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Jammu Kashmir: चांद की धरती लद्दाख में विश्व के पहले एस्ट्रो विलेज से आआे करें तारों का सफर

शांत साफ सुथरे माहौल में तारे देखने का मजा ही कुछ और है। इस गांव में 35 परिवार खेती बाड़ी कर जीवन गुजर बसर करते हैं। अब पर्यटकाें के आने से रोजगार के नए साधन खुल रहे हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 03 Sep 2019 12:09 PM (IST)Updated: Tue, 03 Sep 2019 12:09 PM (IST)
Jammu Kashmir: चांद की धरती लद्दाख में विश्व के पहले एस्ट्रो विलेज से आआे करें तारों का सफर
Jammu Kashmir: चांद की धरती लद्दाख में विश्व के पहले एस्ट्रो विलेज से आआे करें तारों का सफर

जम्मू, विवेक सिंह। तारों को तो कहीं से भी देखा जा सकता है लेकिन चांद की धरती कहे जाने वाले लद्दाख के दुनिया के पहले एस्ट्रो विलेज से इन्हे देखने का अहसास कुछ और ही है। चौदह हजार फीट की उंचाई पर मान गांव के साफ सुथरे वातावरण में विश्व के पहले एस्ट्रो विलेज में आने वाले पर्यटक आधुनिक टेलीस्कोप से सितारों को देखकर कल्पनालोक में पहुंच जाते हैं।

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लद्दाख की महिलाएं एस्ट्रो विलेज के हाेमस्टे में पर्यटकों काे जब ताकतवर टेलीस्कोप से खगोलीय नजारे दिखाती हैं ताे उन्हें ऐसा लगता है कि जैसे वे हिमालय से ब्राहमांड में आ गए हों। लद्दाख के स्वच्छ, धूल, प्रदूषण रहित पर्यावरण में चांद, तारों की चमक भी बढ़ जाती है। यहां से जूपिटर के छल्लें देख सकते हैं। किस्मत अच्छी हो तो आकाश गंगा भी दिख जाती है। एेसे में लेह के इस हिस्से से पयर्टक कभी न भूलने वाली यादें लेकर लौटते हैं।

लद्दाख की सशक्त महिलाएं अतिथि देव भव के मूल मंत्र के साथ होम स्टे में आकर रहने वाले पर्यटकों को ग्रामीण जीवन से रूबरू भी करवाती हैं। लद्दाख की विश्व प्रसिद्ध पैंगोंग टीसो के पास बसे इस गांव के हर होम स्टे की खिड़की से झील का नजारा दिखता है। लेह में 134 किलाेमीटर लंबी व 5 किलाेमीटर चोढ़ी खारे पानी की पैंगांग झील कुदरत का खूबसूरत नजारा है। यह झील 14,270 फीट की उंचाई पर है। इस खूबसूरत झील के पास रात को तारे देखने से पर्यटक लद्दाख के कायल हो जाते हैं।

एस्ट्रो विलेज से तारों को देखने का अहसास अलग

चांद की धरती लद्दाख में महिलाएं देश, विदेश से आने वाले पर्यटकाें को तारों, गृहों व आकाश गंगा के सफर पर ले जा रही हैं।मान गांव में 5 होमस्टे हैं जिनका इनका संचालन 30 महिलाएं करती हैं। लद्दाख अपनी ऊंचाई और शुष्क जलवायु के कारण एस्ट्रोनॉमी के लिए एकदम सही क्षेत्र है। यहां रात को आसमान में तारों और ग्रहों को आसानी से पहचाना जा सकता है। पहले से ही लद्दाख बर्फीली वादियों के कारण पर्यटकों को पसंद है।

