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जम्मू-कश्मीर: दक्षिण अफ्रीका से आए कपल का जन्नत में शादी की सालगिरह का ख्वाब रह गया अधूरा

कश्मीर में दक्षिण अफ्रीका से नील और मेरिल शादी की 38वीं सालगिरह मनाने आए थेकहा- हालात सामान्य होने पर डल झील में शिकारे की सैर करने आएंगे

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 10 Aug 2019 12:43 PM (IST)Updated: Sat, 10 Aug 2019 12:43 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर: दक्षिण अफ्रीका से आए कपल का जन्नत में शादी की सालगिरह का ख्वाब रह गया अधूरा
जम्मू-कश्मीर: दक्षिण अफ्रीका से आए कपल का जन्नत में शादी की सालगिरह का ख्वाब रह गया अधूरा

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। दक्षिण अफ्रीका से कश्मीर घाटी में अपनी शादी की 38वीं सालगिरह मनाने आए नील स्टॉर्म और उसकी पत्नी मेरिल मायूस होकर लौट गए, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही यहां हालात सामान्य होंगे और वह डल झील में शिकारे की सैर करने आएंगे।

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आगरा में ताजमहल का दीदार करने के बाद दो अगस्त को मियां-बीवी श्रीनगर पहुंचे थे। उन्होंने तय किया था कि वह शादी की सालगिरह कश्मीर में मनाएंगे और करीब आठ दिन यहीं पर रहेंगे। पूर्व सैन्य अधिकारी नील स्टॉर्म ने कहा कि हमने यहां ट्रैङ्क्षकग पर जाने की योजना बनाई थी, लेकिन हमारी योजना धरी रह गई। यहां एकदम हालात बदल गए और हम शादी की सालगिरह नहीं मना सके।

दिल्ली रवाना होने से पूर्व श्रीनगर एयरपोर्ट पर नील स्टॉर्म ने कहा कि यहां हम जिस हाउसबोट में रुके थे, उसका मालिक और परिवार बहुत भला था। उन्होंने हमें कोई मुश्किल नहीं आने दी। हमें यह जगह बहुत पसंद है और हम उससे लगातार संपर्क रखेंगे। हमारे पास छह माह का वीजा है। हम दोनों ने मुगल गार्डन व कुछ अन्य जगहों की सैर की है। नील स्टॉर्म ने कहा कि बीते 20 वर्षों के दौरान मैंने बहुत से मुल्कों की सैर की है, लेकिन कश्मीर की बात ही जुदा है। हम यहां मुगल गार्डन और नगीन झील से ज्यादा कुछ नहीं देख पाए।

गौरतलब है कि कश्मीर घाटी में गत सोमवार से निषेधाज्ञा लागू है। फोन और इंटरनेट सेवाएं बंद हैं। प्रशासन ने राज्य का विशेषाधिकार समाप्त करने और जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के बाद किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए सुरक्षा का कड़ा बंदोबस्त कर रखा है। वादी में प्रशासनिक पाबंदियों का दौर शुरू होने से पहले ही पर्यटकों ने कश्मीर छोडऩा शुरू कर दिया था। डल झील वीरान हो चुकी है। शिकारे अब घाट पर ही हैं। डल के भीतरी हिस्से आबीकारपोरा में रहने वाले अब्दुल गनी ने कहा कि सरकार ने जिस तरह यहां पर्यटकों और श्रद्धालुओं को जाने के लिए कहा, उससे यहां सभी हैरान रह गए। बीते तीन दिनों में मैंने अपने शिकारे में एक भी पर्यटक को नहीं बैठाया। 

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