कश्मीर में आइएसजेके का आतंकी इश्फाक मारा गया
राज्य ब्यूरो श्रीनगर दक्षिण कश्मीर के शोपिया में शुक्रवार को सुरक्षाबलों ने एक भीषण मुठभ
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : दक्षिण कश्मीर के शोपिया में शुक्रवार को सुरक्षाबलों ने एक भीषण मुठभेड़ में इस्लामिक स्टेट ऑफ जम्मू कश्मीर (आइएसजेके) के आतंकी इश्फाक सोफी उर्फ उमर उर्फ अब्दुल्ला को मार गिराया, लेकिन उसके दो अन्य साथी घेराबंदी तोड़ भाग निकले। दावा किया जा रहा है कि आइएसजेके का इश्फाक वादी में अंतिम आतंकी बचा था। आइएसजेके के अन्य आतंकी या तो मारे गए हैं या पकड़े गए हैं। इस बीच, इश्फाक की मौत के बाद प्रशासन ने शोपिया और सोपोर के विभिन्न इलाकों में भड़की हिसा के बाद मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को भी बंद कर दिया है। सोपोर में सभी शिक्षण संस्थान भी एहतियात के तौर पर बंद किए गए हैं।
जानकारी के अनुसार, तड़के करीब चार बजे सेना की 23 पैरा और राज्य पुलिस विशेष अभियान दल (एसओजी) के जवानों के एक संयुक्त कार्यदल ने शोपिया के रामनगरी, हीरपोरा में एक बाग की घेराबंदी शुरू की। बाग में दो से तीन आतंकियों के छिपे होने की सूचना थी। जवानों को घेराबंदी करते देख आतंकियों ने उनपर गोलिया चलाते हुए घेराबंदी तोड़ भागने का प्रयास किया, लेकिन जवानों ने जवाबी फायर किया और इसके बाद मुठभेड़ शुरू हो गई। इस दौरान एक आतंकी मारा गया। उसका शव भी बरामद कर लिया गया। सूत्रों की मानें तो बाग में तीन आतंकी थे, जो किसी बैठक के सिलसिले में जमा हुए थे। दो भाग निकले, लेकिन पुलिस ने इस तथ्य की पुष्टि नहीं की है। मारे गए आतंकी की पहचान इश्फाक सोफी के रूप में हुई है। वह उत्तरी कश्मीर में माडल टाउन (सोपोर) का रहने वाला था। भाग निकले आतंकियों में एक का नाम आदिल बताया जाता है और वह आईएसजेके का ही आतंकी है।
मुठभेड़ में आतंकी की मौत की खबर फैलने के साथ ही शोपिया के अमशीपोरा और सोपोर के विभिन्न हिस्सों में आतंकी समर्थक तत्वों ने जुलूस निकालते हुए सुरक्षाबलों पर पथराव शुरू कर दिया। सुरक्षाबलों ने भी ड्क्षहसक तत्वों को खदेडऩे के लिए लाठियों और आसूगैस का सहारा लिया। स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने शोपिया व सोपोर में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को बंद करने के अलावा सोपोर के कई हिस्सों में निषेधाज्ञा भी लागू कर दी। सोपोर में सभी शिक्षण संस्थानों को भी एहतियात के तौर पर बंद किया गया।
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14 साल से आतंकी गतिविधियों में सक्त्रिय था इश्फाक :
माडल टाउन सोपोर का रहने वाला इश्फाक अहमद सोफी उर्फ अब्दुल्ला वर्ष 2005 से आतंकी और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में संलिप्त था। उसे पाच बार जन सुरक्षा अधिनियम के तहत बंदी बनाया गया। वह वर्ष 2012 में हरकत उल मुजाहिदीन का सक्त्रिय आतंकी बना, लेकिन पकड़े जाने के बाद वह कुछ समय जेल में रहा। छूटने पर वह आतंकी संगठन का ओवरग्राउंड वर्कर बन गया और कुछ दिनों बाद वह दोबारा आतंकी संगठन में सक्त्रिय हो गया था। वह वर्ष 2016 में सोपोर के संग्रामा में पकड़ा गया, लेकिन जमानत पर छूटने के बाद वह आतंकी संगठन तहरीकुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया, लेकिन तहरीकुल मुजाहिदीन में कुछ दिन रहने के बाद वह इस्लामिक स्टेट ऑफ जम्मू कश्मीर आतंकी संगठन का हिस्सा बन गया था। इसा फाजली और दाउद के मारे जाने के बाद बीते साल उसके साथ करीब आठ-नौ आतंकी रह गए थे। इनमें से पाच इसी साल के शुरुआत में मारे गए और तीन अन्य पकड़े गए थे। खुद को अकेला पड़ते देख वह बीते कुछ दिनों से एक बार फिर आइएसजेके में नए लड़कों की भर्ती का प्रयास कर रहा था। कुछ लोगों के मुताबिक, वह अंसार उल गजवात ए ड्क्षहद व जैश ए मोहम्मद के साथ तालमेल बैठाने में लगा था।
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कई आतंकी वारदात में शामिल था :
पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, इश्फाक ने बीते एक साल के दौरान श्रीनगर के सफाकदल व सौरा स्थित सीआरपीएफ के बंकरों, पुलिस स्टेशन खनयार पर अपने साथियों संग मिलकर ग्रेनेड हमले किए थे। वह सोपोर, शोपिया और पुलवामा के विभिन्न हिस्सों में कई नागरिक हत्याओं के अलावा सुरक्षाबलों की चैकियों पर हमले की वारदातों में भी शामिल रहा है।