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आठ हजार करोड़ से पूरे किए जाएंगे अधर में लटके प्रोजेक्ट

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : राज्य प्रशासनिक परिषद (एसएसी) की बुधवार को राज्यपाल सत्यपाल मलिक की अध्

By JagranEdited By: Published: Thu, 06 Sep 2018 01:47 AM (IST)Updated: Thu, 06 Sep 2018 01:47 AM (IST)
आठ हजार करोड़ से पूरे किए जाएंगे अधर में लटके प्रोजेक्ट
आठ हजार करोड़ से पूरे किए जाएंगे अधर में लटके प्रोजेक्ट

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : राज्य प्रशासनिक परिषद (एसएसी) की बुधवार को राज्यपाल सत्यपाल मलिक की अध्यक्षता में हुई बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। तय किया गया कि राज्य में अधर में लटके प्रोजेक्टों को पूरा करने के लिए आठ हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। 40 नए कॉलेजों व दो प्रशासकीय स्टाफ कॉलेजों की स्थापना के प्रस्ताव को मंजूरी देने के साथ स्वास्थ्य विभाग में स्वास्थ्य अधिकारियों की नियुक्ति के लिए मौखिक साक्षात्कार की प्रक्रिया को समाप्त कर दिया गया है। यही नहीं, 850 मेगावाट की रतले जल विद्युत परियोजना के लिए एक अलग ज्वाइंट वेंचर कंपनी बनाने और राज्य बिजली विभाग (पीडीडी) के पुनर्गठन, विभाजन और जम्मू कश्मीर स्टेट पॉवर ट्रेडिंग कंपनी लिमिटेड (ट्रेडको) के संचालन को भी मंजूरी दे दी गई।

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राज्य प्रशासनिक परिषद की बैठक में राज्यपाल के तीनों सलाहकार के विजय कुमार, खुर्शीद अहमद गनई, बीबी व्यास के अलावा मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रह्मण्यम और राज्य के प्रधान सचिव उमंग नरुला भी मौजूद रहे।

बैठक में फैसला लिया गया कि रुके पड़े विकास प्रोजेक्टों को पूरा करने के लिए आठ हजार करोड़ रुपये की भारी भरकम धनराशि का प्रबंध होगा। इसके लिए नई ढांचागत कंपनी जम्मू कश्मीर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलेपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन बनाने को मंजूरी दी गई। कंपनी को अधिकृत किया गया है कि विभिन्न वित्तीय संस्थानों (राष्ट्रीय व राज्य के बैंक) से आठ हजार करोड़ रुपये तक का ऋण ले सकती है। नई कंपनी सात सितंबर को पंजीकृत होगी और एक सप्ताह के भीतर काम करना शुरू कर देगी।

राज्य में कई प्रोजेक्ट धनराशि के अभाव में वर्षो से लटके हुए हैं। उनकी लागत भी बढ़ गई है।

योजना, विकास और निगरानी विभाग के अनुमानित आकलन के अनुसार दस हजार करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट अधर में हैं। इन्हें एक ही बार में पूरा करने के लिए छह हजार करोड़ रुपये की जरूरत है। लोक निर्माण विभाग, पीएचई, स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा, युवा सेवा, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा और पर्यटन विभाग ऐसे हैं जिनका दो तिहाई बोझ है। छह विभागों के प्रोजेक्ट पूरे करने पर ही छह हजार करोड़ रुपये की जरूरत है। परिषद ने माना कि अगर ऐसे ही चलता रहा तो इन प्रोजेक्टों को पूरा करने में एक दशक लग जाएगा। इसे देखते हुए यह फैसला किया गया कि आठ हजार करोड़ रुपये का प्रबंध किया जाए। काम में देरी हुई तो लगेगा जुर्माना :

विकास प्रोजेक्ट पूरे करने और इनकी निगरानी के लिए एक फुल प्रूफ सिस्टम बनाया जाएगा। इसके लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाई जाएगी। इसमें वित्त, लोक निर्माण, योजना, पीएचई विभागों के प्रशासनिक सचिवों को शामिल किया जाएगा। जिस विभाग के प्रोजेक्ट पर काम होगा, उसके सचिव को भी शामिल किया जाएगा। परिषद ने यह भी निर्देश दिए कि सभी प्रोजेक्ट निर्धारित समय के भीतर पूरे होने चाहिए। अगर इनमें देरी की जाती है तो जुर्माना लगाया जाएगा।

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