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अलगाववादियों ने किया कश्मीर बंद का आह्वान

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : ऑल पार्टी हुíरयत कांफ्रेंस और जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 Oct 2018 06:48 PM (IST)Updated: Wed, 03 Oct 2018 06:48 PM (IST)
अलगाववादियों ने किया 
कश्मीर बंद का आह्वान
अलगाववादियों ने किया कश्मीर बंद का आह्वान

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : ऑल पार्टी हुíरयत कांफ्रेंस और जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) समेत कश्मीर के विभिन्न अलगाववादी संगठनों के साझा मंच ज्वाइंट रजिस्टेंस लीडरशिप (जेआरएल) ने बुधवार को फिर आठ अक्टूबर को कश्मीर बंद का आह्वान किया है।

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जेआरएल ने यह बंद निकाय व पंचायत चुनावों के खिलाफ किया है। जेआरएल का कहना है कि इन चुनावों में हिस्सा लेने का मतलब कौम के साथ गद्दारी है। कश्मीरियों को चुनाव नहीं अपना हक ए खुद इरादियत चाहिए। गौरतलब है कि राज्य में निकाय चुनाव वर्ष 2010 और पंचायत चुनाव 2016 से लंबित पड़े हुए हैं। गत जुलाई के अंत में राज्यपाल प्रशासन ने इन चुनावों को कराने का फैसला किया था। गत सितंबर के दौरान राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने इसकी अधिसूचना जारी की थी। पंचायत चुनाव नवंबर से शुरू होंगे, जबकि निकाय चुनावों के लिए पहले चरण का मतदान आठ अक्टूबर को होने वाला है।

कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी, उदारवादी हुíरयत प्रमुख मीरवाइज मौलवी उमर फारूक और जेकेएलएफ चेयरमैन यासीन मलिक के संयुक्त नेतृत्व वाली जेआरएल ने गत माह से ही चुनावों के बहिष्कार का अभियान चला रखा है। इस अभियान को कामयाब बनाने के लिए अलगाववादियों ने मोहल्लों में बैठकों और सोशल मीडिया का सहारा लिया है। अपने अभियान को कामयाब बनाने के लिए जेआरएल ने आठ अक्टूबर को कश्मीर बंद का आह्वान किया है।

जेआरएल ने लोगों से कहा है कि वह 10, 13 और 16 अक्टूबर को उन सभी इलाकों में बंद को कामयाब बनाएं, जहां मतदान हो। जेआरएल का कहना है कि ¨हदोस्तान की सरकार कश्मीर पर अपने कब्जे को सही ठहराने के लिए चुनाव का ड्रामा कर रही है। अलगाववादी संगठन ने कहा है कि इन चुनावों की क्या अहमियत होगी, जिनमें आम लोगों को नहीं पता कि उनका नुमाइंदा कौन है, वह कहां रहता है और उसका क्या नाम है। यह चुनाव सिर्फ जम्मू कश्मीर की धारा 370 और धारा 35-ए को भंग करते हुए कश्मीर में आजादी की तहरीक को कुचलने के लिए कराए जा रहे हैं। इसलिए कश्मीर के लोग इन चुनावों का बहिष्कार करें और ¨हदोस्तान की सरकार को बता दें कि उन्हें चुनाव नहीं अपना हक ए खुद इरादियत चाहिए।


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