देश के दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देंगे घाटी के युवा
श्रीनगर में हो रही टेरीटोरियल आर्मी की रैली
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर: वादी में आतंकियों और अलगाववादियों की तरफ से सेना व सुरक्षाबलों में भर्ती होने वालों को इस्लाम का दुश्मन करार देने और सामाजिक बहिष्कार की चेतावनी के बावजूद घाटी के युवाओं में भारतीय सेना का हिस्सा बनने का जोश कम नहीं हो रहा है। इसी वजह से रक्षा मंत्रालय को एक माह में ही दूसरी बार कश्मीर के नौजवानों के लिए भर्ती रैली का आयोजन करना पड़ा है। शनिवार को श्रीनगर के रंगरेथ स्थित सैन्य भर्ती सेंटर में आयोजित भर्ती रैली में शामिल होने के लिए सबसे ज्यादा दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग, कुलगाम और पुलवामा से युवा आए थे। भर्ती रैली में शामिल होने पहुंचे हर युवा का एक ही सपना था कि वह फौजी बनकर आतंकियों और दुश्मन देश की हर साजिश को नाकाम बनाएगा।
गौरतलब है कि रक्षा मंत्रालय ने इसी माह के पहले सप्ताह में वादी में एक भर्ती रैली का आयोजन किया था। इस रैली में करीब 5000 स्थानीय युवा शामिल हुए थे, जबकि कुल रिक्तियां महज 2780 ही थीं। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता न बताया कि स्थानीय लोगों के आग्रह और स्थानीय युवाओं में फौज में भर्ती होने का जोश देखते हुए ही जम्मू कश्मीर में प्रादेशिक सेना जिसे टेरीटोरियल आर्मी या टीए भी कहते हैं, में भर्ती का फैसला लिया गया है। यह भर्ती रैली जिलावार आयोजित की जा रही है। दो दिन पहले ही उत्तरी कश्मीर में एलओसी के साथ सटे जिला कुपवाड़ा में टीए की भर्ती आयोजित की गई थी। इसमें 2000 स्थानीय युवकों ने हिस्सा लिया था। शनिवार से श्रीनगर में भर्ती रैली शुरू की गई है। तड़के ही रैली स्थल पर शुरू हो गया था आना
शनिवार को श्रीनगर में शुरू हुई टेरीटोरियल आर्मी (टीए) की भर्ती में शामिल होने के लिए विभिन्न इलाकों से दो-ढाई हजार युवा पहुंचे थे। युवाओं में टीए का जवान बनने के लिए जोश इतना ज्यादा था कि वे रैली स्थल पर तड़के ही जमा होने लगे थे। रैली स्थल में दाखिल होने के गेट पर युवकों के बीच मारामारी की नौबत आ गई थी। उन्हें काबू करने के लिए सेना के जवानों को भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। रैली में पहुंचे ज्यादातर युवा श्रीनगर शहर के
रैली स्थल में मौजूद कर्नल रैंक के एक अधिकारी ने बताया कि शनिवार को सिर्फ फिजिकल टेस्ट होगा। युवाओं के शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच होगी। फिजिकल टेस्ट में पास होने वालों को अगले चंद दिनों में एक लिखित परीक्षा में शामिल होना होगा। इस परीक्षा में सफल रहने वालों की मेरिट लिस्ट बनेगी और उसके आधार पर हम इन युवकों को भर्ती करेंगे। उन्होंने बताया कि शनिवार को रैली में पहुंचे ज्यादातर युवा दक्षिण कश्मीर के उन इलाकों से हैं, जहां पहले आतंकवाद बहुत मजबूत था। इनमें से कई ग्रेज्युएट भी हैं। न जेहादियों का डर और न सामाजिक बहिष्कार का
भर्ती रैली में आए अशफाक अहमद ने बताया कि वह बीए फाइनल का छात्र है। उसे पांच दिन पहले ही भर्ती रैली का पता चला। पता चलते ही वह उसी दिन इकबाल पार्क के पास सेना के भर्ती कार्यालय में पहुंचा गया था। वहां पूरी जानकारी लेने के बाद शनिवार को वह भर्ती में भाग लेने पहुंचा। उसने कहा कि उसे न जेहादियों को डर है और न फौज में भर्ती होने से सामाजिक बहिष्कार का। अगर फौज कश्मीरियों की दुश्मन होती तो यहां एक भी कश्मीरी नजर नहीं आता। अगर यह इस्लाम के खिलाफ है तो एक भी मुस्लिम भारतीय फौज का हिस्सा नहीं बनता। इस्लाम तो वतन परस्ती सिखाता है। वह वतन के दुश्मनों से लड़ने और वतन के लिए कुर्बानी सिखाता है। वतन के लिए जीना-मरना भी जेहाद है।