एक ही मंच पर सजीव हुई राज्य की संस्कृतियां
संवाद सहयोगी रियासी विड्डा में स्थित सीआरपीएफ 126 वाहिनी द्वारा शहीदों की याद में रिया
संवाद सहयोगी, रियासी : विड्डा में स्थित सीआरपीएफ 126 वाहिनी द्वारा शहीदों की याद में रियासी स्पोर्ट्स स्टेडियम में नरूला नाइट एंड कलर ऑफ जम्मू कश्मीर रंगारंग कार्यक्रम करवाया गया। इसमें बॉलीवुड गायिका जसपिदर नरूला और नटरंग की प्रस्तुतियां रियासी के इतिहास में इस स्तर के पहले कार्यक्रम के तौर पर दर्ज हो गई। जसपिदर नरूला ने अपने गीतों से समां बांधा तो नटरंग ने राज्य की संस्कृतियों को एक ही मंच पर सजीव किया। सीआरपीएफ 126 वाहिनी के कमांडेंट प्रदीप सिंह कैला की देखरेख में हुए कार्यक्रम में मुख्यातिथि सीआरपीएफ के डीआईजी ऑपरेशन हीरानगर रेंज एसएलसी खुब व विशेषातिथि एसएसपी रियासी निशा नथियाल के अलावा शहीदों के परिजनों ने भी भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य मेहमानों द्वारा दीप प्रज्वलित करने के बाद शहीदों के परिवार वालों को सम्मानित करने से की गई।
कार्यक्रम के पहले चरण में नटरंग के कलाकारों द्वारा बलवंत ठाकुर के निर्देशन में पहाड़ी नृत्य कुड, कश्मीरी नृत्य रौऊफ के साथ ही डोगरी, पहाड़ी, कश्मीरी बचनगमा, बुमरो, डोडा भद्रवाही नीलमा गान व नृत्य और लद्दाख के जबरू गीत व नृत्य की 55 मिनट की शानदार प्रस्तुति ने दर्शकों को अपनी जगह से हिलने तक नहीं दिया। अंतिम गुलदस्ता प्रस्तुति में सभी संस्कृतियों की सामूहिक प्रस्तुति ने सभी की तालियां बटोरी। रात 10 बजे शुरू हुए दूसरे चरण में जसपिदर नरूला की अगुवाई में उपस्थित सभी लोगों ने 1 मिनट का मौन रखकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद नरूला ने ऐ मेरे वतन के लोगो गीत से अपने कार्यक्रम की शुरुआत की। लगभग डेढ़ घंटे के कार्यक्रम में नरूला ने जुगनी, मेर रश्के कमर, यार बुलेया, किन्ना सोना तेनूं रब ने बणाया, कव्वाली यह जो हल्का-हल्का सुरूर है, मुंडा तू है पंजाबी सोना गीत की प्रस्तुति से समा बांधा । इसके बाद उन्होंने दिल को छू देने वाले अपने सबसे प्यारे गीत प्यार तो होना ही था की प्रस्तुति से उपस्थित हरेक का मन मोह लिया। उनकी अंतिम प्रस्तुति दमा दम मस्त कलंदर गीत पर दर्शकों की तालियां गूंजती रही।
प्यार तो होना ही था के टाइटल सांग से आया लाइफ में चेंज
इस मौके पर अपने अनुभव बताते हुए जसपिंदर नरूला ने कहा कि फिल्म प्यार तो होना ही था का टाइटल सांग उनकी जिदगी में बदलाव लाया। इस गाने ने उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड भी दिलवाया इसलिए यह गाना उनसा सबसे फेवरिट है।
जालंधर दूरदर्शन पर पहली बार गाया था दमादम मस्त कलंदर
नरूला के मुताबिक भारत में इस गीत को सबसे पहले उन्होंने ही जालंधर दूरदर्शन पर गाया था जिसे लोगों की सराहना भी मिली थी। उन्होंने कहा कि वह आज जो भी हैं सब उनके प्रशंसकों की ही बदौलत है।