राहुल गांधी ने इफ्रा की प्रतिभा को सराहा
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : लक्ष्य के प्रति निष्ठा और लगन हो तो कामयाबी जरूर मिलती है। दक्षिण कश्मीर में
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : लक्ष्य के प्रति निष्ठा और लगन हो तो कामयाबी जरूर मिलती है। दक्षिण कश्मीर में गागरन शोपियां की रहने वाली इफ्रा शिराज ने इसे साबित कर दिखाया है। आतंकी ¨हसा और आए दिन गोलियों की गूंज से अवसाद का शिकार हुई शिराज ने तमाम मुश्किलों को ठेंगा दिखाते हुए अपने लक्ष्य पर नजर रखी और गत सप्ताह राज्य स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा वादी में घोषित मैट्रिक की वाíषक बोर्ड परीक्षा में वह मेधावी छात्र-छात्राओं की सूची में सबसे ऊपर रही।
उसके हौसले को सब सलाम कर रहे है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी मंगलवार को उन्हें एक बधाई पत्र लिखकर उसकी कामयाबी को सराहा है। शोपियां बीते तीन वर्षो से कश्मीर में आतंकी ¨हसा का सबसे बड़ा केंद्र है। यहां बीते साल करीब 110 दिनों तक स्कूल, कॉलेज बंद रहे, लेकिन दसवीं में पास प्रतिशत 83 फीसद रहा है। इससे सटे जिला पुलवामा में मैट्रिक की परीक्षा में 84.5 छात्र सफल रहे। इफ्रा ने 500 में से 494 अंक हासिल किए हैं, लेकिन यह आसान नहीं था। कानून व्यवस्था की बिगड़ी स्थिति और सुरक्षाबलों व आतंकियों के बीच होने वाली अकसर मुठभेड़ों ने उसके दिलोदिमाग पर भी असर डाला है। वह अवसाद का शिकार हो गई। इससे उसके मां-बाप की हालत का भी अंदाजा लगाया जा सकता है। उसके पिता शिराज अहमद ने कहा कि वह ठीक रहे, स्वस्थ रहे, खुदा उसे तरक्की दे, यही हम चाहते हैं। लेकिन जब वह डिप्रेशन में चली गई तो हमें लगा कि सबकुछ तबाह हो गया है। खैर, अब वह इससे बाहर आ रही है। हालात बेहतर होते तो शत-प्रतिशत नंबर हासिल कर सकती थी
तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी इफ्रा ने कहा कि मैं शत-प्रतिशत नंबर हासिल कर सकती थी, अगर यहां हालात बेहतर होते। मेरा स्कूल जो हमारे घर से छह सात किलोमीटर दूर है, अक्सर बंद रहता था। कई बार मैं स्कूल के दरवाजे से ही लौटी हूं। कई बार हमारी गाड़ी पर पत्थर भी पड़े। ट्यूशन भी नहीं जा सकती थी। टीयर गैस का धुआं और गोलियों की आवाज मेरे दिमाग में बैठ गई थी। एक डर बैठ गया, हार्ट की बीमारी लग गई। मैंने घर में ही ज्यादातर पढ़ा। मम्मी-पापा भी मुझे घर में ही पढ़ाते थे। मेरे टीचर्स और मेरे पैरेंटस ने मेरा साथ दिया और आज आप मेरा इंटरव्यू ले रहे हैं। परीक्षाएं चल रही थी, कुछ दूरी पर एनकाउंटर हुआ
इफ्रा ने कहा कि जिन दिनों मेरी परीक्षाएं चल रही थी, उन्हीं दिनों घर से कुछ दूरी पर एक एनकाउंटर भी हुआ। मेरी हालत खराब हो गई थी। मैं पढ़ नहीं सकती थी। दवा के असर से मुझे लंबे समय तक सोते रहना पड़ता था। इफ्रा की मां नुजहत नीलम और पिता शिराज अहमद दोनों ही सरकारी अध्यापक हैं। उसकी मां ने कहा कि बेटी बीमार हो जाए, डिप्रेशन में चली जाए और मैट्रिक का एग्जाम हो, आप समझ सकते हैं कि मां-बाप की क्या हालत होती है। घर में तनाव का माहौल बन जाता था। इफ्रा की छोटी बहन अबीबा और भाई इमाद शिराज भी प्रभावित हो रहे थे, लेकिन खुदा ने हमारा साथ दिया है।
सिविल सर्विस में जाने की ख्वाहिश
सिविल सर्विस में जाने की इच्छुक इफ्रा ने कहा कि मेरे दादा-दादी चाहते हैं कि मैं डॉक्टर बनूं। मुझे उनकी ख्वाहिश भी पूरी करनी है, इसलिए मैं डॉक्टर जरूर बनूंगी, लेकिन मेरा खुद का मन सिविल सर्विस में है। इसलिए पहले डॉक्टर बनूंगी और उसके बाद सिविल सर्विस का अरमान पूरा करूंगी। पिता शिराज अहमद ने कहा कि हम चाहते थे कि इफ्रा को लेकर श्रीनगर चले जाएं, लेकिन वहां कई दिक्कतें पैदा हो सकती हैं। इसलिए हमने उसे फिलहाल यहीं अपने जिले में ही 12वीं तक पढ़ाने का फैसला किया है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा भेजे गए बधाई संदेश पर इफ्रा ने कहा कि मुझे यह पत्र अभी नहीं मिला, लेकिन यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है। अगर उन्होंने हमें सराहा है तो वह यहां के स्टुडेंटस अच्छी तरह पढ़ सकें, इसमें मदद करें। राहुल गांधी ने कहा, आपकी इस उपलब्धि से अन्य विद्यार्थी होंगे प्रेरित
इस बीच, राहुल गांधी ने इफ्रा की उपलब्धि को सराहते हुए उसे एक बधाई पत्र भेजा है। इसमें उन्होंने लिखा है कि स्कूलों के लगातार बंद रहने और तमाम चुनौतियों के बावजूद आपने जो सफलता हासिल की है, उसके लिए मैं आपको बधाई देता हूं। यह आपकी दृढ़ संकल्पबद्धता और कठिन परिश्रम का परिणाम है। आपकी इस उपलब्धि से अन्य विद्याíथयों को भी प्ररेणा मिलेगी। मुझे जम्मू कश्मीर के युवाओं से बड़ी उम्मीद है। आपके पूरे परिवार को मेरी तरफ से बधाई। आपको एक सुखद और सफल भविष्य के लिए मेरी शुभकामनाएं।