Move to Jagran APP

कोरोना से कराह रहे कश्मीर को संघ का सहारा

कश्मीर भी कोरोना से कराह रहा है। तेजी से बढ़ते मामलों ने कश्मीरियों में अलग सी बेचैनी और चिंता को बढ़ा दिया है। अजीब सी खामोशी पसरी हुई है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sun, 05 Apr 2020 10:59 AM (IST)Updated: Sun, 05 Apr 2020 10:59 AM (IST)
कोरोना से कराह रहे कश्मीर को संघ का सहारा
कोरोना से कराह रहे कश्मीर को संघ का सहारा

श्रीनगर, नवीन नवाज । कश्मीर भी कोरोना से कराह रहा है। तेजी से बढ़ते मामलों ने कश्मीरियों में अलग सी बेचैनी और चिंता को बढ़ा दिया है। अजीब सी खामोशी पसरी हुई है। वीरान सड़कों पर सुरक्षाकर्मी मुस्तैद हैं। बीते दिनों आतंकियों ने भी कुछ हलचल दिखाई, जिन्हें काबू कर लिया गया। अलगाववादियों और जिहादियों का गढ़ कहलाने वाले बारामुला, हंदवाड़ा और बडग़ाम के दूरदराज के इलाकों में कुछ युवक-युवतियां बेखौफ होकर आम लोगों के घरों तक मदद पहुंचा रहे हैं। ताकि कोई भूखा न सोए। ये स्थानीय मुस्लिम युवक-युवतियां राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की इकाई सेवा भारती के कार्यकर्ता हैं।

prime article banner

ये स्वयं सेवक किसी को राशन दे रहे हैं तो किसी को दवाएं। सिर्फ यही नहीं लोगों की दिक्कतों और आवश्यकताओं को भी ये दर्ज करते चलते हैैं और फिर प्रशासन के संज्ञान में लाकर समाधान का प्रयास करते हैं। कोरोना संक्रमण पर काबू पाने के लिए जारी इस लॉकडाउन में कश्मीर के कई छिपे रहस्य उजागर होने लगे हैं। श्रीनगर से सटे बडग़ाम में ही नहीं, बारामुला और हंदवाड़ा में भी सेवा भारती के कार्यकर्ताओं द्वारा, जिनमें युवतियों की संख्या अधिक है, जरूरतमंदों में राहत सामग्री वितरित की जा रही है। कश्मीर में ईंट भटटों पर काम करने वाले अन्य राज्यों के मजदूरों, गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले स्थानीय लोगों, दिव्यांगों, बुजुर्गों तक ये नियमित पहुंच रहे हैं। उनकी जरूरत के मुताबिक राशन सामग्री, दवाएं, साबुन, सैनिटाइजर व अन्य आवश्यक सामान वितरित किया जा रहा है।

बाशिंदों की मदद इमदाद करना हमारा फर्ज...

डंगीबाचा सोपोर में राहत सामग्री जरूरतमंदों तक पहुंचाने में जुटी मुबीना बेगम ने कहा कि अब आप मुझसे यह सवाल मत पूछना कि मुसलमान होकर सेवा भारती के साथ क्यों हो? हमारा मकसद लोगों की सेवा करना है, वतन की सेवा करना है। भारत हमारा मुल्क है, उसकी और उसके बाशिंदों की मदद इमदाद करना हमारा फर्ज। हमारा मजहब भी हमें यही सिखाता है। आपकी तसल्ली के लिए मैं बता देती हूं कि यहां कम से कम डेढ़ सौ लड़कियां हैं जो सेवा भारती की सक्रिय कार्यकर्ता हैं। अगर कोई सेवा भारती या आरएसएस से जुडने से मजहब को नुकसान पहुंचता तो फिर हम इसका हिस्सा क्यों बनतीं। हां, हम तो सभी को यही कहते हैं कि अगर आपको लोगों की मदद करनी है तो हमारे साथ चलो। सेवा भारती के स्थानीय कार्यकर्ताओं ने ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों को चुना है क्योंकि अन्य लोगों का ध्यान सिर्फ शहरी इलाकों पर है। मजदूरों और ग्रामीणों के पास मदद आसानी से नहीं पहुंच पाती है, इसलिए हमने इन इलाकों को चुना है।

कश्मीर का दुश्मन बताते हैं...

जानकारों ने बताया कि कश्मीर में अलगाववादी और जिहादी तत्व हमेशा से ही आरएसएस व उससे जुड़े संगठनों को इस्लाम और कश्मीर का दुश्मन करार देते आए हैं। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच और भाजपा से जुड़े चंद चेहरों को अगर छोड़ दिया जाए तो वादी के मुस्लिमों में शायद ही कोई आरएसएस से प्रत्यक्ष-परोक्ष संबंध रखता हो। ऐसे में इन सैकड़ों स्थानीय स्वयं सेवकों का यह सेवाकार्य लोगों की आंखों पर चढ़ाया गया चश्मा उतारने का भी काम कर रहा है।

कौन कहता है कि संघ हमारा दुश्मन है...

बारामुला के ओल्डटाउन के बाहरी छोर पर एक बस्ती में सेवा भारती के स्वयं सेवक से राशन सामग्री ले रहे गुलाम मुहम्मद ने कहा कि आप कैसे कह सकते हैं कि आरएसएस हमारा दुश्मन है। यह उन लोगों का दुश्मन हो सकता है जिनका मकसद हम लोगों को हमेशा जाहिल बनाए रखना होगा। अगर यह हमारे दुश्मन हैं तो फिर हमारे कश्मीर के पढ़े लिखे मुस्लिम लड़के-लड़कियां क्यों इसके साथ जाएंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.