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    कितने सुरक्षित हैं स्कूल: सामने जंगल, बिना चाहरदीवारी का स्कूल, इस पर हर समय मंडराता रहता है भवन गिरने का खतरा

    Updated: Thu, 31 Jul 2025 07:40 PM (IST)

    बारामुला के संगरी टाप में स्थित एक सरकारी हाई स्कूल में छात्र जर्जर इमारतों और खुले परिसर के कारण खतरे में पढ़ाई करने को मजबूर हैं। स्कूल में तीन में से केवल एक इमारत ही सुरक्षित है जिसमें पहली से 10वीं तक की कक्षाएं लगती हैं। अभिभावकों ने अधिकारियों से शिकायत की है लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

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    शिक्षा अधिकारी ने निरीक्षण कर जल्द ही फेंसिंग और जर्जर इमारतों को हटाने का आश्वासन दिया है।

    पांपोश रशीद, बारामुला। दूर-दूर तक फैली हरी भरी वादियां। एक तरफ घना जंगल व करीब दो किलोमीटर दूर आवासीय बस्ती। पहाड़ी के टीले पर स्कूल की दो जर्जर इमारतें खूबसूरती को तो ग्रहण लगा रही हैं। साथ ही बच्चे भी खतरे के साए में पढ़ने को मजबूर हैं।

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    गांव संगरी टाप में स्थित हाई स्कूल में तीन इमारतों में से एक ही सुरक्षित है और उसी में पहली से 10वीं तक की कक्षाएं पढ़ाई जाती हैं।

    हर समय जर्जर इमारत के गिरने का खतरा मंडराता रहता है। ऊपर से स्कूल परिसर की चहारदीवारी भी नहीं होने से कुछ कक्षाएं खुले में लगाई जाती है। हर समय निकटवर्ती जंगल से जानवर घुसने की आशंकाएं रहती हैं। कई बार शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अवगत भी करवाया ज चुका है।

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    बारामुला कस्बे से चार किलोमीटर की दूरी पर संगरी टाप इलाके में स्थित सरकारी हाई स्कूल में पहली से 10वीं कक्षा तक के 100 से अधिक छात्र-छात्राएं हैं। 40 वर्ष पुराने इस स्कूल को चंद साल पहले मिडिल से हाई का दर्ज मिला है।

    पानी और शौचालय तो हैं, लेकिन इमारत चारों तरफ से खुली है। क्षतिग्रस्त भवन भी हमेशा बच्चों के लिए खतरा बने हुए हैं। बच्चे इसके आसपास ही खेल रहे होते हैं। आठ कमरों जिनमें एक स्टाफ रूम, एक लाइब्रेरी तथा एक लैब रूम में पहली से 10वीं की कक्षाएं लगती हैं।

    आधी कक्षाएं कमरों में और कुछ खुले में लगती हैं। बच्चों का कहना है कि जर्जर भवन कभी भी गिर सकता है। वह न तो ठीक से पढ़ाई कर पाते हैं और न ही खेलकूद का आनंद ले पाते हैं।

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    स्कूली बच्चे भी डरे रहते हैं

    स्कूल की नौवीं कक्षा के छात्र सामिल फारूक ने कहा कि हमारे स्कूल में पढ़ाई बहुत अच्छी होती है, लेकिन यहां समस्याएं बहुत हैं। बारिश के समय वह स्कूल कम ही आते हैं क्योंकि पता नहीं स्कूल में एक जर्जर इमारत कब गिर जाए। जंगली जानवरों का खौफ परेशान करता रहता है। सुना है कि जंगल में तेंदुए और भालू हैं।

    जुनैद अहमद तांतरे नामक विद्यार्थी ने कहा,जब भी हम सुनते हैं कि किसी इलाके में जंगली जानवर ने किसी इंसान पर हमला कर उस मार दिया या जख्मी कर दिया। मेरा दिल दहल जाता है। मैं उस दिन स्कूल आने से डरता हूं।

    हमारे इस स्कूल से थोड़ी दी दूरी पर जंगल है। कभी भी कुछ भी हमारे साथ हो सकता है। मेरी छोटी बहन भी इस स्कूल में पढ़ती है। छुट्टी के समय मैं उसके साथ रहता हूं क्योंकि डर रहता है कि खेलते-खेलते जर्जर इमारत की तरफ न चली जाए।

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    क्या कहते हैं अभिभावक

    बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि उन्होंने कई बार इस मुद्दे को संबंधित अधिकारियों की नोटिस में लाया। झूठे आश्वासन के सिवा उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ। मोहम्मद हफीज लोन ने कहा कि हम गरीब लोग हैं। निजी स्कूलों में अपने बच्चों को नहीं पढ़ा सकते।

    लिहजा इसी सरकारी स्कूल में अपने बच्चों को दर्ज कराया है। मेरे दो बच्चे यहां इस स्कूल में पढ़ते हैं। बच्चे जब तक घर वापस नहीं आते हमारी सांसें अटकी रहती है। मोहम्मद सादिक नामक एक और अभिभावक ने कहा,हमारी गरीबी हमें अपने बच्चों को इस स्कूल में पढ़ाने पर मजबूर करती है।

    वरना इस स्कूल में हमारे बच्चे सुरक्षित नहीं है। स्कूल चारों तरफ से खुला है। स्कूल परिसर में दो जर्जर इमारतें हमारे बच्चों के लिए हमेशा खतरा बनी रहती हैं।

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    स्कूलों संबंधित रिपोर्ट मंगवाई : सीइओ

    मुख्य शिक्षा अधिकारी पीरजादा बशीर अहमद शाह ने कहा कि मैंने सरकारी स्कूलों संबंधित रिपोर्ट मंगवाई। इस बीच मुझे संगरी टाप के इस स्कूल की समसया के बारे में पता चला। मैं खुद निरीक्षण के लिए वहां गया। स्कूल में वाकई यह दो समस्याएं (फेंसिंग व जर्जर इमारतें) हैं। मैंने संबंधित अधिकारियों को इस संबंध में लिखित हिदायत दी है कि स्कूल की जर्जर इमारतों को फौरन गिराया जाए और स्कूल की फेंसिंग करने की प्रक्रिया शुरू की जाए।