लोन के बहाने कश्मीर की सियासत का स्याह चेहरा उजागर
नवीन नवाज जम्मू बारामुला से नेशनल कांफ्रेंस के उम्मीदवार और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष अकबर लोन
नवीन नवाज, जम्मू
बारामुला से नेशनल कांफ्रेंस के उम्मीदवार और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष अकबर लोन की पाक परस्ती ने कश्मीर की सियासत की कड़वी सच्चाई उजागर कर दी है। कट्टरपंथियों के वोट के लिए घाटी में मुख्यधारा की सियासत किसी न किसी तरीके से अलगाववाद से पोषित होती है। पर अब आम लोग और संविधान व कश्मीर विशेषज्ञ भी चाहते हैं कि अलगाववाद की नींव पर मुख्यधारा की सियासत की दुकानदारी करने वालों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया जाए।
गौरतलब है कि लोन ने चुनावी रैली में पाकिस्तान जिदाबाद के नारे लगाए थे। भाजपा ने उन्हें चुनाव के आयोग्य करार देने की मांग की है।
उत्तरी कश्मीर में एलओसी के साथ सटे बारामुला, कुपवाड़ा और बांडीपोर जिलों में फैले इस संसदीय क्षेत्र में नेकां अकसर विरोधियों के मुकाबले बीस रही है। अलगाववादियों के चुनाव बहिष्कार की धमकियों के बावजूद ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों में मतदान खूब होता है। इस बार भी 14 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किए हैं और मुकाबला बहुकोणीय रहने की उम्मीद है। कांग्रेस व नेकां दोस्ताना चुनाव लड़ रहे हैं, वहीं पीडीपी अपनी सीट बचाने के लिए प्रयासरत है। पीपुल्स कांफ्रेंस और भाजपा पहली बार दम दिखाने को प्रयासरत हैं। कश्मीर में जनमत संग्रह का समर्थन करने वाले पूर्व निर्दलीय विधायक इंजीनियर रशीद भी मैदान में हैं।
सोमवार को नामांकन प्रक्रिया संपन्न होते ही चुनावी गतिविधियां जोर पकड़ चुकी हैं। अकबर लोन के बयान ने हलचल पैदा कर रखी है। नेकां के भीतर भी एक वर्ग इस बयानबाजी से नाराज है। कुपवाड़ा निवासी पूर्व सरपंच शब्बीर अहमद लोन कहते हैं कि लोन के बयान से वही लोग मजबूत होंगे जो कश्मीर को भारत से अलग करना चाहते हैं। ऐसे में उन्हें नेकां से अलग हो जाना चाहिए।
उड़ी निवासी इकबाल के मुताबिक यहां चुनावों में इस तरह की बातें होती रहती हैं। पर मुख्यधारा के सियासी नेता अगर इस तरह वोट मांगेंगे तो वह हुíरयत को ही सही ठहराएंगे। नेकां नेतृत्व और चुनाव आयोग दोनों को कठोर रवैया अपनाना चाहिए। अगर उन्हें चुनाव लड़ने दिया गया तो आप जमात या जेकेएलएफ पर पाबंदी को कैसे जायज ठहरा सकते हैं।
बारामुला निवासी एक पूर्व पुलिस अधिकारी ने कहा कि अकबर लोन किस मुंह से नेकां के शहीदों का सामना करेंगे जिन्होंने पाकिस्तान जिदाबाद कहने के बजाय हिदोस्तान के नारे के लिए अपनी जान दे दी। नेकां के ही सबसे ज्यादा नेता व कार्यकर्ता पाकिस्तान समर्थक आतंकियों के हाथों मारे गए हैं। अब लोन क्यों चुनावी फायदे के लिए कश्मीर को बदहाली की तरफ धकेलना चाहते हैं। कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ डा. अजय चुरुगु ने कहा कि अकबर लोन का रवैया कश्मीर की सियासी हकीकत बताता है। वह उसी दल से हैं, जिन्होंने कश्मीरियों को पाकिस्तानी नमक और हरा रुमाल दिखाकर वोट लिए। कश्मीर में आतंकवाद का कारण ही यही है। इसलिए अकबर लोन जैसे नेताओं को छूट देने के बजाय मामला दर्ज कर चुनाव में भाग लेने से रोकना चाहिए। साफ है कि कश्मीर केंद्रित सियासी दल एक तरह से अलगाववादियों की बी टीम हैं। उस समय तो भाजपा के ही स्पीकर थे: जीए मीर
प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जीए मीर ने कहा कि हम कहीं भी अकबर लोन की नारेबाजी का समर्थन नहीं करते। यह निदनीय है। लोन ने तो राज्य विधानसभा में भी पाकिस्तान जिदाबाद के नारे लगाए थे। उस समय स्पीकर तो भाजपा के कवींद्र गुप्ता थे। वह चाहते तो कार्रवाई कर सकते थे, उन्हें अयोग्य करार दे देते। खैर, लोन की नारेबाजी पर तो सवाल उनके पार्टी नेतृत्व से होना चाहिए। रही बात कांग्रेस व नेकां के गठजोड़ या फ्रेंडली कांटेस्ट की तो हमने उनके लिए मैदान खाली नहीं छोड़ा है। हमने नेकां से समर्थन नहीं मांगा है और न गठजोड़ की पेशकश उसके पास लेकर गए थे। भाजपा केंद्र में थी जब राज्य विधानसभा में स्वायतता का प्रस्ताव पारित हुआ था, भाजपा चाहती तो उस समय नेकां की सरकार भी बर्खास्त कर सकती थी। ऐसे तत्वों को रोका जाए : सलाथिया
संविधान विशेषज्ञ एवं राज्य के वरिष्ठ कानूनविद बीएस सलाथिया ने कहा कि यह मामला गंभीर है। ऐसे तत्वों को चुनाव में भाग लेने से रोका जाना चाहिए। चुनाव आयोग इसका संज्ञान ले और लोन का नामांकन रद करे। पुलिस भी आपराधिक मामला दर्ज कर कार्रवाई करे। लोन ने नामांकन के दौरान भारतीय संविधान और देश की एकता, अखंडता व संप्रभुता की शपथ ली है। चुनाव आयोग अगर कुछ पूछेगा तो वह हिदोस्तान जिदाबाद के नारे लगा मामला खत्म कर देंगे। यह इन लोगों दोगलापन है। इस तरह के नारों से वोट लेकर आप कश्मीर में अलगाववाद की भावना को मजबूत करेंगे। संविधान विशेषज्ञ और राज्य के पूर्व शिक्षामंत्री हर्ष देव सिंह ने कहा कि कोई कितु परंतु नहीं, अकबर लोन के खिलाफ राष्ट्रीय अवमानना का मामला दर्ज हो। उनका नामांकन रद किया जाए। वह पाकिस्तान का नारा लगाकर हिदोस्तान के संविधान के तहत चुनाव लड़ रहे हैं, यह कोई मजाक है क्या।