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अब प्रदूषण प्रमाणपत्र पाने के लिए लोगों में मची होड़

अमित माही ऊधमपुर यातायात नियमों के नए जुर्मानों के लागू होने तथा यातायात पुलिस के लगातार

By JagranEdited By: Published: Sun, 08 Sep 2019 08:14 AM (IST)Updated: Sun, 08 Sep 2019 08:14 AM (IST)
अब प्रदूषण प्रमाणपत्र पाने के लिए लोगों में मची होड़
अब प्रदूषण प्रमाणपत्र पाने के लिए लोगों में मची होड़

अमित माही, ऊधमपुर :

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यातायात नियमों के नए जुर्मानों के लागू होने तथा यातायात पुलिस के लगातार कसे जा रहे शिकंजे के चलते लोग यातायात नियमों का पालन करना अपनी आदत बनाने लगे हैं। लगभग हर आदमी सिर पर हेलमेट पहने नजर आने लगा है। प्रदूषण प्रमाणपत्र न होने पर भारी भरकम जुर्माने के प्रावधान के चलते प्रदूषण जांच केंद्र पर वाहनों के प्रदूषण प्रमाणपत्र बनाने के लिए लोगों की भीड़ सुबह से शाम तक उमड़ रही है। पहले के मुकाबले 75 फीसद अधिक लोग अब प्रदूषण प्रमाणपत्र बनवाने के लिए पहुंच रहे हैं।

प्रदूषण प्रमाणपत्र बनवाने में अधिक समय नहीं लगता, मगर अपनी सुरक्षा के लिए हेलमेट और सीट बेल्ट पहनने जैसे नियम ही न मानने वाले वाहन के प्रदूषण प्रमाणपत्र पर कैसे ध्यान दे सकते थे। एक सितंबर से मोटर व्हीकल एक्ट के तहत यातायात नियमों का उल्लंघन करने के लिए भारी भरकम जुर्माने के प्रावधान लागू हो गए। नए नियम लागू होने के साथ ही यातायात पुलिस ने भी यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों पर अपना शिकंजा कसना शुरू कर दिया। प्रतिदिन 100 के करीब नियमों का उल्लंघन करने वालों को पकड़ कर उन पर कार्रवाई कर नए जुर्माने वसूलने के साथ ही उनके कोर्ट चालान तक किए जा रहे हैं।

यातायात पुलिस नाकों पर सबसे पहले यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों को पकड़ती है, जिसमें हेलमेट और सीट बेल्ट का न पहना होना या ट्रिपल राइडिग या ओवरलोडिग करना शामिल होता है। इसके बाद पकड़े गए व्यक्ति के दस्तावेजों की जांच की जाती है, जिसमें इंश्योरेंस, प्रदूषण प्रमाणपत्र, आरसी और लाइसेंस जैसे मूल दस्तावेजों की जांच की जाती है। इनमें से जो नहीं पाए जाते, चालान में वह उल्लंघन भी शामिल कर जुर्माना वसूलने से लेकर कोर्ट चालान तक किए जाते हैं।

किसी वाहन का प्रदूषण प्रमाणपत्र 50 से सौ रुपये में बन जाता है, मगर इसके न होने पर न्यूनतम ढाई हजार रुपये से लेकर अधिकतम पांच हजार रुपये जुर्माना होता है। भारी भरकम जुर्माना होने की वजह से लोग यातायात नियमों का पालन करने के प्रति गंभीरता दिखा रहे हैं। दोपहिया वाहन पर सिर पर हेलमेट तथा चार पहिया वाहन में सीट बेल्ट पहन कर वाहन चलाने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। पुलिस की सख्ती बढ़ने के साथ ही वाहनों के प्रदूषण प्रमाणपत्र बनवाने के लिए लोग ऊधमपुर शहर के अंदर स्थित एक मात्र प्रदूषण जांच केंद्र पर पहुंच रहे हैं।

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- इंसेट

15 मिनट से घंटेभर के इंतजार के बाद आ रही बारी

कारगिल हनुमान मंदिर के पास स्थित पेट्रोल पंप पर स्थित इस प्रदूषण जांच केंद्र के बाहर सुबह से शाम तक प्रदूषण प्रमाणपत्र बनवाने के लिए वाहनों की लंबी कतारें लग रही हैं। जिसके चलते सामान्य तौर पर 5 मिनट में बनने वाले प्रदूषण प्रमाणपत्र के लिए लोगों को 15 मिनट से लेकर एक घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है। धूप में लोगों को यह इंतजार करने में दिक्कत हो रही है। प्रदूषण प्रमाणपत्र बनवाने वालों में दस गुना वृद्धि

हाईटेक प्रदूषण केंद्र के मालिक विपिन अबरोल ने बताया कि ऊधमपुर में दो ही वाहन प्रदूषण जांच केंद्र हैं। दोनों उनके पास हैं। एक जम्मू-श्रीनगर हाईवे बाईपास पर है। दूर होने की वजह से वहां पर केवल हाईवे से गुजरने वाले व्यावसायिक वाहन ही ज्यादातर प्रदूषण प्रमाणपत्र बनवाते हैं। यहां पर निजी वाहन इक्का-दुक्का ही आते हैं। इसलिए इस केंद्र में प्रदूषण प्रमाणपत्र के लिए आने वाले वाहनों की संख्या में ज्यादा अंतर नहीं पड़ा है। क्योंकि व्यावसायिक वाहन चालक पहले भी नियमित रूप से अपने वाहनों के प्रदूषण प्रमाणपत्र बनवाते रहते हैं। जबकि शहर के अंदर स्थित उनके प्रदूषण जांच केंद्र में प्रदूषण प्रमाणप्राप्त बनवाने वालों की संख्या में दस गुना वृद्धि है। पहले प्रदूषण प्रमाणपत्र बनवाने के लिए 45 से 50 वाहन आते थे। इनमें भी निजी वाहनों की संख्या काफी कम होती थी। जबकि नए जुर्माने लागू होने तथा पुलिस की सख्ती के बाद प्रदूषण प्रमाणपत्र बनवाने के लिए प्रतिदिन 450 से 500 तक वाहन आ रहे हैं। इनमें 75 से 80 फीसद निजी वाहन हैं। पहले दोपहिया वाहन गिनती के आते थे, मगर अब दोपहिया वाहन भी अच्छी खासी संख्या में आ रहे हैं। वाहनों के लिए प्रदूषण प्रमाणपत्र अनिवार्य है। कोई भी नया पेट्रोल वाहन खरीदने पर पहले एक साल तक प्रदूषण प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं होती। इसी तरह नया डीजल वाहन खरीदने पर छह माह तक प्रमाणपत्र लेना जरूरी नहीं होता। मगर इसके बाद पेट्रोल और डीजल दोनों प्रकार के वाहनों को हर छह माह के बाद प्रदूषण प्रमाणपत्र बनवाना अनिवार्य होता है।

- हरमोहिद्र सिंह, डीटीआइ ऊधमपुर प्रदूषण प्रमाणपत्र बनवाने के लिए जा रहे रेट

स्कूटर/मोटरसाइकिल 50 रुपये

स्कूटी 50 रुपये

पेट्रोल कार 80 रुपये

डीजल कार 100 रुपये

ट्रक/बस 100 रुपये

मेटाडोर/मिनीबस 100 रुपये

छोटे कमर्शियल वाहन 100 रुपये


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