जैश ,लश्कर के निशाने पर श्रीनगर, किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने काो तलाश रहे हैं मौका
आतंकी संगठनों के निशाने पर कुछ महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों और वीवीआईपी की सूची तैयार की गई है और उसके आधार पर उनकी सुरक्षा का बंदोबस्त भी किया गया है।
श्रीनगर, [नवीन नवाज ]। ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर व उसके साथ सटे इलाकों में आतंकी साया अब गहराने लगा है। जैश-ए-मोहम्मद ने दक्षिण कश्मीर में अपनी जड़ें जमाने के बाद श्रीनगर में भी दस्तक देना शुरु कर दी है वहीं लश्कर-ए-ताईबा के लगभग एक दर्जन आतंकी अलग -अलग गुटों में बंट कर किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने का मौका तलाश रहे हैं।
बीते सप्ताह श्रीनगर में सीआरपीएफ के बंकर पर हुए ग्रेनेड हमले से लेकर श्रीनगर के सन्नतनगर में सीआरपीएफ के काफिले पर हमले में भी जैश ए मोहम्मद का ही हाथ रहा है। इस दौरान श्रीनगर में हथियार लूटने की दो वारदातों में भी इसी संगठन से जुड़े आतंकी जिम्मेदार रहे हैं। श्रीनगर एयरपोर्ट पर आतंकी हमला भी जैश की ही कारस्तानी रहा है।
श्रीनगर जहां बीते छह साल सालों से आतंकी अपनी नियमित उपस्थिति जताने में नाकाम होने के बाद सिर्फ हमला करो और भागो की नीति अपना रहे थे,अब स्थानीय युवकों की भर्ती में भी कामयाब हो गए हैं। शहर में ठिकानें भी बनाने लगे हैं। लश्कर-ए-ताईबा जिसके पांच से छह आतंकी श्रीनगर के साथ सटे हारवन के जंगलों में ही बीते कुछ सालों के दौरान तक सीमित रहते थे, अब अक्सर शहर के विभिन्न इलाकों में विशेषकर शालीमार, सौरा, हजरतबल ,नूरबाग और कभी कभी लालचौक से हैदरपोरा तक भी चक्कर लगाने लगे हैं। इसके अलावा बीते कुछ दिनों के दौरान एलओसी पार से आए लश्कर-ए-ताईबा के लगभग एक दर्जन आतंकयिों ने पूरी कर दी है। यह आतंकी जिला बडगाम में कहीं छिपे हुए हैं और दो-तीन के गुट बनाकर श्रीनगर और उसके साथ सटे इलाकों में सक्रिय हो रहे हैं ।
सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि श्रीनगर शुरु से ही आतंकियों के निशाने पर रहा है। लेकिन किसी स्थानीय युवक के आतंकी संगठन में सक्रिय न होने के कारण आतंकी संगठन शहर मे अपनी उपस्थिति का अहसास करानके लिए दूसरे जिले के आतंकियों पर निर्भर रहते थे। अगर कोई बड़ी वारदात करनी होती थी तो आत्मघाती आतंकी जो सरहद पार से आए होते थे, उनका ही इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन अब स्थिति बदल रही है जो अत्यंत खतरनाक है।
उन्होंने बताया कि इस समय श्रीनगर शहर के पांच लड़के सक्रिय आतंकी हैं। इनमें से दो जैश-ए-मोहम्मद के सदस्य हैं। इसके अलावा जैश का श्रीनगर में एक पुराना स्पोर्ट सिस्टम है। उन्होंने बताया कि जैश के लिए श्रीनगर व उसके साथ सटे इलाकों में सक्रिय रहे हरकत उल जेहाद इस्लामी, अल-बदर के पुराने आतंकियों अलावा अल-उमर मुजाहिदीन के चीफ कमांडर मुश्ताक लटरम का स्थानीय नेटवर्क भी मदद करेगा, कर रहा है। लटरम को भी कंधार हाईजैक के समय जैश सरगना अजहर मसूद के साथ रिहा किया गया था। वह डाऊन-टाऊन नौहटटा का रहने वाला है। वर्ष 2000 में बादामीबाग सैन्य छावनी पर विस्फोटको ंसे लदी कार से खुद को उड़ाने वाला आफाक भी डाऊन-टाऊन का ही रहने वाला था।
आईजीपी कश्मीर मुनीर अहमद खान ने भी आज सुबह यहां पुलिस नियंत्रण कक्ष में स्वीकार किया की श्रीनगर में जैश-ए-मोहम्मद के दो से तीन आतंकी सक्रिय हैं। इसके अलावा लश्कर के 12-13 आतंकी भी श्रीनगर के साथ सटे जिला बडगाम के इलाकों में आकर बैठे हैं। यह दो से तीन गुट में सक्रिय हो रहे हैं। हम इन्हें जिंदा अथवा मुर्दा पकडऩे के लिए एक विशेष रणनीति पर काम कर रहे हें।
राज्य पुलिस के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि जैश व लश्कर को श्रीनगर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने मे हिजबुल मुजाहिदीन भी मदद दे रहाहै। आतंकी संगठनों के निशाने पर कुछ महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों और वीवीआईपी की सूची भी तैयार की गई है और उसके आधार पर उनकी सुरक्षा का बंदोबस्त भी किया गया है।