सुरेश प्रभु ने लेह रेल लाइन का अंतिम सर्वे किया लांच
अभी तक लेह तक केवल सड़क के जरिये पहुंचा जा सकता है। ये भी साल में पांच महीने चलती है। बर्फबारी शुरू होने के बाद वहां तक पहुंचना असंभव हो जाता है।
श्रीनगर, [जागरण न्यूज नेटवर्क] । लद्दाख प्रांत के लिए मंगलवार का दिन वाकई मंगल रहा। केंद्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बिलासपुर-मनाली-लेह रेल लाइन के लिए अंतिम सर्वेक्षण को लांच किया। विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे ट्रैक के निर्माण की दिशा में यह पहला कदम है। 3300 मीटर की ऊंचाई पर रेलवे अपनी ब्रॉडगेज लाइनें बिछाने जा रहा है।
राजग सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत हिमाचल प्रदेश के विलासपुर से लेह तक जाने वाली ऑल वेदर रेलवे लाइन चीन की सीमा तक पहुंच को आसान करेगी। अभी तक विश्व की सबसे ऊंची रेलवे लाइन चीन ने तिब्बत में बिछाई है। इस मौके पर लोगों को संबोधित करते हुए रेल मंत्री ने कहा कि 'एक राष्ट्र, सशक्त राष्ट्र' के आदर्श के साथ वर्तमान सरकार देश के हर जगह और कौने को जोड़ने और लोगों को करीब लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
बिलासपुर-मनाली-लेह रेलवे लाइन इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो निश्चित रूप से लद्दाख को लाभ देगा। यह देश के बाकी हिस्से के लोगों को लद्दाख के प्राकृतिक सौंदर्य को देखने और लद्दाख के महान लोगों के साथ मिलने का अवसर प्रदान करेगा। रेल मंत्री ने रेल परियोजना में स्थानीय पर्यावरण के संरक्षण का यकीन दिलाते हुए कहा कि इस रेलवे लाइन के बहाल होने से न केवल इस क्षेत्र में पर्यटन व रोजगार बढ़ेगा बल्कि देश की सुरक्षा को भी मजबूती मिलेगी।
इस अवसर पर लद्दाख मामलों के मंत्री शेरिंग दोरजे ने कहा कि आज का दिन लद्दाख के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। लद्दाख के सांसद थुप्सतान छेवांग ने कहा कि लद्दाख को रेलवे से जोड़ने से सीमा सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा। लेह के विधायक नवांग रिनजिन जोरा ने इस रेल लाइन को लद्दाख के लिए बेहद महत्वपूर्ण और जोजीला-सुरंग को राष्ट्र की सुरक्षा से संबंधित बताया। इस अवसर पर उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आरके कुलश्रेष्ठ भी मौजूद रहे।
रक्षा विभाग की है यह योजना:157.77 करोड़ रुपये की लागत की यह योजना रक्षा विभाग की है। उनकी तरफ से रेलवे के चार नेटवर्क तैयार करने की मांग की गई थी। इनमें चीन के साथ पाक व नेपाल सीमा तक रेल लाइन बनाना है। ये रेल नेटवर्क आल वेदर यानि हर मौसम में खुला रहेगा। यह काम राइट्स को दिया गया है। यह रेलवे के अधीन काम करने वाला उपक्रम है। 2019 तक सर्वे पूरा होगा।
अभी तक लेह तक केवल सड़क के जरिये पहुंचा जा सकता है। ये भी साल में पांच महीने चलती है। बर्फबारी शुरू होने के बाद वहां तक पहुंचना असंभव हो जाता है।
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