सैयद बशारत बुखारी ने नेशनल कांफ्रेंस से इस्तीफा दिया
पूर्व राजस्व मंत्री सैयद बशारत बुखारी 712 दिन के साथ के बाद शुक्रवार का नेशनल काफ्रेंस (नेकां) से अलग हो गए। उन्होंने अपना इस्तीफा नेकां अध्यक्ष डा. फारूक अब्दुल्ला को सौंपा है। साथ ही पार्टी उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला को भी इस संबंध में पत्र लिखा है।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर: पूर्व राजस्व मंत्री सैयद बशारत बुखारी 712 दिन के साथ के बाद शुक्रवार का नेशनल काफ्रेंस (नेकां) से अलग हो गए। उन्होंने अपना इस्तीफा नेकां अध्यक्ष डा. फारूक अब्दुल्ला को सौंपा है। साथ ही पार्टी उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला को भी इस संबंध में पत्र लिखा है। नेका में शामिल होने से पहले वह पीपुल्स डेमाक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) में थे।
पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार में वह राजस्व और विधि एवं संसदीय मामलों के मंत्री भी रहे। उत्तरी कश्मीर में संग्रामा विधानसभा क्षेत्र से दो बार पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतने वाले सैयद बशारत बुखारी अनुच्छेद 370 और 35ए के समर्थक रहे हैं। वह एक वर्ग विशेष की भावनाओं का अक्सर हवाला देते रहे हैं। वर्ष 2018 में पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार के भंग होने के कुछ समय बाद उन्होंने पीडीपी से नाता तोड़ लिया और नेशनल काफ्रेंस में शामिल हो गए थे।
कभी महबूबा मुफ्ती और उनके पिता स्वर्गीय मुफ्ती मोहम्मद सईद के करीबियों में गिने जाने वाले बशारत बुखारी को पीडीपी के शक्तिशाली नेताओं में गिना जाता था। वह महबूबा के खास लोगों में एक थे। बीते साल जब नेका, पीडीपी, काग्रेस, पीपुल्स काफ्रेस और माकपा ने जम्मू कश्मीर में पाच अगस्त, 2019 से पूर्व की संवैधानिक स्थिति की बहाली के लिए गुपकार डिक्लेरेशन को दोहराया था तो उस समय बशारत बुखारी ने कहा था कि घोषणापत्र दोहराने के बजाय लक्ष्य को हासिल करने का रोडमैप सार्वजनिक किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि पाच अगस्त, 2019 से अक्टूबर 2020 तक बहुत कुछ बदल चुका है, इसलिए गुपकार डिक्लेरेशन के एजेंडे को हासिल करने के लिए स्पष्ट कार्ययोजना होनी चाहिए। लोगो को कैसे जोड़ा जाए, इस पर काम होना चाहिए।
बशारत बुखारी ने नेका से अलग होने का फैसला लेते हुए डा. फारूक अब्दुल्ला को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने डा. फारूक से कहा कि वह उनका (बशारत बुखारी) नेकां से 12 मार्च, 2021 से पूरी तरह अलग हो रहे हैं। अब वह इसका हिस्सा नहीं हैं। इसलिए उनका इस्तीफा मंजूर किया जाए। रेडियो उद्घोषक से सियासत में आने वाले बशारत बुखारी ने उमर को शुभकामनाएं देते हुए उम्मीद जताई है कि जम्मू कश्मीर जरूर उमर अब्दुल्ला की सूझ-बूझ, राजनीतिक व प्रशासकीय समझ से लाभान्वित होगा। उन्होंने लिखा है कि दो साल, दो माह और 21 दिन का सफर कोई बड़ा नहीं है और वह भी तब जब इसका अधिकाश हिस्सा लगभग सवा साल नजरबंदी में बीता हो, फिर भी यह सफर मेरे लिए बहुत ही दिलचस्प रहा है। इस दौरान मैंने बहुत कुछ सीखा और समझा है।