सरहद पर शांति, पर कश्मीर के भीतरी इलाकों में बढ़ गई आतंकी गतिविधि
भारत-पाकिस्तान के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर करीब डेढ़ माह से एक भी गोली नहीं चली है। सरहदी इलाकों में भले ही स्थिति पूरी तरह शात हो चुकी हो लेकिन भीतरी इलाकों में विशेषकर कश्मीर में आतंकी हिंसा के पांव बढ़ने लगे हैं।
राज्य ब्यूरो, जम्मू: भारत-पाकिस्तान के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर करीब डेढ़ माह से एक भी गोली नहीं चली है। सरहदी इलाकों में भले ही स्थिति पूरी तरह शात हो चुकी हो, लेकिन भीतरी इलाकों में विशेषकर कश्मीर में आतंकी हिंसा के पांव बढ़ने लगे हैं। सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ और आतंकी हमले की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। गत डेढ़ माह में कश्मीर में आठ आतंकी घटनाएं हुई हैं।
भारत और पाकिस्तान में इसी वर्ष फरवरी में 23 नवंबर, 2003 के संघर्ष विराम समझौते को फिर से बहाल करने पर सहमति बनी थी। इसके बाद 15 फरवरी से अब तक अंतरराष्ट्रीय सीमा और एलओसी पर स्थिति पूरी तरह शात है। जम्मू कश्मीर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कश्मीर के भीतरी इलाकों में आतंकियों के हमलों में तेजी का जिक्र करते हुए पुलिस अधिकारी ने कहा कि यह हमले आतंकियों की हताशा जाहिर करते हैं। इस समय सरहद पार से नए आतंकियों की घुसपैठ लगभग बंद है। हथियारों की तस्करी भी न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुकी है। आतंकियों का वित्तीय और ओवरग्राउंड वर्कर नेटवर्क लगभग समाप्त हो चुका है। कश्मीर में आतंकियों ने ये हरकतें कीं: इस साल पहली जनवरी से 15 फरवरी तक सिर्फ दो बार सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। इनमें तीन आतंकी मारे गए। अलबत्ता, 15 फरवरी से 31 मार्च तक आठ मुठभेड़ हुई हैं। इनमें आतंकी संगठन अलबदर का कमाडर गनी ख्वाजा और जैश-ए-मोहम्मद का कमाडर सज्जाद अफगानी समेत 17 आतंकी मारे गए हैं। एलओसी पर जंगबंदी के पुन: बहाल होने के बाद अब तक नौ सुरक्षाकर्मी शहीद हो चुके हैं। इस दौरान आतंकियों ने छह बड़े हमले किए हैं। आतंकियों ने 19 फरवरी को बागात श्रीनगर में दो पुलिसकíमयों की दिनदहाड़े हत्या कर दी थी। इसके बाद पाच मार्च को फतेहकदल में आतंकियों ने ग्रेनेड हमला किया, इसमें किसी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ। वहीं, 13 मार्च को बारामुला के सोपोर में ग्रेनेड हमले में दो पुलिसकर्मी जख्मी हो गए थे। जनप्रतिनिधि भी निशाने पर: पुलिस अधिकारी ने बताया कि आतंकियों ने 25 मार्च को श्रीनगर-बारामुला राजमार्ग पर लावेपोरा में सीआरपीएफ के गश्तीदल पर हमला किया। इस हमले में सीआरपीएफ के तीन कर्मी शहीद हो गए। इसके तीन दिन बाद 28 मार्च को आतंकियों ने दक्षिण कश्मीर में अनंतनाग संगम में सीआरपीएफ के बंकर पर ग्रेनेड हमला किया। हमले में सुरक्षाकर्मी बाल-बाल बच गए, लेकिन दो लोग जख्मी हुए। इसके अगले दिन आतंकियों ने सोपोर में म्यूनिसिपल काउंसलर की बैठक में हमला किया। यह इस साल का अब तक का सबसे सनसनीखेज हमला था। इसमें दो काउंसलर और एक पुलिसकर्मी शहीद हो गया था। कश्मीर में आतंकियों का खत्म हुआ डर
पुलिस अधिकारी ने बताया कि कश्मीर के लोगों में अब आतंकियों का डर खत्म हो गया है। इसलिए आतंकी अपने कैडर का मनोबल बनाए रखने, लोगों में दहशत पैदा करने के लिए सनसनीखेज तरीके से हमले कर रहे हैं। आतंकियों की इस रणनीति को ध्यान में रखते हुए जवाबी कार्रवाई की जा रही है। इस इस कार्रवाई का असर अगले चंद दिनों में नजर आएगा। हालात जल्द ही पूरी तरह सामान्य हो जाएंगे।