केंद्र शासित प्रदेश बनने पर पर्यटन को मिलेगा और बढ़ावा

जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन के बाद लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला हो गया है। ऐसे में अब लद्दाख के पर्यटन को बढ़ावा मिलने से एस्ट्रो विलेज में आने वाले इस पर्यटकों की संख्या का बढ़ना तय है। गांव के निवासी दोरजे का कहना है कि केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद पर्यटन से जुड़े लोगों में नई उम्मीद पैदा हुई है। पहले लद्दाख के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कुछ खास नही किया जाता था। उन्होंने बताया कि लद्दाख का पहला एस्ट्रो होमस्टे पैंगोंग टीसो के पास मान गांव में बना था। मान गांव की 4 महिलाओं को ट्रेनिंग दी गई थी कि उन्हें 10 इंच के आटोमेटिक ट्रैकिंग टेलीस्कोप को किस तरह से संचालित करना है। अब और महिलाएं भी प्रशिक्षित हो गई हैं। अब क्षेत्र में 5 हाेमस्टे हैं। होम स्टे की संख्या बढ़ना तय है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष पर्यटन सीजन के तीन महीनों में तीन सौ के करीब पर्यटक यहां पर पहुंचे इससे करीब 75000 रुपए की आमदनी हुई। इनमें से काफी पर्यटक नाइट स्काई वॉचिंग के लिए आते हैं। लिहाजा लद्दाख से सितारे देखने की ललक स्थानीय लोग के लिए बेहतर भविष्य व आमदनी का जरिया बन रही है।

ग्लोबल हिमालयन एक्सपेडिशन ने 2013 में दिखाई दी एस्ट्रो होमस्टे की राह

चांद की धरती को सूरज की किरणाें से रोशन करने व ग्रामीण लोगों को बेहतर भविष्य दिलाने की दिशा में काम कर रही सामाजिक संस्था ग्लोबल हिमालयन एक्सपेडिशन ने 2013 में स्थानीय लोगों को एस्ट्रो होमस्टे बनाने की राह दिखाई थी। संस्था ने इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन के साथ इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया। प्रोजेक्ट का नाम एस्ट्रोनॉमी फॉर हिमालयन लिवलीहुड है। संस्था ने पहले एस्ट्रो विलेज में बड़ा टेलीस्काेप लगाने के साथ होमस्टे बनाए। उसके बाद महिलाओं को टेलीस्काेप चलाने की ट्रेनिंग दी। पंद्रह गांवों की तीस महिलाओं को प्रशिषित किया गया। अब ये महिलाएं टेलीस्कोप चलाना करना जानती हैं। इन्हें आकाशीय घटनाओं की अच्छी समझ हो गई है। ये पर्यटकों के ठहरने का इंतजाम भी करती हैं। इसी कड़ी में माउंटेन होमस्टेज ने भी लद्दाख के गांवों में एस्ट्रो-होमस्टे बनाए।

लेह से छह घंटे में मान पहुंचते हैं पर्यटक

मान गांव लेह से सत्तर किलोमीटर की दूरी पर है। टैक्सी से पहुंचने में छह घंटे का समय लगता है। लद्दाख आने वाले अधिकतर पर्यटक पैंगोग झील तक पहुंचते हैं, वहां से आधे घंटे की ड्राइव से आठ किलोमीटर दूर मान गांव पहुंचा जा सकता है। वहां तक पहुंचने के लिए 17590 फीट उंचे चांगला पास से गुजरना पड़ता है। पैंगोग झील के भीड़ भडक्के के बाद मान गांव की शांति पर्यटकों को हैरान करती है। मान गांव के एक ओर पैंगोग झील है ताे पीछे पहाड़ियां हैं। इस गांव में शोर, प्लास्टिक प्रदूषण का नामो निशान तक नही है। इतने शांत, साफ सुथरे माहौल में तारे देखने का मजा ही कुछ और है। इस गांव में 35 परिवार खेती बाड़ी कर जीवन गुजर बसर करते हैं। अब पर्यटकाें के आने से रोजगार के नए साधन खुल रहे हैं।

लद्दाख में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं: जामियांग

लद्दाख के भाजपा सांसद जामियांग त्सीरिंग नांग्याल का कहना है कि लद्दाख में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। लद्दाख में कुदरत की खूबसूरती से मालामाल कई ऐसे इलाके हैं तो पर्यटन से अभी अछूते हैं। यहां पर्यटक को बढ़ावा मिलने से लोग आर्थिक रूप से मजबूत होंगे। सांसद का कहना है कि कश्मीर केंद्र सरकारों ने लद्दाख के पर्यटन को हमेशा नजरअंदाज किया। अब लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के फैसले से क्षेत्र में उन्नति व खुशहाली का दाैर आएगा। लद्दाख के दूरदराल इलाकों में पर्यटक को बढ़ावा मिलना तय है। मोदी सरकार इस दिशा में कार्रवाई कर रही है। ग्रामीण इलाकों में होमस्टे से दूरदराज के इलाकों में भी आर्थिक उन्नति होगी। 


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