीनियर भी जुटे हैं। विश्व के सबसे ऊंचे बन रहे आर्च ब्रिज का काम 2004 के नवंबर माह में शुरू हुआ था, जिसमे देश-विदेश के लगभग 150 इंजीनियर काम में लगे थे। वर्तमान में 95 इंजीनियर पुल के निर्माण में जुटे हैं, जिनमें जर्मन, स्वीडन और इटली के आठ इंजीनियरों की भी सेवाएं ली जा रही हैं।
पुल का एक छोर कौड़ी तो दूसरा छोर बक्कल इलाके में है। कोंकण रेलवे ने इसके निर्माण कार्य का जिम्मा अफकान कंपनी को सौंपा है। निर्माण कंपनी ने उनकी मजबूती को लेकर 120 साल की गारंटी दी है। जबकि उसका दावा है कि पुल 500 साल तक टिका रहेगा। पुल में 150 मीटर ऊंचे कुल 18 पिलर होंगे। किसी कारणवश एक साथ 7 पिल्लर क्षतिग्रस्त हो जाएं तो भी पुल पर रेल परिचालन बाधित नहीं होगा। पुल निर्माण में ब्लास्ट रोधी तकनीक का हो रहा इस्तेमाल
पुल के निर्माण में ब्लास्ट रोधी तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर टावर को गिराने के लिए जितने विस्फोटक का इस्तेमाल हुआ था, उससे 10 गुना अधिक क्षमता का शक्तिशाली विस्फोट झेलने में पुल सक्षम है। पुल निर्माण में 2400 मीट्रिक टन स्टील का प्रयोग होना अनुमानित है। निर्माण के दौरान पर्यावरण का भी पूरा ध्यान रखा गया। 50 साल तक हिलेगा नहीं पुल
इस क्षेत्र में डोलोमाइट रॉक यानि वह चट्टाने हैं जिनमें दरार होती है। वह दबाव के कारण बैठ सकती हैं। इस पर पहाड़ों को मजबूती देने के लिए ड्रिल कर उसमें सरिया डालकर ग्राउटिग की गई। यहां उस किस्म के सरिए का इस्तेमाल किया गया, जो कि परमाणु बिजली घर तथा गैस टैंक के निर्माण में इस्तेमाल होता है। पुल की आर्च में 10. 9 ग्रेड हाई फ्रेक्शन बोल्ट लगाए जाएंगे, जिसका विश्व में किसी पुल की आर्च में पहली बार इस्तेमाल हो रहा है। यह पुल 50 साल तक हिलेगा भी नहीं। बड़े भूकंप को झेलने में भी सक्षम
भूकंप के लिहाज से यह क्षेत्र सीस्मिक जोन चार में आता है। जहां हर 2 से 3 मिनट में 1 से 3 रिएक्टर स्केल का भूकंप आता रहता है। लेकिन पुल को सीस्मिक जोन 5 के मुताबिक तैयार किया जा रहा है। यह बड़े भूकंप को भी झेलने में सक्षम होगा। यही नहीं पुल 278 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से चलने वाली हवा को झेल सकेगा। पुल क्षेत्र में हवा की गति जब 90 किलोमीटर प्रति घंटा होगी तो अलार्ममिक सिस्टम से पुल के दोनों छोर के दरवाजे अलार्म के साथ बंद हो जाएंगे। ऐसी स्थिति में कोई पैदल भी पुल से नहीं गुजर सकेगा। पहली बार किसी प्रोजेक्ट साइट पर एनएबीएल लेबोरेट्री हुई स्थापित
पहली बार किसी प्रोजेक्ट साइट पर एनएबीएल लेबोरेट्री स्थापित की गई है। यहां पुल में इस्तेमाल से पहले स्टील, लोहा, एंगल इत्यादि की जांच होती है। रेलवे ने पूरे प्रोजेक्ट में सिर्फ इसी पुल निर्माण कार्य में 120 टन वजन उठाने वाली दो ईओटी क्रेन का इस्तेमाल किया है। पुल की अनुमानित लागत 1200 सौ करोड़
शुरुआत में इस पुल पर 512 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान था, लेकिन बाद की परिस्थितियों में इसकी अनुमानित लागत 1200 सौ करोड़ रुपए से भी अधिक हो गई। इंजीनियरिग डे पर कार्यक्रम आयोजित
पुल के प्रोजेक्ट मैनेजर विश्वमूर्ति ने बताया कि यह पुल इंजीनियरिग की एक अनूठी मिसाल होगा। चुनौतीपूर्ण इस काम में तकनीक के अलावा सुरक्षा मानकों का भी पूरा ध्यान रखकर काम को आगे बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इंजीनियरिग डे के उपलक्ष्य में शनिवार शाम को साइट पर कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया।