आदमखोर तेंदुए को पकड़वाने में मानसून बनेगा मददगार
राजेश डोगरा रियासी माहौर इलाके में आदमखोर तेंदुए को पकड़ने या मार गिराने के अभियान
राजेश डोगरा, रियासी: माहौर इलाके में आदमखोर तेंदुए को पकड़ने या मार गिराने के अभियान में मानसून की बारिश सहायक सिद्ध हो सकती है, क्योंकि नम जमीन पर आदमखोर तेंदुए के पद चिन्ह उसका पता लगाने में मददगार साबित हो सकता है।
तेंदुए को पकड़ने या फिर मार गिराने के लिए लगभग एक माह से जारी अभियान के चलते मंगलवार को भी जंगलों को खंगाला गया। रोज की तरह लगाए पिजरे खाली मिलने पर उन्हें जगह बदल कर फिर से लगाया गया। जंगल में घनी झाड़ियों और ऊंची घास के अलावा तेंदुए के छुपे होने के संभावित जगहों में पटाखे छोड़े गए, ताकि आदमखोर तेंदुआ वहां छुपा हो तो पटाखों की आवाज से वह वहां से बाहर निकले। कोई भी प्रयास सिरे नहीं चढ़ा।
वहीं अभियान में शामिल कुछ लोगों के मुताबिक मानसून की शुरू हुई बारिश जंगल में आदमखोर तेंदुए की खोज में कुछ बाधाएं खड़ी कर सकती है, लेकिन इसका बड़ा फायदा भी मिल सकता है। सूखी जमीन पर आदमखोर तेंदुए के गुजरने के बारे में पता करना मुश्किल रहता है, लेकिन बारिश से जमीन गीली और नम हो जाएगी। इससे सबसे बड़ा फायदा यह मिल सकता है कि आदमखोर तेंदुए के चलने गुजरने पर जमीन पर उसके पद चिन्ह छप जाएंगे। पद चिन्ह से तेंदुए के सक्रिय होने वाले इलाके का पता लगाने में मदद मिल सकती है। उसके सक्रिय होने वाले इलाके की पहचान हो जाने पर फिर उसी इलाके में शिकंजा कसा जा सकता है। उनका कहना है कि पथरीली जमीन या अधिक घनी घास या झाड़ियों में पद चिन्ह का पता लगाना मुश्किल है, लेकिन मिट्टी में ताजा पद चिन्ह मिलने पर पीछा कर आदमखोर तेंदुए तक पहुंचने की उम्मीदें भी बढ़ जाएगी।
एक माह से जारी इस अभियान में उन्हें अभी तक कोई सफलता नहीं मिल पाई है, लेकिन अब मानसून की बारिश भले ही अभियान में कुछ बाधा बन सकती है। लेकिन बारिश से अभियान में शामिल लोगों की उम्मीदें और जोश भी बढ़ गया है।