वुलर झील का खोया स्वरूप फिर से लौटाएं : राज्यपाल
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बुधवार को वुलर झील के संरक्षण और पारिस्थितिकीय संतु
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बुधवार को वुलर झील के संरक्षण और पारिस्थितिकीय संतुलन बहाली का जायजा लिया। उन्होंने अधिकारियों को झील से गाद व सिल्ट निकालने के लिए खोदाई तेज करने को कहा ताकि झील को उसका खोया स्वरूप प्रदान करने के साथ जल वहन क्षमता को बढ़ाया जा सके।
राजभवन में हुई बैठक में राज्यपाल ने वुलर संरक्षण एवं प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारियों से कहा कि एशिया में ताजा पानी की सबसे बड़ी झीलों में एक वुलर कश्मीर की जीवन रेखा है। यह कश्मीर की जैव विविधिता के संरक्षण के लिए बहुत जरूरी है। इसे रामसर साइट भी घोषित किया गया है।
गौरतलब है कि दुनिया में वेटलैंड या जलविहारों के संरक्षण के लिए 1971 के रामसर सम्मेलन के तहत रामसर साइट उसी वेटलैंड को घोषित किया जाता है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकृति और पारिस्थितिकीय संतुलन के लिए अहम हो।
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने वुलर संरक्षण एवं प्रबंधन प्राधिकरण को समग्र प्रबंधन कार्य योजना के अनुरूप ही झील में इको टूरिज्म को प्रोत्साहित करते हुए स्थानीय लोगों के लिए आजीविका के यथासंभव अवसर पैदा करने को कहा। उन्होंने वुलर और इससे संबंधित जलविहारों या वेटलैंड के जल प्रबंधन के लिए समयबद्ध कार्ययोजना लागू करने का निर्देश देते हुए कहा कि यह न सिर्फ कश्मीर घाटी को बाढ़ में डूबने से बचाती है बल्कि कृषि एवं जलविद्युत उत्पादन के लिए पानी भी उपलब्ध कराती है।
झील की जैव विविधता और संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करते हुए राज्यपाल ने संबंधित प्राधिकरण और अधिकारियों को भूमि कटाव रोकने, झील में वनस्पतियों और विलो के पेड़ों के प्रबंधन के लिए कहा।