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राज्य में चुनावों के प्रति उदासीनता चिंताजनक : तारीगामी

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : मा‌र्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता और कुलगाम के विधायक मोहम्मद यू

By JagranEdited By: Published: Fri, 05 Oct 2018 11:01 PM (IST)Updated: Fri, 05 Oct 2018 11:01 PM (IST)
राज्य में चुनावों के प्रति उदासीनता चिंताजनक : तारीगामी
राज्य में चुनावों के प्रति उदासीनता चिंताजनक : तारीगामी

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : मा‌र्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता और कुलगाम के विधायक मोहम्मद यूसुफ तारीगामी ने शुक्रवार को कहा कि राज्य में निकाय व पंचायत चुनावों के प्रति आम लोगों की उदासीनता और राजनीतिक दलों के बहिष्कार को नजरअंदाज करने के राज्य में लोकतांत्रिक व्यवस्था पर दीर्घकालिक दुष्प्रभाव होना तय है।

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उन्होंने श्रीनगर में दो नेकां कार्यकर्ताओं की हत्या की ¨नदा करते हुए कहा कि राज्य व केंद्र प्रशासन को चुनावों से पहले रियासत में सुरक्षा व्यवस्था का माहौल बनाना चाहिए था।

अपने निवास पर तारीगामी ने कहा कि राज्य के प्रमुख राजनीतिक दलों के विरोध के बावजूद राज्य व केंद्र सरकार ने यहां निकाय और पंचायत चुनाव थोपे हैं। सभी यहां के सुरक्षा परिदृश्य को लेकर ¨चता जता रहे थे। राजनीतिक दलों ने धारा 35-ए और धारा 370 पर सर्वाेच्च न्यायालय में जारी सुनवाई को निकाय व पंचायत चुनावों से जोड़ने पर भी सवाल उठाते हुए केंद्र से स्पष्टीकरण मांगा था।

माकपा नेता ने कहा कि चुनावों को लेकर जो कश्मीर में माहौल है, उससे सभी की आंखें खुल जानी चाहिए। इसमें कोई दोराय नहीं कि जमीनी स्तर पर अधिकारों और शक्तियों का विकेंद्रीयकरण बेहतर प्रशासन के लिए जरूरी है, लेकिन चुनाव प्रक्रिया में लोगों की भागीदारी जरूरी है। यहां चुनावों में लोगों की भागीदारी नहीं है। चुनावों में भाग ले रहे कई दलों को कई जगहों पर कश्मीर में उम्मीदवार भी नहीं मिले। इससे पूरी चुनावी प्रक्रिया निरर्थक होती है।

उन्होंने इस मौके पर राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा कश्मीर के मौजूदा हालात के लिए भारत सरकार की गलतियों को जिम्मेदार ठहराए जाने का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी यह स्वीकारोक्ति सराहनीय है, लेकिन इससे सबक लेने के बजाय केंद्र में सत्तासीन भाजपा सरकार पुरानी गलतियों को दोहरा रही है। नई दिल्ली को कश्मीर समस्या के राजनीतिक हल और कश्मीरियों की आहत भावनाओं पर मरहम लगाने के लिए काम करना चाहिए, लेकिन वह धारा 370 और धारा 35-ए को भंग करने की साजिशों का सहयोग करते हुए कश्मीरियों के जख्मों को कुरेदने और उनमें विमुखता की भावना पैदा करने में लगी है।


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