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आतंकियों की नई पौध तैयार कर रहा था महराजुदीन

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : फतेहकदल, डाउन-टाउन (श्रीनगर) में अपने घर से कुछ ही दूरी पर मुठ

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Oct 2018 02:10 AM (IST)Updated: Thu, 18 Oct 2018 02:10 AM (IST)
आतंकियों की नई पौध तैयार कर रहा था महराजुदीन
आतंकियों की नई पौध तैयार कर रहा था महराजुदीन

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : फतेहकदल, डाउन-टाउन (श्रीनगर) में अपने घर से कुछ ही दूरी पर मुठभेड़ में मारे गए लश्कर कमांडर महराजुदीन बांगरू की मौत सुरक्षाबलों के लिए बड़ी कामयाबी मानी जा रही है। पिछले चार वर्षो के दौरान उसने जिस तरह से कश्मीर में आतंकियों की नई पौध तैयार की उससे सभी सुरक्षा एजेंसियां हैरान हैं।

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35 वर्षीय महराजुदीन कभी हिजबुल मुजाहिदीन के नामी आतंकियों में एक था। सुरक्षाबलों द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद वह काफी देर जेल में रहा और रिहा होने के कुछ सालों तक उसने आतंकवाद से कोई नाता नहीं रखा, लेकिन वह कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी की अगुआई वाली हुर्रियत कांफ्रेंस से जुड़ गया। कुछ समय बाद उसने फिर श्रीनगर में आतंकी गतिविधियों में बतौर ओवरग्राउंड वर्कर हिस्सा लेना शुरू किया और उसने तहरीकुल मुजाहिदीन का नेटवर्क बनाना शुरू किया। डाउन-टाउन के नौहट्टा व उसके साथ सटे इलाकों में उसने स्थानीय युवकों का एक दल भी तैयार किया, जो आतंकी संगठन आइएसआइएस की विचारधारा से प्रभावित थे। इनमें सज्जाद गिलकार भी था। वर्ष 2016 की शुरुआत में महराजुदीन श्रीनगर से गायब हो गया और तहरीकुल मुजाहिदीन का एक सक्रिय कमांडर बन गया। उसके साथ ही उसने श्रीनगर व उसके साथ सटे इलाकों में नए लड़कों की भर्ती शुरू करते हुए दक्षिण व सेंट्रल कश्मीर में सक्रिय पुराने आतंकियों के साथ समन्वय बनाया। वह हिज्ब और लकर के आतंकियों के बीच भी एक कोआर्डिनेटर की भूमिका निभाने लगा। उसने ही दाउद सलाफी, इसा फाजली, मुगीस, फैजान समेत कई युवकों को आतंकी संगठनों में शामिल कराया था। इनमें से कई लड़कों ने आइएसआइएस और जाकिर मूसा का गुट भी चुना। तहरीकुल मुजाहिदीन के चीफ कमांडर जमील उर रहमान के साथ मतभेदों के चलते वह इसी साल की शुरुआत में लश्कर में शामिल हो गया था। कई आतंकी वारदात में शामिल था डबल ए श्रेणी का आतंकी :

12वीं पास महराजुदीन को सुरक्षा एजेंसियों ने डबल ए श्रेणी का आतंकी घोषित कर रखा था। दो वर्ष पूर्व जडीबल इलाके में दो पुलिसकर्मियों की हत्या, टेंगपोरा में एक पुलिसकर्मी की हत्या समेत श्रीनगर में हुई करीब एक दर्जन आतंकी वारदातों में वह शामिल रहा है। जून 2016 में अनंतनाग के थाजीबल इलाके में अच्छाबल के थाना प्रभारी फिरोज समेत छह पुलिसकर्मियों की हत्या की साजिश में भी वह शामिल था। वर्ष 2017 में श्रीनगर-अनंतनाग राष्ट्रीय राजमार्ग पर श्री अमरनाथ श्रद्धालुओं पर हमले की वारदात में भी उसका नाम आया था। दसवीं में फेल होने के बाद जिहादी बना था फहद :

फहद मुश्ताक वाजा इसी साल मार्च के अंतिम सप्ताह में सुर्खियों में आया जब एसाल्ट राइफल के साथ उसकी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। खनयार का रहने वाला फहद अपने इलाके में एक धार्मिक प्रवृति का किशोर माना जाता था। उसके परिजनों के मुताबिक, वह लगभग एक साल पहले दसवीं की बोर्ड परीक्षा में फेल हो गया था। उसके बाद उसका मन पढ़ाई में नहीं लगता था। उसने पढ़ाई छोड़ने के बाद अपने खानदानी पेशे वाजा (कश्मीर में शादी विवाह में खाना पकाने वाले रसोईए को वाजा कहा जाता है) को अपना लिया। उसके पिता मुश्ताक वाजा बीमार थे और वह अपने चाचा के साथ ही काम करता था। गत वर्ष वह जमाय-ए-इस्लामी के प्रभाव में आया और फिर उसका अधिकांश वक्त मस्जिद में ही बीतने लगा था। इस साल मार्च माह के दौरान जब वह घर से गया था तो यही कह कर गया था कि तबलीग जमात के साथ जा रहा हूं, तीन दिन में लौट आउंगा, लेकिन वह नहीं आया। सोशल मीडिया पर उसकी आतंकी बनी तस्वीर वायरल हुई थी। उसे हथियार छोड़ मुख्यधारा में लौटने के लिए मनाने के इरादे से उसके परिजनों ने श्रीनगर में प्रताप पार्क के साथ सटे प्रेस एन्कलेव में कई बार धरना-प्रदर्शन भी किया। पुलिस के मुताबिक, आतंकी बनने के बाद फहद वाजा ने खनयार इलाके में दो आतंकी वारदातों को अंजाम देने के अलावा बटमालू व दक्षिण कश्मीर में भी सुरक्षाबलों पर हमले की कई वारदातों में हिस्सा लिया था। शहीद को श्रद्धांजलि अíपत :

मुठभेड़ में आतंकियों को मार गिराते शहीद हुए राज्य पुलिस के जवान कमल किशोर को जिला पुलिस लाइन श्रीनगर में एक भावपूर्ण समारोह में अंतिम विदाई दी गई। राज्य पुलिस महानिदेशक दिलबाग ¨सह, आइजीपी कश्मीर एसपी पाणि समेत राज्य पुलिस के आलाधिकारियों व जवानों, सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा नागरिक प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने शहीद के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र और फूलमालाएं भेंट कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद तिरंगे में लिपटा शहीद का पार्थिव शरीर पूरे राजकीय सम्मान के साथ जम्मू संभाग के जिला रियासी में उनके परिजनों के पास भेज दिया गया।


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