कश्मीर का यह वीआइपी रोड जहां कभी सियासी लोगों की रहती थी भीड़, अब है खामोश!
गुपकार रोड पर ही राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्री डा फारुक अब्दुल्ला उमर अब्दुल्ला और पीडीपी अध्यक्ष व पूर्व मुख्मयंत्री महबूबा मुफ्ती का निवास है।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। कश्मीर में बीते एक पखवाड़े में बहुत कुछ बदल गया है। वीआइपी रोड कहलाने वाले गुपकार पर बुलेट प्रूफ जिप्सियां और सुरक्षाबलों का एक अवरोधक आज भी है। लेकिन अब सड़क पर लालबत्ती वाली खड़ी कारों की न कतार नजर आती है, न हाथों में फाइल लिए बाबूओं या आम लोगों की भीड़। सियासी नेता और धनाढ्य वर्ग के लोग भी अब यहां नजर नहीं आ रहे है। अवरोधक के पास खड़े पुलिसकर्मी ने कहा कि मैं यहां बीते दो साल से ड्यूटी दे रहा हूं लेकिन पहली बार इस सड़क पर यूं खामोशी देखी है। उसने कुछ ही दूरी पर स्थित पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के किलानुमा मकान की तरफ संकेत करते हुए कहा कि वह देखाे वहां कोई नजर आ रहा है। कोई उस गेट पर दस्तक नहीं दे रहा है। महबूबा के मकान का भी कोई पता नहीं पूछ रहा है।
गुपकार रोड पर ही राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्री डा फारुक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और पीडीपी अध्यक्ष व पूर्व मुख्मयंत्री महबूबा मुफ्ती का निवास है। डाॅ फारुक और उमर के निवास बिलकुल साथ सटे हुए हैं। महबूबा मुफ्ती का सरकारी बंगला नेकां नेताआें के निवास से करीब डेढ़ किलोमीटर आगे राज्य के अंतिम डोगरा शासक के पुत्र पूर्व केंद्रीय मंत्री डा कर्ण सिंह के निवास कर्ण महल के सामने ही है। जब्रवान की तलहटटी में स्थित महबूबा के बंगले का नाम फेयर व्यू है और यहां से डल झील का खूबसूरत नजारा साफ नजर आता है। उमर और महबूबा के निवास के बीच ही पूर्व स्वास्थ्य मंत्री व नेकां महासचिव डा मुस्तफा कमाल का भी मकान है। उसके बाहर भी सुरक्षाकर्मी ही नजर आते हैं।
यहां मिलने वालों को लगा रहता था तांता
तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों के घरों के भीतर और बाहर जब तक वह सत्ता में हों या सत्ता से बाहर हमेशा मिलने वालों का तांता रहता था। लेकिन अब इन बंगलों के बाहर ही नहीं भीतर से भी कोई आवाज नहीं आती। महबूबा मुफती के निवास के बाहर कंटीली तारों और लोहे के अवराेधक पहले की तरह ही है। सुरक्षाबलों की जिप्सी भी खड़ी है। लेकिन वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों के चेहरे पर पहले की तरह किसी तरह की जल्दबाजी के हाव भाव नहीं है। गेट पर तैनात सुरक्षाकर्मी अब अपने वाॅकीटाॅकी पर भी ज्यादा बातचीत नहीं करते। सब इंस्पेक्टर रैंक के एक सुरक्षाकर्मी ने कहा कि यहां कोई नहीं है। मैडम को अब चश्मा शाही ले गए हैं। घर के बाकी लोग भी किसी अन्य जगह चले गए हैं। कोई मिलने भी नहीं आता। अंदर जो हैं वह भी अब बाहर नहीं आते। कई बार हम खुद भी इस खामोशी को लेकर हैरान होते हैं।
डॉ फारूक हैं नजरबंद, उनसे मिलने भी कोई नहीं आता
नेकां अध्यक्ष डाॅ फारुक अब्दुल्ला हालांकि अपने ही घर में नजरबंद हैं। उनसे मिलने भी कोई नहीं आ रहा है। मकान के बाहर खड़े एक सुरक्षाकर्मी ने कहा कि डाॅ साहब करीब 11 दिन पहले ही यहां अपने मकान की बाहरी दीवार पर खड़े नजर आए थे। उस समय यहां मीडिया के भी बहुत सारे लोग थे। लेकिन तब से आज तक कोई नहीं आया। ईद के दिन भी यहां कोई उनसे मिलने नहीं आया। उमर साहब के बारे में भी किसी ने नहीं पूछा। सिर्फ यहां अब सुरक्षाकर्मी ही हैं। हमारे ही वाहन अब इन बंगलों के बाहर खड़े रहते हैं। पहले हम यहां किसी वाहन को रुकने नहीं देते थे।
पहली बार फारूक के घर देखी खामोशी
डाॅ फारुक अब्दुल्ला के मकान के साथ सटी संकरी गली में रहने वाले बैंक कर्मी राजकुमार सनौत्रा ने कहा कि मेरा सारा बचपन यहीं बीता है। मेरी उम्र 50 साल हो चुकी है। मैने पहली बार यहां डा अब्दुल्ला के घर यूं खामोशी देखी है। कश्मीर की सारी सियासत यहां सेचलती थी। वर्ष 2005 के दौरान जब मुफती मोहम्मद सईद ने उधर फेयर व्यू में जब अपना डेरा जमाया तो यहां रौनक और बड़ गई। ऐसे लगता था कि गुपकार ही पूरी रियासत को चला रहा है। लेकिन अब सबकुछ बदल गया है। अब इन बंगलों में किसी तरह की आवाज नहीं आती जैसे इनमें कभी कोई नहीं रहता हो। गौरतलब है कि चार अगस्त की रात को प्रशासन ने एहतियात के तौर पर डा फारुक अब्दुल्ला और डा मुस्तफा कमाल को उनके घरों में नजरबंद बनाने के अलावा पुलिस ने पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफती को हिरासत में ले लिया था। उमर अब्दुल्ला इस समय अपने घर से करीब दो किलोमीटर दूर हरि निवास में बंद हैं जबकि महबूबा मुफती को चश्मा शाही में स्थित एक अतिथिगृह में बंद रखा गया है।