शोपियां व त्राल में तलाशी अभियान चलाया
राज्य ब्यूरो श्रीनगर अनंतनाग में आतंकियों और अलगाववादियों को मतदान की प्रक्रिया से दूर र
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : अनंतनाग में आतंकियों और अलगाववादियों को मतदान की प्रक्रिया से दूर रखने के लिए सोमवार को सुरक्षाबलों ने शोपियां और त्राल में छिपे आतंकियों की धरपकड़ के लिए अलग-अलग तलाशी अभियान चलाया। सुरक्षाबलों ने तलाशी अभियान में ड्रोन और खोजी कुत्ते भी इस्तेमाल किए।
गौरतलब है कि आतंकवाद की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील कहे जाने वाले दक्षिण कश्मीर में 17वीं लोकसभा के गठन के लिए मतदान हो रहा है। आतंकी व अलगाववादी संगठनों ने चुनाव बहिष्कार का आह्वान कर रखा है। आतंकियों ने गत शनिवार को अनंतनाग के बीजबिहाड़ा में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के एक वरिष्ठ नेता की जान लेने की कोशिश भी की, जो इस समय श्रीनगर के अस्पताल में उपचाराधीन है। संबंधित अधिकारियों ने बताया कि सोमवार सुबह पुलिस को अपने तंत्र से पता चला कि आतंकियों के दो अलग-अलग गुट शोपियां के अयंद और रावलपोरा में अपने किसी संपर्क सूत्र के पास देखे गए हैं। इसके आधार पर सेना की आरआर और राज्य पुलिस विशेष अभियान दल व सीआरपीएफ के जवानों के दो अलग-अलग संयुक्त दस्तों ने आतंकियों को पकड़ने के लिए अयंद व रावलपोरा में घेराबंदी करते हुए तलाशी अभियान चलाया।
संबंधित अधिकारियों ने बतया कि आतंकियों का पता लगाने के लिए सुरक्षाबलों ने बागों और खेतों के ऊपर से ड्रोन भी उड़ाए। खोजी कुत्तों की भी मदद ली गई। सुरक्षाबलों ने इन इलाकों में आने-जाने के सभी रास्ते बंद करते हुए आतंकियों का ठिकाना होने के संदेह में विभिन्न मकानों की तलाशी ली। जवानों ने कई ग्रामीणों के मोबाइल फोन भी अपने कब्जे में लिए और उनकी जांच की। बताया जाता है कि अयंद में कुछ यु़वकों ने तलाशी अभियान के दौरान सुरक्षाबलों के खिलाफ नारेबाजी करते हुए पथराव भी किया। इस पर सुरक्षाबलों ने हल्का बल प्रयोग कर जल्द ही स्थिति पर काबू पा लिया। हालांकि पुलिस ने पुष्टि नहीं की है, लेकिन संबधित सूत्रों की मानें तो सरताज अहमद बट नामक एक युवक जख्मी हुआ है और उसे उपचार के लिए निकटवर्ती अस्पताल में दाखिल कराया गया है।
इसी दौरान त्राल के वागड इलाके में भी सुरक्षाबलों ने हिज्ब के स्थानीय कमांडर हमाद खान के छिपे होने की सूचना पर तलाशी अभियान चलाया। सुरक्षाबलों ने वागड में करीब तीन घंटे तक तलाशी ली, लेकिन आतंकियों का कोई सुराग नहीं मिलने पर वे अपने शिविरों में लौट गए।