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पापा के डॉक्टर बनने का सपना पूरा करेंगे नीट में सफल जुड़वां भाई गौहर व शाकिर

रजिया नूर श्रीनगर आर्थिक स्थिति ठीक न होने से पढ़ाई छूट जाने से उचित मूल्य की दुकान में स

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Oct 2020 06:52 AM (IST)Updated: Tue, 20 Oct 2020 06:52 AM (IST)
पापा के डॉक्टर बनने का सपना पूरा करेंगे नीट में सफल जुड़वां भाई गौहर व शाकिर
पापा के डॉक्टर बनने का सपना पूरा करेंगे नीट में सफल जुड़वां भाई गौहर व शाकिर

रजिया नूर, श्रीनगर : आर्थिक स्थिति ठीक न होने से पढ़ाई छूट जाने से उचित मूल्य की दुकान में सुरक्षा गार्ड पापा के डॉक्टर बनने के सपने को अब उनके जुड़वां बेटे गौहर और शाकिर पूरा करेंगे। उत्तरी कश्मीर के बारामुला जिले के कुंजर इलाके के बटपोरा निवासी 40 वर्षीय बशीर अहमद के जुड़वां बेटों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए नीट में सफलता प्राप्त की है। शाकिर को 720 में से 651, गौहर ने 657 अंक प्राप्त हुए।

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श्रीनगर से 35 किलोमीटर दूर श्रीनगर-गुलमर्ग रोड पर स्थित बटपोरा निवासी शाकिर व गौहर हमशक्ल हैं, इनकी खाने-पीने यहां तक कि हेयर स्टाइल भी समान है। इससे कभी-कभी पहचान में घरवाले भी कन्फ्यूज हो जाते हैं। हालांकि इसे दूर करने के लिए हम अलग-अलग रंग के कपड़े पहनते हैं। शाकिर ने कहा, लॉकडाउन ने हमें परीक्षा की तैयारी में काफी मदद की। हम दिन में पांच घंटे पढ़ाई करते थे और क्रिकेट व वॉलीबॉल खेलने का शौक भी पूरा करते थे। सुबह नाश्ते के बाद डेढ़ घंटा पढ़ाई करते थे, फिर आधे या एक घंटे के ब्रेक के बाद फिर से तैयारी में जुट जाते थे। दोपहर के खाने के बाद फिर से पढ़ाई और बीच में ब्रेक लेकर माइंड को फ्रेश करने के लिए घूमने के लिए खेतों की तरफ चले जाते थे। गांव के पहले डॉक्टर होंगे शाकिर, गौहर

गौहर और शाकिर अपने गांव के पहले डॉक्टर होंगे। उचित मूल्य की दुकान पर सुरक्षा गार्ड पिता बशीर अहमद ने कहा, मेरा सपना डॉक्टर बनना था। 1998 में 11वीं कक्षा पास की, लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक न होने से पढ़ाई छोड़नी पड़ी। वर्ष 2012 में 12वीं कक्षा पास की, लेकिन परिवार की जिम्मेदारियों के कारण आगे नहीं पढ़ सका। सारा ध्यान बच्चों की पढ़ाई पर लगाया। खर्चा पूरा करने के लिए ओवर टाइम किया। गौहर और शाकिर को मेडिकल कोचिग के लिए श्रीनगर भेजा। उनके पहली बार असफल होने पर मायूस था, लेकिन दूसरी बार उन्होंने मेरा सिर फº से ऊंचा कर दिया है। शाकिर ने कहा, हम दोनों ने रेडयोलॉजिस्ट बनने का फैसला किया है। एमबीबीएस के बाद हम एमडी करेंगे और उसके बाद गांव में ही लोगों की सेवा करेंगे।


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